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मादक पदार्थ अफीम एवं डोडा-पोस्त के आयोजनों में सामूहिक रूप से मनुहार की कुरीति के समाधान हेतु गोपारामजी ने् लिखे पत्र
Posted By : Posted Byकानाराम परिहार कालापीपल on 19 Dec 2014, 15:23:29
नशा मुक्ति एवं समाज सुधार अभियान (कुरीतियां एवं रूढिवादी परम्पराओं के अधीन होना कायरता है और विरोध करना पुरूषार्थ है-राष्ट्रपिता महात्मा गांधी) सेवामें, 1. माननीया मुख्यमंत्री महोदया, राजस्थान सरकार, जयपुर 2. माननीय गृह मंत्री महोदय, राजस्थान सरकार, जयपुर विषय:-पश्चिमी राजस्थान में मादक पदार्थ अफीम एवं डोडा-पोस्त के आयोजनों में सामूहिक रूप से मनुहार की कुरीति के समाधान में अच्छे दिन कब आयेगें। महोदया/महोदय, उपरोक्त विषयान्तर्गत निवेदन है कि अफीम एवं डोडा-पोस्त (तिजारा) के नशे के प्रचलन की सामूहिक रूप से मनुहार की परम्परा एव रूढिवादिता अधिकांश गाँवों में, धार्मिक स्थलों, मठों एवं मन्दिरों पर अभी भी प्रच्चलित है कानून में अफीम, डोडा-पोस्त, गांजा, चरस, हेरोईन व स्मेक आदि मादक पदार्थ खरीदना, बेचना व अपने पास रखना या सेवन करना कानूनन अपराध है। लेकिन पश्चिमी राजस्थान में सिर्फ ऐसे मादक पदार्थो की तस्करी, वो भी तस्कर के पकड़े जाने पर ही अपराध माना जाता है।शादी-समारोह हो या मौत-मृतक, त्यौहार हो या कोई अच्छा दिन अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रो में लोगों को सामूहिक रूप से अफीम व डोडा का सेवन करते हुए आसानी से देखा या फिल्माया जा सकता है। ऐसे अवसरों की भनक लगते ही तस्कर चोरी छुपे आयोजकों को अफीम, डोडा-पोस्त आसानी से उपलब्ध करवा देते है। इन प्रतिबंधित चीजों का, चाहे गरीब हो या अमीर, सरकारी मुलाजिम हो या जनप्रतिनिधी यहां तक की मतदाता को चुनावी मौसम में भी उन्हें कही न कही पर सामाजिक रूढिवादी परम्पराओं के नाम पर सेवन करवाया जा रहा है। प्रतिबंधित वस्तुओं से सम्बन्धित सख्त कानून का आमजन में किसी भी प्रकार का डर नहीं होने से बड़े-बुढ़ो के साथ-साथ युवा वर्ग भी नशे की गिरफ्त में आते जा रहे है तथा ऐसी कुरितियों के कारण समाज अन्दर ही अन्दर खोखला होता जा रहा यहा तक कि मृत्यु से सम्बन्धित शोक सभा की बैठकों में पुलिस थानों के नजदीक के गांवों मे भी बड़ी मात्रा में सामूहिक रूप से मादक पदार्थो का सेवन आम बात हो गई है। इतनी बड़ी मात्रा में मादक पदार्थों की तस्करी बिना मिलिभगत के हो जाये, यह असभ्भव सा लगता है एवं जनता तस्करों की साजिश के कारण नशे के चंगुल में फँसती जा रही है।नशीली वस्तुओं का बड़ी मात्रा में सामूहिक रूप से सेवन को एनडीपीएस एक्ट के साथ राजस्थान अफीम धूम्रपान प्रतिषेध अधिनियम 1950 व राजस्थान मृत्यु भोज निवारण अधिनियम 1960 की कठोरता से पालना करवाकर भी पूर्णतः रोका जा सकता है।अतः आप श्रीमानजी से समाज सुधार के परिपेक्ष में विशेष अनुरोध है कि अफीम एवं डोडा-पोस्त के सामूहिक रूप से सेवन की मनुहार की कुरीति, जो की पश्चिमी राजस्थान की सामाजिक समस्या का रूप धारण किये हुऐ है, को रुकवाकर बडे़ पैमाने पर लोगांे को नशे से मुक्ति के साथ साथ कुरीतियों एवं रूढ़ीवादी परंम्पराओं से भी मुक्त करवाने की एवं जनता की अरबों रूपये की राशि जो कि तस्करों के पास जाती है, की रोकथाम हेतु प्रभावी कार्यवाही की माँग की जाती है ताकि गरीब परिवारों सहित आमजन को राहत मिल सके। भवदीय (गोपाराम चैधरी) (राष्ट्रीय समन्वयक, नशा मुक्ति एवं समाज सुधार अभियान) पताः-206, राजीव नगर, बासनी प्रथम फेज, जोधपुर, राज. मो.ः-9414412815, 9929717343