कानाराम जी IAS का इन्टरव्यू देश की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली हिन्दी पत्रिका "प्रतियोगिता दर्पण" के अगस्त 2013 के प्रथम अंक में छपा है...धन्यवाद उपकार प्रकाशन
(सीरवीसमाज डॉट कॉम पर कानारामजी का हुबहू इन्टरव्यू )
धैर्य व आत्मबल के साथ निरन्तर मेहनत, मेरी सफलता का मूलमन्त्र है.- कानाराम सीरवी
सिविल सेवा परीक्षा, 2012 में हिन्दी माध्यम से 54 वें स्थान पर चयनित
संघ लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठित आई.ए.एस. परीक्षा में 54 वें स्थान पर चयनित होकर कानाराम सीरवी ने एक सम्मानजनक उपलब्धि अर्जित की है, जिसके लिए वह प्रशंसा एवं हमारी हार्दिक बधाई के पात्र हैं. प्रतियोगिता दर्पण पत्रिका के साथ उनकी महत्वपूर्ण भेंटवार्ता यहां मूलरूप में प्रस्तुत है.
प्रतियोगिता दर्पण .- सिविल सेवा परीक्षा में शानदार सफलता पर प्रतियोगिता दर्पण परिवार की ओर से हार्दिक बधाई.
कानाराम सीरवी-धन्यवाद.
प्रतियोगिता दर्पण .-क्या आप इस प्रयास में अपनी तैयारी एवं परीक्षा में निष्पादन से संतुष्ट थे और उच्च सफलता के प्रति आशावान थे? सफलता के इस समाचार पर आपकी क्या प्रतिक्रिया रही?
कानाराम सीरवी-जी हां, इस सामाचार पर मेरी पहली प्रतिक्रिया रही, 'परिणाम परिश्रम के अनुरूप ही होता है और इसके बाद मैंने अपने परिवार एवं मित्रों के साथ खुशियां मनाई.
प्रतियोगिता दर्पण .- इन सेवाओं में आपने क्या प्राथमिकता दी है और इसका कोई विशेष कारण?
कानाराम सीरवी-आई.ए.एस., आई.पी.एस., आई.आर.एस. एवं आई.एफ.एस. इसका कारण कार्य क्षेत्र की व्यापकता एवं ग्रामीण पृष्ठभूमि रहा.
प्रतियोगिता दर्पण .- वैकल्पिक विषयों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है?
कानाराम सीरवी-वैकल्पिक विषयों के चयन के समय स्वयं की रुचि, मार्गदर्शन एवं पाठ्य-सामग्री की उपलब्धता तथा सिविल सेवा परीक्षा में वैकल्पिक विषयों के प्रदर्शन को ध्यान रखना आवश्यक है.
प्रतियोगिता दर्पण .-आपके वैकल्पिक विषय क्या थे?
कानाराम सीरवी-वैकल्पिक विषय-
(1) भूगोल, (2) इतिहास
प्रतियोगिता दर्पण .- आपके वैकल्पिक विषयों के चुनाव का आधार क्या रहा?
कानाराम सीरवी-उक्त बिन्दु ही मेरे वैकल्पिक विषयों के चुनाव का आधार रहे मेरे दोनों प्रयासों में दोनों ही वैकल्पिक विषय रहे.
प्रतियोगिता दर्पण .-यह आपका कौन सा प्रयास था?
कानाराम सीरवी-द्वितीय
प्रतियोगिता दर्पण .-आप अपने पिछले प्रयासों को किस प्रकार देखते हैं?
कानाराम सीरवी-मुझे लगता है कि पिछले प्रयास में कुछ कमी रही गई थी, उसी को दूर कर इस बार सफलता सुनिश्चित की.
प्रतियोगिता दर्पण .- अपना परिणाम जानने से पहले आप टॉपर्स के बारे में क्या सोचते थे?
कानाराम सीरवी- यही कि सफल उम्मीदवार कुछ अलग नहीं करते, बल्कि उनका कार्य करने का तरीका अलग होता है, मैं बलवन्त सिंह जी (ढ्ढ.्र.स्.) और पद्मजी मिर्धा (ढ्ढ.क्र.स्.)से प्रभावित हुआ.
प्रतियोगिता दर्पण .-क्या प्रारम्भिक परीक्षा में आए बदलावों के कारण ही आप इस परीक्षा की ओर आकर्षित हुए या पहले से ही तैयारी कर रहे थे?
कानाराम सीरवी-मैं पहल से ही तैयारी कर रहा था और पिछले प्रयास में प्रारम्भिक परीक्षा का सामना कर चुका था.
प्रतियोगिता दर्पण .- नए कलेवर वाली प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी हेतु क्या रणनीति रही?
कानाराम सीरवी- अब प्रारम्भिक परीक्षा में वैकल्पिक विषय नहीं रहा. अत: सामान्य अध्ययन के व्यापक व विस्तृत अध्ययन के साथ ष्टस््रञ्ज प्रश्न-पत्र में अधिकाधिक प्रश्नों को हल करने हेतु पूर्वाभ्यास आवश्यक है.
प्रतियोगिता दर्पण .- आपकी प्रश्न-पत्र 1 (सामान्य अध्ययन) और 2 (अभिवृत्ति परीक्षण) की तैयारी हेतु क्या रणनीति रही?
कानाराम सीरवी- प्रश्न-पत्र 1 में परम्परागत विषयों के अध्ययन के साथ-साथ समसामयिक घटनाओं से सहसम्बन्धि होने का प्रयास किया. प्रश्न-पत्र 2 में अधिकाधिक प्रश्नों को हल करने का प्रयास किया.
प्रतियोगिता दर्पण .- ऋणात्मक अंकन (नेगेटिव मार्किंग) के लिए क्या सावधानी बरती?
कानाराम सीरवी-नेगेटिव मार्किंग से ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है. सकारात्मक सोच के साथ प्रश्नों को यथासम्भव हल करने का प्रयास करना चाहिए. यदि दो विकल्पों में से एक का चयन करना हो, तो प्रश्नों को छोडऩा नहीं चाहिए.
प्रतियोगिता दर्पण .-इस परीक्षा में बैठने का निर्णय लेने के बाद आपका पहला कदम सबसे कठिन होता है. शुरू में तैयारी के लिए आपको सही सलाह कहां से मिली?
कानाराम सीरवी-मुझे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी सम्बंधी सही सलाह श्री दिलीप जी मेहचा से प्राप्त हुई. स्प्रिंगबोर्ड अकादमी जयपुर से मुझे इस परीक्षा की तैयारी हेतु सही मार्गदर्शन प्राप्त हुआ.
प्रतियोगिता दर्पण .-मुख्य परीक्षा की तैयारी की योजना में क्या विशेष परिवर्तन किया?
कानाराम सीरवी-मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए मैंने विषय-वस्तु के संक्षिप्त नोट्स तैयार करने के साथ लेखन-शैली पर विशेष जोर दिया. इस हेतु मैंने टेस्ट सीरीज भी ज्वाइन की थी.
प्रतियोगिता दर्पण .-आपने निबन्ध के लिए किस प्रकार तैयारी की?
कानाराम सीरवी-मैंने निबन्ध के लिए कोई कोचिंग नहीं ली; कोचिंग संस्थान में होने वाली डिबेट तथा दोस्तों के साथ चर्चा उपयोगी सिद्ध हुई.
इस प्रयास में मैंने पीपीपी विषय पर निबन्ध लिखा. इस विषय को चुनने का आधार इसकी प्रासंगिकता व इसके बारे में मेरे पास विचारों की स्पष्ट समझ रही.
प्रतियोगिता दर्पण .-समय-प्रबन्धन को लें तो इस परीक्षा की तैयारी में कोई कठिनाई हुई?
कानाराम सीरवी-मेरी लेखन गति थोड़ी धीमी है ऐसे में मैंने शब्द-सीमा के भीतर ही उत्तर लिखने का प्रयास किया और समय का ध्यान रख सभी प्रश्नों को हल करने का प्रयत्न किया.
प्रतियोगिता दर्पण .-साक्षात्कार हेतु किस प्रकार की तैयारी की?
कानाराम सीरवी- साक्षात्कार हेतु मैंने अपने शिक्षक एवं मित्रों के साथ चर्चा कर प्रमुख विषयों पर अपने व्यूज तैयार किए.
प्रतियोगिता दर्पण .-आपका साक्षात्कार किस बोर्ड में हुआ और आपका साक्षात्कार का अनुभव कैसा रहा?
कानाराम सीरवी-मेरा साक्षात्कार डॉ.पुरुषोत्तम अग्रवाल के बोर्ड में हुआ.मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा और मैं अपने साक्षात्कार से सन्तुष्ट रहा.
प्रतियोगिता दर्पण .-आपसे साक्षात्कार में किस तरह के प्रश्न पूछे गए?
कानाराम सीरवी-मेरे साक्षात्कार में पूछे गए प्रश्नों में अधिकांश बायोडाटा को कवर किया गया. इसमें मुख्यत: मेरे दोनों वैकल्पिक विषयों भूगोल एवं इतिहास, गृह राज्य व गृह जिला, मेरे वर्तमान कार्य ग्राम सेवक आदि प्रश्न रहे.
कुछ प्रश्न समसामयिकी से भी रहे जैसे सोशल मीडिया, ग्लोबल वार्मिंग तथा कुछ प्रश्न मेरी रुचियों के बारे में भी रहे.
प्रतियोगिता दर्पण .- सिविल सेवा-केवल यही एकमात्र लक्ष्य था या किसी और कैरियर विकल्प के लिए साथ-साथ तैयारी कर रहे थे?
कानाराम सीरवी- सिविल सेवा ही मेरा एकमात्र लक्ष्य था. कैरियर विकल्प की मुझे कोई चिन्ता नहीं थी.क्योंकि मैं पहले से ही रोजगाररत् था.
प्रतियोगिता दर्पण .-आज के बदलते आर्थिक परिदृष्य में निजी क्षेत्र में सेवाओं के लुभावने अवसर उपलब्ध होने के बावजूद आप सिविल सेवाओं में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बाद भी गम्भीरता से तैयारी में लगे रहे.
आखिर किस चीज ने आपका जोश बरकरार रखा?
कानाराम सीरवी-सिविल सेवाओं की प्रतिष्ठा व व्यापक कार्यक्षेत्र ने मेरा जोश बरकरार रखा.
प्रतियोगिता दर्पण .- किस शैक्षिक स्तर पर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के बारे में सोचना शुरू करना चाहिए?
कानाराम सीरवी- सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के लिए स्नातक के अंतिम वर्ष में तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. लगभग डेढ़ से दो वर्ष का समय इस तैयारी के लिए देना चाहिए.
प्रतियोगिता दर्पण .-आपको लगता है कि इस परीक्षा में मानविकी विषयों की अपेक्षा विज्ञान विषयों के साथ अच्छे अंक प्राप्त करने की सम्भावनाएं ज्यादा हैं?
कानाराम सीरवी- ऐसा कुछ नहीं है. किसी भी विषय में अच्छे अंक विषयवस्तु पर अपनी पकड़ से सम्भव होते हैं.
प्रतियोगिता दर्पण .-आपके अनुसार, इस परीक्षा में हिन्दी माध्यम लेकर तैयारी करने एवं सफलता प्राप्त करने के बारे में क्या विचार हैं?
कानाराम सीरवी-हाल ही के वर्षों में हिन्दी माध्यम वाले भी उच्च रैंक प्राप्त कर रहे हैं.फिर भी अंग्रेजी माध्यम वाले तुलनात्मक रूप से लाभप्रद स्थिति में होते हैं.
प्रतियोगिता दर्पण .- आपको किस तरह और कब सिविल सेवाओं की गरिमा एवं महत्व का अनुभव हुआ?
कानाराम सीरवी-मुझे सिविल सेवाओं की समझ स्नातक शिक्षा के दौरान विकसित होनी शुरू हो गई थी, परंतु वास्तविक महत्व बाद में अनुभव हुआ.
प्रतियोगिता दर्पण .-वह क्षण कब आया जब आपने सिविल सेवाओं में कैरियर की सम्भावनाओं को तलाशने का फैसला लिया?
कानाराम सीरवी-मैंने स्नातक डिग्री पूर्ण होते ही इस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी.
प्रतियोगिता दर्पण .-क्या तैयारी के शुरू में आपने अपने लिए इस परीक्षा का सामना करने के लिए कोई समय-सीमा या प्रयासों की संख्या सम्बन्धी सोच बनाई थी?
कानाराम सीरवी-मैंने आईएएस में चयन की अपने लिए लक्ष्य रखा था कोई समय-सीमा में नहीं बंधा.
प्रतियोगिता दर्पण .-इस परीक्षा में बैठने का निर्णय आपका अपना था या फिर यह आपके माता-पिता का?
कानाराम सीरवी-सिविल सेवाओं की ओर आकर्षण और इसमें बैठने का मेरा व्यक्तिगत निर्णय था.
प्रतियोगिता दर्पण .-क्या अभ्यर्थी के शैक्षिक,आर्थिक और जनांकिकीय स्थिति का प्रभाव तैयारी पर पड़ता है? यदि हां तो कैसे?
कानाराम सीरवी-यदि इरादे मजबूत है, तो किसी स्थिति विशेष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
प्रतियोगिता दर्पण .-आपकी सफलता का मूलमंत्र क्या है?
कानाराम सीरवी-मेरी सफलता का मूलमन्त्र धैर्य व आत्मबल के साथ निरन्तर मेहनत है.
प्रतियोगिता दर्पण .-अपनी सफलता का श्रेय किनको देना चाहेंगे?
कानाराम सीरवी- मैं अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवारजनों, शैक्षणिक गुरु दिलीप सिंह जी मेहचा व मित्रों रविन्द्र, नथमल डिडेल, जयपाल, हरिओम को देता हूं.
प्रतियोगिता दर्पण .-इस परीक्षा की तैयारी हेतु एक मानक प्रतियोगिता पत्रिका में क्या विशेष सामग्री एवं संकल्प की अपेक्षा रखते हैं?
कानाराम सीरवी-एक मानक प्रतियोगिता पत्रिका में विषय की तथ्यवार जानकारियों के साथ उच्च कोटि का विश्लेषण होना आवश्यक है.
प्रतियोगिता दर्पण .-भारत में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली प्रतियोगिता पत्रिका प्रतियोगिता दर्पण को इन मानकों के कितना करीब पाया?
कानाराम सीरवी- प्रतियोगिता दर्पण में समसामयिक घटनाक्रम के साथ विश्लेषण युक्त लेख के कारण यह पत्रिका पुष्ट मानकों के बहुत करीब है.
प्रतियोगिता दर्पण .-क्या आपने सिविल सेवा परीक्षा से सम्बद्ध अतुल कपूर द्वारा लिखे लेख पढ़े और इन्हें तैयारी के सन्दर्भ में उपयोगी पाया?
कानाराम सीरवी-यह लेख मैंने पढ़े हैं और तैयारी में उपयोगी सिद्ध हुए.
प्रतियोगिता दर्पण .-क्या आपने सामान्य अध्ययन के अतिरिक्तांकों की सीरीज का उपयोग किया जो पिछले कई वर्षों से उम्मीदवारों के बीच बहुत पसन्द की जा रही है?
कानाराम सीरवी-मैंने प्रतियोगिता दर्पण के अर्थव्यवस्था के अतिरिक्तांक का अध्ययन किया.
प्रतियोगिता दर्पण .-कोई सुझाव या सन्देश अभ्यर्थियों को देना चाहेंगे?
कानाराम सीरवी-सिविल सेवा परीक्षा की परिवर्तित प्रकृति के अनुसार, स्वयं अनुकूलित कर धैर्य के साथ निरन्तर परिश्रम करें.
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व्यक्ति परिचय
नाम - कानाराम
पिता का नाम - श्री गेना राम
माता का नाम - श्रीमती सुगना देवी
शैक्षिणक योग्यता-
10 th- 2002,RBSE,Ajmer,67 %
12 th- 2004,RBSE,Ajmer,71 %
BA/B.Sc-2007,JNVU,Jodhpur, 76 %
MA/M.Sc.-2010,MDSU,Ajmer, 63%
पूर्व चयन- ग्राम सेवक एवं पदेन सचिव, पंचायती राज, राजस्थान वरिष्ठ अध्यापक (विज्ञान), माध्यमिक शिक्षा विभाग, राजस्थान,
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व्यक्तिगत विशेषताएं
पसंदीदा व्यक्तित्व-महात्मा गांधी
रुचियां-साहित्य पढऩा और लोक गीत गाना