सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : साभार-- राजस्थान पत्रिका, जोधपुर


पाली। मारवाड क्षेत्र के सोजत की मेहंदी चाहे देश-विदेश में अपना रंग दिखा चुकी हो लेकिन इसकी कटाई की मजदूरी कई बार किसानों पर भारी पडती है। किसानों को इस समस्या से राहत दिलाने के उद्देश्य से कृषि विभाग ने कृषि तकनीकी प्रबंध अधिकरण (आत्मा) के तहत मेहंदी कटाई की मशीन बनवाने की योजना तैयार की है। इसके लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय संचालन समिति ने पांच लाख रूपए की राशि स्वीकृत की है। यह मशीन कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के सहयोग से तैयार की जाएगी।

समय कम लगेगा

मेहंदी कटाई में अधिक श्रमिकों की जरूरत पडती है। चार श्रमिक मिलकर एक दिन में एक बीघा भूमि से मेहंदी काट पाते हैं। मशीन बनने के बाद मानवीय श्रम पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी। कटाई में कम समय लगने से किसान मांग के अनुसार मेहंदी बाजार में बेच सकेंगे।

35 हजार हैक्टेयर से अधिक में बुवाई

पाली जिले में औसत 35 हजार हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र में मेहंदी की बुवाई की जाती है। जिले के सोजत, जैतारण, रायपुर व मारवाड जंक्शन क्षेत्र में किसान मेहंदी अधिक उगाते हैं। यह फसल आसोज व कार्तिक माह में कटती है। इस समय कटाई के मजदूर कम मिलते हैं व मजदूरी बढ जाती है। कई बार कटाई के समय बारिश आने पर फसल खराब होने की आशंका रहती है। इस कारण भी किसानों को मुंह मांगा मेहनताना देना पडता है।

मजदूरी 250 रूपए से अधिक

मेहंदी कटाई करना मुश्किल कार्य है। किसान रामलाल भाटी ने बताया कि एक श्रमिक कटाई के लिए 250-300 रूपए तक लेता है। इससे एक बीघा में कटाई पर एक हजार रूपए तक खर्च हो जाते हैं जबकि अन्य फसलों की कटाई 300-400 रूपए बीघा में हो जाती है।

स्थानीय फसलों व शोध को प्रोत्साहन देने के 'आत्मा' के मूल उद्देश्य को ध्यान में रखकर मेहंदी व स्थानीय जरूरत के लिए मशीन बनवाने की योजना बनाई गई है।

शीतल शर्मा, संयुक्त निदेशक, कृषि
(uploaded by Mangal Senacha.Bangalore, on 22 Jan 2010 at 8.31 AM )