सीरवी समाज - मुख्य समाचार

(परमपूज्य दीवान श्री माधवसिंहजी की प्रेरणा से गठित)
Posted By : Posted By KAILASH MUKATI VIP MANAWAR on 24 Feb 2013, 22:55:52
(परमपूज्य दीवान श्री माधवसिंहजी की प्रेरणा से गठित) श्री आईजी महिला मण्डल-बड़वानी का एक सफल वर्ष पूर्ण (प्रस्तुतिः- श्रीमती अनिता चोयल, एवं हीरालाल देवड़ा बड़वानी, मध्यप्रदेष) (09893789041.) आईपंथ में हमेषा से ही महिलाओं को सम्मानजनक स्थान का अधिकारी माना गया है। भारतीय सनातन संस्कृति में भी ‘‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते् रमन्ते् तत्र देवताः’’ अर्थात- जहांॅं नारी की पूजा होती है, वहांॅं देवताओं का वास होता है। परमपूज्य धर्मगुरू एवं आईपंथ के दीवान श्री माधवसिंहजी भी प्रत्येक अवसर पर पंथ के अनुयायिओं से नारी शक्ति के सम्मान एवं उसके संगठन का आव्ह्ान करते है। लगभग एक वर्ष पूर्व जब फरवरी-2012 में दीवान सा. का बड़वानी शुभागमन हुआ तो समाजजनों द्वारा उनका भव्य बधावा किया गया। एवं जात-जवार की परम्परागत् रस्म भी हुई। दीवान सा. जात जवार की राषि में से समुदाय का मान रखने के लिए प्रतीक स्वरूप अल्प राषि स्वीकार करते हैं एवं शेष राषि स्थानीय समाजोपयोगी कल्याण कार्यो हेतु सकल पंचों के माध्यम से लौटा देते है। इसी के अनुरूप बड़वानी में भी दीवान सा. ने यह राषि स्थानीय सीरवी समाज की महिलाओं को सौंप दी थी एवं साथ ही यह भी कहा कि-वे अब नियमित रूप से बचत करें एवं एक सषक्त महिला संगठन बनावे। बड़वानी सीरवी समाज की महिलाओं ने परमपूज्य दीवान सा. द्वारा प्रदाय इस 6000/-रु. की राषि को आईमाता का आषीर्वाद माना तथा सद्गुरू की प्रेरणा के अनुरूप दिनांक 23.फरवरी.2012 को स्थानीय योगमाया मंदिर बड़वानी में एकत्रित होकर ‘‘श्री आईजी महिला मण्डल-बड़वानी’’ का गठन किया। इस प्रथम बैठक में सीरवी समाज के प्रत्येक परिवार से महिलाओं ने भागीदारी की। ‘‘सषक्त नारी सषक्त समाज’’ के आदर्ष को क्रियान्वित करने के लिए सर्वानुमति से महिला मण्डल के पदाधिकारियों एवं कार्यकारिणी सदस्यों का चयन किया गया। समाज की वरिष्ठ महिला श्रीमती नन्दूबाई लुणाजी को अध्यक्ष, श्रीमती गेंदीबाई भानाजी को उपाध्यक्ष, श्रीमती अनिता चोयल को सचिव, एवं श्रीमती मीनाक्षी जगदीष मुकाती (जड़ीबुटी) को कोषाध्यक्ष पद का दायित्व दिया गया। इसी प्रकार कार्यकारिणी सदस्यों के रूप में श्रीमती उमाबाई भायल, श्रीमती तेजुबाई नाथाजी गेहलोत, श्रीमती लक्ष्मी कैलाष सेप्टा, कुसुम मुकाती, श्रीमती राधा मनोहरलाल काग, श्रीमती दुर्गा विनोद सेप्टा, श्रीमती दुर्गा जगदीष मुकाती को मनोनीत किया गया। श्री आईजी महिला मण्डल द्वारा निर्णय लिया गया कि प्रतिमाह बीज को सभी महिलाएं योगमाया मंदिर में एकत्रित होकर श्री आईमाता का पूजन, ध्यान एवं कीर्तन करेगी। साथ ही समाज हित से जुड़े मुद्दों पर भी विचार करेगी एवं सर्वसम्मति से लिए गए निर्णयों का अनुसरण किया जाएगा। परमपूज्य दीवान सा. द्वारा दी गई आाषीर्वाद पूंजी से एक बचत कोष का निर्माण किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक महिला अपनी पारिवारिक बचत से 100/-रु. प्रतिमाह अंषदान मण्डल में जमा कराएगी। (मण्डल की लगभग 90 सदस्यों में से अधिकांष द्वारा एक वर्ष की अवधि में इसका पालन किया जा रहा है। ) इससे परिवार में बचत की आदत को प्रोत्साहन मिलेगा एवं महिला मण्डल में सामूहिक पूंजी का निर्माण होगा। इस सामूहिक जमा पूंजी से मण्डल द्वारा सर्वसम्मत् निर्णय के पष्चात् समाज के परिवार एवं समाज हित के प्रकल्पों में विनियोग किया जाएगा। उपयुक्त समय पर इस मण्डल को मध्यप्रदेष सहकारिता विभाग अन्तर्गत् ‘‘महिला साख सहकारी संस्था’’ के रूप में पंजीकृत भी कराया जाएगा ताकि आवष्यकता होने पर जरूरतमंद सदस्य को आर्थिक संसाधन उपलब्ध हो सके। श्री आईजी महिला मण्डल ने अपने गठन के एक वर्ष में सभी सामाजिक धार्मिक उत्सवों के आयोजन में सक्रिय भूमिका का निर्वाह किया है। होली, दीवाली, गणगौर एवं भादवी बीज पर मण्डल ने महिलाओं के लिए सामूहिक, सांस्कृतिक रचनात्मक गतिविधियां आयोजित की है। विगत नवरात्रि पर भी महिला मण्डल ने बड़वानी योगमाया मंदिर परिसर में पूरे नौ दिन गरबा महोत्सव का कार्यक्रम रखा एवं बालिका तथा महिलाओं के लिए विभिन्न स्पद्र्धाओं का आयोजन किया। इसमें प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर आने वाले प्रतिभागियों को महिला मण्डल द्वारा शरद र्पूिणर््ामा पर विषेष कार्यक्रम में पुरस्कृत कर सम्मानित भी किया गया। इन आयोजनों में श्रीमती मीनाक्षी मुकाती, राधा मुकाती, मंजूला मुकाती, झूमाबाई परमार, उमा भायल, बालीबाई बद्रीजी सेप्टा की सक्रिय भूमिका रही। साथ ही कु. पिंकी मुकाती, जयु, दीपू मुकाती, मोनू मुकाती, षिवानी चोयल, सलोनी मुकाती ने भी सक्रिय योगदान दिया। इस प्रकार अपने गठन के एक वर्षीय कार्यकाल में श्री आईजी महिला मण्डल -बड़वानी ने सामाजिक धार्मिक एवं विभिन्न सामुदायिक कार्यो में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज की है। श्री आईमाता के प्रताप एवं परमपूज्य धर्मगुरू दीवान सा. के आषीर्वाद से यह क्रम आगे भी जारी रहेगा।