सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : साभार - दैनिक भास्कर - जोधपुर


किसी भी क्षेत्र की पहचान वहां की भाषा, पहनावे और संस्कृति से होती है। कहते हैं कि हर दस किलोमीटर के बाद भाषा व पहनावा बदल जाता है। आज जमाना बदल रहा है, हाईटेक हो रहे इस जमाने में आधुनिकता हावी हो रही है। हर क्षेत्र की भाषा शैली और पहनावा भी इससे अछूता नहीं है। इसके बावजूद पाली की धोती और कुर्ते की अपनी पहचान है। धोती और कुर्ता जहां यहां का प्रमुख पहनावा है, वहीं साफा भी यहां की आन, बान और शान का प्रतीक माना जाता है। तभी तो हर सार्वजनिक और सामाजिक आयोजनों में अतिथियों का साफा पहनाकर बहुमान किया जाता है। पाली के युवा भले ही आज स्कीन टाइट जिंस पहनने लगे हैं, लेकिन सामाजिक आयोजनों में वे भी मर्यादा के अनुरूप धोती व कुर्ता पहनते हैं।

इस बात में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि बदलते इस दौर में धोती, कुर्ता व साफे पर भी आधुनिकता का रंग चढऩे लगा है। यहां कई लोग ऐसे हैं जिन्हें धोती बांधनी नहीं आती, लेकिन आज रेडिमेड धोती बाजार में उपलब्ध है। धोती ही क्या? रेडिमेड कमीज और साफा भी बाजार में उपलब्ध है। यह बात अलग है कि यहां पहनी जाने वाली धोती की स्टाइल अलग-—अलग है। मसलन, ब्राह्मण, राजपूत, विश्नोई, रेबारी और चौधरी समाज की धोती का डिजायन थोड़ा अलग होता है। इसके अलावा पूजा—-पाठ के दौरान भी यहां अलग तरह की धोती पहनी जाती है जिसे यहां पितांबर कहा जाता है। इसी तरह साफे के भी अलग डिजायन होते हैं। वैसे यहां जोधपुरी साफे ज्यादा प्रचलित हैं तो राजपूती, विश्नोई, चौधरी, सीरवी, राजपुरोहित, रेबारी और गुर्जर समाज के लोगों का पगड़ी बांधने का अपना स्टाइल है, और पचरंगी साफे का तो कहना ही क्या? यहां के लोगों का धोती, कुर्ते और साफे का क्रेज इतना ज्यादा है कि देशभर में यहां की बनी धोती, कुर्ते और साफे खूब बिकते हैं। पाली के अलावा चंडावल के रेडिमेड धोती, कुर्ते और साफे का तो कहना ही क्या? यहां की धोती देशभर में प्रसिद्ध है। धोती ही नहीं यहां आपको हर तरह के साफे व उसके मैचिंग की कमीज भी आसानी से उपलब्ध हो जाती है। वैसे जिले के कुछ और भी स्थानों पर रेडिमेड धोती व कुर्ते बनाए जाते हैं। रेडिमेड धोती की खासीयत यह होती है कि यह लगती तो पारंपरिक है, लेकिन इसे पहने में कोई परेशानी नहीं आती, यह आसानी से बांधी जा सकती है। धोती की सलवटें ऐसे रखी जा सकती है कि कोई यकिन ही नहीं कर सकता कि आपने रेडिमेड धोती पहन रखी है। खैर, यह अलग बात है कि जहां हर ओर आधुनिकता हावी है, वहीं यह पारंपरिक पहनावा आज भी पाली की पहचान है, और वो भी जरा हट के। —मनीष शर्मा