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राजस्थान के प्रत्येक जिले में अलग से डेयरी खोलने मांग की ऊँट पालको को विकास की मुख्यधारा से जोडा़ जाए - पी.पी. चौधरी
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 23 Apr 2015, 13:03:11
सांसद श्री पी.पी. चौधरी ने लोकसभा में नियम-377 पर चर्चा में राजस्थान ऊँटों का दूध संग्रहण करने हेतु राजस्थान के प्रत्येक जिले में अलग से डेयरी खोलने मांग की ऊँट पालको को विकास की मुख्यधारा से जोडा़ जाए - पी.पी. चौधरी ऊँटनी के दूध के औषधीय गुणों के बारे में भी बताया नई दिल्ली, आज दिनांक 23.04.2015 को सांसद पाली (राजस्थान) श्री पी.पी. चौधरी ने लोकसभा में नियम-377 पर चर्चा करते हुए बताया कि राजस्थान के जहाज कहे जाने वाले पशु ऊँट की संख्या में निरन्तर कमी हो रही है। उनकी माली हालत और राजस्थान के रेगिस्तानी ईलाकों में रहने वाले ग्रामिणों की इन पर निर्भरता को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने ऊँट कों संरक्षित पशुओं की श्रेणी के साथ-साथ राजकीय पशु भी घोषित किया है। पौराणिक कथाओं में भी ऊँटों का जिक्र किया गया है, भारत के ऋग्वेद और ईरान कि एवेस्ता जैसे ग्रन्थों में भी इसका वर्णन है। यह सभी जानते है कि ऊँट बिना पानी व खाने के विपरित परिस्थितियों में भी अपना जीवन यापन कर सकते है, जिसके लिए राजस्थान और गुजरात का थार एक विस्तृत क्षेत्र है। अतः यहाँ ऊँट की उपयोगिता सार्वधिक है। ऊँट राजस्थान में सवारी व माल ढोने के साथ-साथ सीमा सुरक्षा बलों के द्वारा सीमा की सुरक्षा हेतु गश्ती लगाए जाने के काम में भी लिया जाता है। राजस्थान के बीकानेर जिले में राष्ट्रीय स्तर का अनुसंधान केन्द्र भी स्थापित किया गया है, जिसकी स्थिती पर पिछली सरकारों द्वारा ध्यान नहीं दिया गया। श्री चौधरी ने ऊँटनी के दूध के औषधीय गुणों के बारे में बताते हुए कहा कि यहाँ मौजूद सभी लोग जानते होगें। इसके दूध में विटामिन ई, विटामिन सी व प्रोेटिन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है। ऊँटनी के दूध से मंद बुद्धि बच्चों के विकास की भी डाक्टरों द्वारा पुष्टि की गई है। इसके अतिरिक्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, मधुमेह, क्षय, डायबटीज, एनिमिया, पीलिया, दमा, तपेदिक, एलर्जी जैसी गम्भीर बिमारीयों के ईलाज में भी इसका दूध लाभकारी सिद्ध होता है। श्री चौधरी ने बताया कि औषधीय गुण होने के कारण ऊँटनी के दुध की मांग देश और विदेश में बढ़ी है, लेकिन इसके दूध की डेयरी व्यवस्था नहीं होने के कारण इसका व्यवसायिक उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऊँटनी का दूध बिना पाश्च्यूराईजेशन व बिना उबाले 9 से 10 घण्टे तक रखा जा सकता है और यदि इसमें बराबर मात्रा में पानी मिला दिया जाए तो इसे 12 से 13 घण्टों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। राजस्थान में लोकहित पशुपालक संस्थान द्वारा ऊँटनी के दूध का इस्तेमाल कर दो स्वादों की आईसक्रीम तैयार की गई है, जिसके माध्यम् से ऊँट पालकों को लाभ मिलने लगा है। जिन ऊँट पालकों को इनके पालन से लाभ नहीं मिल पा रहा है, उन्हें मजबूरी में अपना ऊँट कसाई को काटने के लिए बेचना पड़ रहा है। श्री चौधरी ने भारत सरकार से ऊँटों का दूध संग्रहण करने हेतु राजस्थान के प्रत्येक जिले में अलग से डेयरी खोलने हेतु राज्य सरकार को वित्तीय सहायता देने की भी बात कही जिससे लाखों की संख्या में ऊँट पालको को विकास की मुख्यधारा से जोडा़ जा सकेगा।