सीरवी समाज - मुख्य समाचार

स्वर्गीय खेमाजी जमादारी को श्रृद्धांजली
Posted By : Posted By KAILASH MUKATI VIP MANAWAR on 24 Feb 2013, 23:03:32
स्वर्गीय खेमाजी जमादारी को श्रृद्धांजली. (प्रस्तुतिः- मनोहर मुकाती, प्रांताध्यक्ष, अ.भा.सीरवी महासभा,मध्यप्रदेष एवं हीरालाल देवड़ा(सिवई)/ बड़वानी, म.प्र. यह शाष्वत सत्य है कि- जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी निष्चित है। यह क्रम निरन्तर चला आ रहा है। किन्तु 10.जनवरी.2013 को मध्यप्रदेष के बड़वानी जिले में सीरवी समाज के एक ऐसे सामाजिक कार्यकर्ता का देवलोकगमन हुआ जिसकी भरपाई बहुत ही कठिन है। इस महान व्यक्तित्व का नाम था श्री खेमाजी जमादारी। इनके निधन के समाचार से सारे क्षेत्र में षोक की लहर फैल गई.... अंतिम संस्कार में अनेक लोगो ने शामिल होकर श्रृद्धा सुमन अर्पित किये। स्व. खेमाजी रामाजी जमादारी मूलतः बड़वानी जिले के ग्राम तलवाड़ा बुजुर्ग(सिर्वी) के निवासी थे। सकारात्मक सोच एवं पारदर्षी जीवन शैली के कारण आपका व्यवहारिक जीवन क्षेत्र के लिए प्रेरणादायी था। ‘‘श्री खेमा बा’’ सदैव परहित चिंतन करते एवं ग्राम के सभी समाजों की भलाई की विचारधारा में विष्वास एवं वैसा ही आचरण करते थे। अपने सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति का उत्साह वर्धन करना एवं उसके कमजोर पक्ष के बजाय उसके सद्गुणों को समाज के समक्ष लाना उनका स्वभाव था। ग्रााम समाज के भले एवं विकास के लिए उन्होंने अनेक कार्य किये जिसमें से मुख्य निम्नानुार हैः- 1. बैंक आॅफ इण्डिया की शाखा ग्राम तलवाड़ा बुजुर्ग में प्रारम्भ करवाई एवं उसका फीता काटकर स्वयं आपके द्वारा ही षुभारंभ किया गया।ं 2. नयापुरा में आईमाताजी मंदिर एवं विषाल धर्मषाला के निर्माण में मुख्य भूमिका का निर्वाह आपके द्वारा किया गया। 3. मंदिर/धर्मषाला/मांगलिक भवन निर्माण की जमीन संबंधी परेषानियों को दूर करना, जैसे-अन्य लोगो के मकान को हटाना और उन्हें उचित स्थान पर जमीन देकर मकान बनवाना ताकि उन्हें भी परेषानी न हो एवं अतिक्रमण भी हट जाय। 4. गांव में व्यवस्था की दृष्टि से तीन तड़ थी तथा दो मंदिर, दो मांगलिक भवन थे। किन्तु कभी भी वैमनस्यता नही आने दी और सभी को समान महत्व देते हुए साथ लेकर चलना तथा सभी द्वारा उनकी बात मानना एक बहुत बड़ी बात थी। 5. मंदिर एवं मांगलिक भवन के निर्माण के लिए अपने ही ग्राम से सहयोग लेना एवं बाहर से सहयोग नही लेना। 6. गांव के सभी लोगो के कहने पर निर्विरोध सरपंच बने किन्तु बेहद ईमानदार होने के कारण अपने पद से मात्र तीन माह में ही त्यागपत्र दे दिया। त्यागपत्र देने का कारण था- बिजली के चार बल्ब क्रय किये गए, किन्तु सचिव द्वारा आंठ बल्ब का बिल हस्ताक्षर हेतु प्रस्तुत किया गया, तो इस घटना से उन्हें बहुत दुख हुआ और पद से त्यागपत्र दे दिया। उनका विष्वास था कि सार्वजनिक धन, जन कल्याण में ही खर्च होना चाहिए न कि किसी भ्रष्टाचारी का घर भरने में। आज ऐसी नैतिकता की मिसाल मिलना कठिन है। ऐसे अनेक कार्य आपने किये हैं जो प्रेरणादायी हैं। इन कामों के कारण जमादारी बा हमेषा याद आएंगे। . खेमाजी जमादारी का देवलोकगमन 89 वर्ष की आयु में हुआ। आपके पिता का नाम श्री रामाजी जमादारी एवं माता का श्रीमती तुलसीबाई था। आपकी जीवन संगिनी श्रीमती भूरीबाई थी। श्री आईमाता की कृपा से उन्हें तीन पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुई- 1. सर्वश्री गोपालजी जमादारी. 2. श्री भगवानजी जमादारी. 3. श्री जगदीषजी जमादारी। इन तीनो पुत्रों द्वारा अपने पिता स्व. श्री खेमाजी जमादारी की पावन स्मृति में ग्राम तलवाड़ा बुजुर्ग के नयापुरा मंदिर एवं जूनापुरा मंदिर, दोनो को अलग अलग 51000/-रू. भेंट किये गए। ‘‘अखिल भारतीय सीरवी महासभा मध्यप्रदेष’’ एवं ‘‘सीरवी संदेष परिवार’’ ऐसे महान समाज हितैषी, अविस्मरणीय व्यक्तित्व स्व. खेमाजी जमादारी को सादर श्रृद्धांजली अर्पित करते है।