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पी.पी. चौधरी ने विलुप्त हुई सरस्वती नदी को पुनर्जीवन प्रदान करते हुए इसके भू-प्रवाह के जल को प्रयोग में लाने की मांग की
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 20 Apr 2015, 14:24:39
नई दिल्ली। श्री पी.पी. चौधरी, सांसद पाली ने शून्य काल के माध्यम् से विलुप्त हुई सरस्वती नदी को पुनर्जीवन प्रदान करते हुए इसके भू-प्रवाह के जल को प्रयोग में लाने हेतु विस्तृत योजना बनाकर पश्चिमी राजस्थान सहित गुजरात के कच्छ क्षेत्र को पानी सप्लाई करने की मांग की आज दिनांक 20.04.2015 को पाली सांसद श्री पी.पी. चौधरी ने लोकसभा में शुन्यकाल के माध्यम् से विलुप्त हुई सरस्वती नदी को पुनर्जीवन प्रदान करते हुए इसके भू-प्रवाह के जल को प्रयोग में लाने हेतु विस्तृत योजना बनाकर पश्चिमी राजस्थान सहित गुजरात के कच्छ क्षेत्र को पानी सप्लाई करने की मांग की श्री चौधरी ने बताया कि विलुप्त हुई सरस्वती नदी पर किये गए अध्ययन् में राजस्थान सरकार और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के प्रमाणों के आधार पर प्रतिपादित किया गया है कि प्राचीन सरस्वती नदी जो वर्तमान में विलुप्त हो चुकी है, का भू-प्रवाह राजस्थान से होकर गुजरात के कच्छ क्षेत्र में जा रहा है। वैज्ञानिकों द्वारा यह भी बताया गया है कि प्रवाह क्षेत्र के नलकूपों में 11 हजार से 35 हजार लीटर प्रतिघण्टे पानी की आवक के आकड़े दर्ज किये गए है। पश्चिमी राजस्थान और गुजरात का कच्छ क्षेत्र देश के अति सूखे क्षेत्र में गिना जाता है, और इस नदी के भू-प्रवाह क्षेत्र भी यही है। पश्चिमी राजस्थान में पशुधन की बाहुल्यता है, यहाँ के पशुपालक ग्रीष्मकाल के दौरान पशुओं को सूखे से बचाने के लिए दूसरे स्थानों पर पलायन करते है। मंत्रालय द्वारा विस्तृत योजना बनाकर पश्चिमी राजस्थान के पशुबाहुल्य एवं सुखे प्रभावित क्षेत्र को नई जीवन रेखा प्रदान की जा सकती है। बूंद-बूंद/फॅवारा सिंचाई पद्धति से फसल/घास आदि का उत्पादन कर राज्य की आर्थिक व्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाने में सहयोग किया जा सकता है। सरस्वती नदी का वर्णन हिन्दु धर्म के इतिहास, पौराणिक कथाओं आदि में किया जाता रहा है। राजस्थान में भी हरियाणा के आदि बद्री में स्थित सरस्वती जल कुण्ड की तर्ज पर सरस्वती नदी के जल पर आधारित धार्मिक पर्यटक स्थल विकसित किया जा सकता है।श्री चौधरी ने सरकार से कहा कि विलुप्त हुई सरस्वती नदी को पुनर्जीवन प्रदान करते हुए इसके भू-प्रवाह के जल को प्रयोग में लाने हेतु विस्तृत योजना बनाने पर विचार करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इसके माध्यम् से देश के सूखे प्रभावित क्षेत्र को इस प्रचीन सरस्वती नदी का अमृतरूपी जल वरदान के रूप में मिल सके।