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माँ श्री आईजी का अवतरण के वर्ष 600 वाँ जयंती दिवस : विक्रम संवत् 2072 भादवी सुदी बीज, सन् 2015
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 30 Aug 2015, 06:50:54
माँ श्री आईजी का अवतरण के वर्ष 600 वाँ जयंती दिवस : विक्रम संवत् 2072 भादवी सुदी बीज, सन् 2015 --------------------------------------------- बन्धुओं विक्रम संवत् 2072 भाद्रपद् की शुक्ल पक्षीय द्वितीया, सन् 2015 सितम्बर दिनांक 15 मंगलवार का दिन हमारे समाज सीरवी ( क्षत्रिय ) खारङिया के लिए विशेष पर्व दिवस है । आज ही के दिन विक्रम संवत 1472 गुजरात के अम्बापुर में हमारी इष्टदेवी श्री आई माताजी का अवतरण हुआ था । श्री माताजी विक्रम सं 1512 में अम्बापुर से आबू-पर्वतमाला होते हुए वि. सं 1515 के आस पास राजस्थान के नारलाई, डायलाणा, भैसाणा, सोजत, पतालियावास (यह एक बेरा है ) वगैरह गाँवों का भ्रमण कर अपने भक्तों को लाभान्वित किया और वि. सं 1521 में दानवीर राजा (असुर) बलि का बलिपुर, धर्म नगरी बिलाङा में आगमन हुआ । ज्ञातव्य हों कि भारत वर्ष में श्री आई-पंथ अनादि काल से चला आ रहा है और श्री आई - पंथ के 30 वें धर्म गुरु रूपा श्री आई माताजी हुई । इतिहास की ग्रन्थ - मालाओं से हमें यह ज्ञात होता है, कि धर्म के प्रति निर्मलभावी जैन समुदाय भी आई-पंथ का अनुगामी रहा और आज समाज की 36 ही कौम के जन अनुयायी है । विक्रम संवत् की 14 वीं शताब्दी में हमारा 24 गौत्रीय क्षत्रिय समुदाय, जो शस्त्र त्यागकर सात्विक विचारधारा के पथ पर निकल पड़ा था, संयोगवश विधाता का विधान बना हमारे पुरखों के विचारानुकूल 15 वीं शताब्दी के उदगम् में श्री आई माताजी के चमत्कारों को नमस्कार करते हुए समाज श्री आई - पंथ मय हो गया । श्री आई माता का जन्म इतिहास के पन्नों में स्वर्ण रूपी सिन्ध के आस पास एवं देव - लोक गमन की स्थिति रहस्यमय ज्योति में विलीन होने पर हम आई पंथियों का अटूट विश्वास है कि ज्योतिर्गमय हुई श्री आईजी अखण्ड ज्योति में विद्यमान हैं। श्री आई माताजी के नाम पवित्र आत्मा का वर्ष 600 वाँ अवतरण दिवस पर समाज को आई पंथ से मिले स्नेह के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और समस्त आई पंथियों व श्री माताजी के श्रद्धालुओं को हमारी हार्दिक बधाई ! श्री सीरवी समाज का महा पर्व भादवा सुदी बीज पर माँ श्री जगदम्बे के निज मंदिर ( बडेरों ) में स्थापित श्री अखण्ड ज्योति के दर्शनार्थियों को श्रीआई माताजी का मंगल आशीर्वाद की प्राप्ति होती रहें। हमारी शुभकामना । बन्धुओं; हम आपके समक्ष कुछ चिन्तन योग्य विषय रखना चाहते हैं, जिसकी इस महा पर्व के स्वर्णिम अवसर पर समाज को अपने अतीत का आंकलन करने की आवश्यकता है । समाज ने इन ( लगभग 557 ) वर्षों में क्या पाया और क्या खोया? क्या समाज अपने वर्चस्व को कायम रख पाया है ? क्या हम अपने धर्म को भलि भांति समझ पाए हैं ? क्या हम अपने दायित्व को समझकर चल रहे हैं या एक दूसरे के पीछे दौड़ रहे हैं ? क्या आई पंथ के इतिहास को समाज से छुपाया गया हैं ? हम यह नहीं लिखना, जानना चाहते हैं कि आई पंथ से हमें क्या मिला, मगर यह प्रश्न जरूर चित्त में जागृत होता है कि क्या समाज ने आई पंथ के इतिहास को समझने का प्रयास किया हैं ? क्या समाज आई माताजी सहित आई-पंथ के गुरुओं को समझ पाया हैं ? ऐसे कईयों प्रश्न है, चिन्तन योग्य विषयों पर समाज से हमें चिन्तन की अपेक्षा है । अंतत : श्री गुरु-रूपा आई माताजी के नाम पवित्र पर्व पर हम संकल्प करें, कि अपने धर्म के प्रति निष्ठावान रहेंगे और आई-पंथ के नियमों के अंतर्गत अपने जीवन काल का निर्वहन करेंगे । !! आपका अपना समाज बालक : जसाराम (सीरवी) लचेटा चेन्नै !! यह संदेश श्री जसारामजी ने भेजा है । आप के मो. हैं 09444456782