सीरवी समाज - मुख्य समाचार

【{"सीरवी महात्म्य"}】 द्वारा श्री भगवान सिंह परिहार ।
Posted By : Posted By कानाराम परिहार कालापीपल on 11 Feb 2016, 15:54:3
सीरवीयो की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि निः सन्देह क्षत्रियत्व? से परिपूर्ण,भूमिपुत्र व पुरुषार्थयुक्त से लबरेज रही है।जिस गांव में हम निवासित है,वहाँ पर अन्य समाजियों की तुलना में कहीँ अधिक सुदृढ़✊,आर्थिक ?रूप से सम्पन्न,सामाजिक रूप से अधिक प्रतिष्ठित व दूसरों पर भारी ?पड़ने वाले होकर जीवन-यापन कर रहे है।नूतनता को शीघ्र आत्मसात करने,खेती के साथ अन्य व्यवसायो में पकड़,समय के साथ,समय के आगे बदलाव-परिवर्तन-अस्थिरता(स्थिर जड़ -बुद्धि नहीँ)को यथाशीघ्र ग्रहण करने की प्रव्रत्ति ,हमें अन्यों से अलग,विशिष्ठ और un-commonबनाये हुए है।तथापि अभी-भी हमारी जाती का नाम दूसरों के लिये नया,न सुना हुआ व अनभिज्ञ युक्त प्रतीत होता है।अपनी जाती का नाम,पहचान व अस्तित्व के लिये,इसे व्यापकता,जगजाहिरता ?और भिज्ञता लाने हेतु ये कदम उठाना ही होंगे... (1)समाज की 24 गोत्रों के अतिरिक्त~"चौधरी,मुकाती,पटेल,कोटवाल,सिन्हा" को त्यागकर वास्तविक मूल गौत्र ही लिखे।कहीँ ऐसा न हो कि आगामी दो पीढ़ियों के बाद मूल गौत्र याद न रहने से,भूलवश एक ही गौत्र(भाई-बहन)में शादियां? होने लगे।अच्छा होगा अपने पोते-पोतियों? के नाम के बाद-"चौधरी,मुकाती,पटेल,कोटवाल,सिन्हा" न लिखकर वास्तविक गौत्र लिखे।। (2)संसार भर में धर्म के प्रति कट्टर जातियो-मुसलमान? या ईसाइयों ?में भी अपनी दुकान,प्रतिष्ठान या कार्यस्थल का नामकरण-अल्लाह या खुदा अथवा ईसा-मसीह के नाम पर नही होता है।ईस सन्दर्भ में हमेंधर्म के प्रति कट्टरता,प्रतिबद्धता न दिखाकर सीरवीयों के प्रतिष्ठानों,उद्योग-धंधों एवम् वर्कशॉपों का नाम "सीरवी"शब्द लिखकर करना चाहिए।। (3)विश्व? के हर छोटे-बड़े शहरों ?में ईसाईयों ने भू खण्ड अधिग्रहित कर सेवा के रूप में "मिशन अस्पताल"? और विद्या अध्ययन के लिए सेंट फलाना स्कुल,⛪सेंट ढिकाना स्कुल संचालित किये हुए है।ईसाइयत ने इस भू मण्डल पर मुलभुत जरूरतों जैसे-स्वस्थ? शरीर(अस्पतालों)तथा बुद्धिमान? दिमाग(स्कुल-कालेजों)से अपनी पकड़ मजबूत कर रखी है।इनका अनुसरण करते हुए हमें भी इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।। (4)उल्लेखनीय है कि सीरवी अभी-भी बहुतायत रूप से अपने मूल कर्म-कृषि में रत होने,व अन्य व्यवसायों में नये होकर संघर्ष करते हुए नम्बर-1की कमाई और पसीने की गाड़ी आमदनी अर्जित किये हुए है।हमारे समाज में ब्लैक(नम्बर-2)की कमाई अभी-भी दूर की कौड़ी है।और ऐसी स्थिति में "सीरवी" नाम की पॉपुलरिटी के लिये अपना योगदान सोच-समझकर रचनात्मक,मुलभुत एवम् अत्यावश्यक कार्यों जैसे(शिक्षा,अस्पताल,रोजगारोन्मुखी उद्योग)में अवश्य करना चाहिए।। (5)(a)न्यायालयीन आदेश के तहत लाऊड स्पीकर ?से सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी प्रकार का भजन -कीर्तन,नदियों ?में गणेशजी?&दुर्गा ?माता&ताजियों की मूर्तियों का विसर्जन एवम् मृत शव का दाह♨-संस्कार प्रतिबन्धित है।। (b)आगामी समय में रहने के मकान,कृषि भूमि व उद्योगों के लिए एक-एक इंच के लिए मारा-मारी होगी। ऐसी स्थिति में कहीँ कोर्ट को यह आदेश करने पर मजबूर न होना पड़े कि "वर्तमान में जो धर्मस्थल ?है वही रहेंगे,आगामी निर्माण पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है "।। परम्परा,संस्कृति,सभ्यता,रस्म-रीवाज एवम् धर्म की दुहाई देकर अनावश्यक व्यर्थ व्यय करने पर चिंतन-मनन करने की जरूरत है।स्पष्ट तौर पर "सच" को कहना,कबूलना व आत्मसात करना~एक मलेरिया की कड़वी कुनैन जैसा है,जिसे हमें रोगमुक्त होने के लिए निगलना ही होगा।। ।।।।।।।।।। 【{भगवान सिंह परिहार,व्याख्याता(भौतिकी),इंदौर,फोन न.09926877105}】