
‘‘अखिल भारतीय सिर्वी महासभा, समाज में संगठन, शिक्षा एवं संस्कार के लिए कार्य करेगी’’
श्री मनोहरलाल मुकाती, प्रान्ताध्यक्ष (09981265282)
अ.भा.सिर्वी महासभा,(मध्यप्रदेश)
प्रस्तुतिः- हीरालाल देवड़ा, सिवई (बड़वानी)/09893844571
अखिल भारतीय सिर्वी महासभा का प्रान्तीय अधिवेशन इन्दौर में दिनांक 28.अक्टूबर .2012 को सम्पन्न हुआ। इसमें महासभा के मध्यप्रदेश-छतीसगढ़ प्रान्त के लिए सर्वानुमति से श्री मनोहरलालजी मुकाती को प्रान्तीय अध्यक्ष चुना गया। साथ ही प्रान्तीय कार्यकारिणी के अन्य 31 पदाधिकारी भी मनोनीत किये गए एवं लगभग 30 सदस्यीय संरक्षक मार्गदर्शक मण्डल भी गठित किया गया।
बड़वानी निवासी श्री मनोहरलाल मुकाती पेशे से शासकीय शिक्षक हैं एवं क्षेत्र में आपको ‘‘मास्टर सा.’’ के उपनाम से जाना जाता है। आपका जन्म दिनांक 22.मार्च 1954 को पिता श्री दीपाजी काग (लोनसरा वाले) एवं माता श्रीमती झूमाबाई के घर हुआ। सहज एवं सरल स्वभाव के धनी श्री मुकाती का प्रारंभिक जीवन अत्यधिक कष्टमय रहा एवं इन्होने स्वयं छोटे बड.े कार्य करते हुए एम.ए .(इतिहास) तक शिक्षा प्राप्त की। इनके पुत्र श्रीकांत मुकाती बड़वानी में एडवोकेट है।
श्री मुकाती को 1976-77 में राष्टीय सेवा योजना अन्तर्गत् महाविद्यालय स्तर पर सर्वश्रेष्ट छात्र घोषित किया गया। कालेज जीवन में वे छात्र राजनीति में सक्रिय रहे एवं वर्ष 1978 में बड़वानी महाविद्यालयीन छात्रसंघ के सचिव भी रहे। किन्तु कालान्तर में आपने शासकीय सेवा में रहते हुए समाजनीति को ही अपना ध्येय बनाया। इनका मानना है कि राजनीति लोगो को तोड़ती है, जबकि समाजनीति लोगो को जोड़ती है। देश की अनेक समस्याएं आज राजनीति की बजाय समाजनीति से हल हो सकती है।
श्री मुकाती ने 1972-75 की अवधि में श्री आईमाता के बड़वानी मंदिर में विनम्र सेवक की भंाति सेवा दी, । तत्पश्चात् शासकीय सेवा में शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए भी विगत 40 वर्षो से निमाड़ मालवा के समाजजनों में पंथ के सिद्धान्तों एवं सामाजिक जनजागृति के मुद्दों पर कार्य किया है। बेदाग चरित्र एवं पवित्र आचरण आपकी सबसे बड़ी पूंजी रही है। मई 1986 में आपने बड़वानी से ओंकारेश्वर तक सिर्वी समाज के 60 नवयुवकों को संगठित कर जन जागरण सायकिल रैेली निकाली एवं वर्ष 1987 में इस अभियान में लगभग 300 से अधिक युवाओं को जोड़ा एवं बड़वानी से उज्जैन तक सायकिल रैली निकाली। इसमें युवाओं ने पूर्ण जोश-खरोश के साथ हिस्सा लिया एवं समाज के ग्रामों में सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करते हुए जन जागृति के महती कार्य में भागीदार बने । आज भी उस जज्बे को याद कर अनेक समाजजन सामाजिक जनजागृति की प्रेरणा प्राप्त करते हैं....... ।
समाज के युवाओ,,बुजुर्गाो एवं महिला शक्ति के सहयोग से आपकी पहल पर बड़वानी में 10 मार्च 1999 को बड़वानी में विशाल धर्म एवं समाज सुधार सभा का आयोजन परम श्रृद्धेय धर्मगुरु दीवान श्री माधवसिंहजी के नेतृत्व में हुआ था। इसमें करीब 50 हजार समाजजनों ने हिस्सा लिया.... यह एक अद्वितीय मिसाल थी...... तथा अन्य किसी भी समाज का इतना गरिमामय एवं विशाल आयोजन आज तक बड़वानी में नही हुआ। इस अवसर पर समाज सुधार के अनेक प्रस्ताव पारित किये गए थे। इसी सम्मेलन में जो विचारमंथन हुआ उसकी परिणिती स्वरूप आज समामजजनो के सामूहिक प्रयास से बड़वानी में सिर्वी समाज का अपना ‘‘श्री आईजी छात्रावास’’ का एक भव्य भवन निर्मित होकर तैयार हो गया है।
श्री मुकाती के अखिल भारतीय सिर्वी महासभा के म.प्र. के प्रान्तीय अध्यक्ष चुने जाने पर संगठन एवं समाज के संबंध में भावी योजनाओं के संबंध में जब उनसे बात की गई तो विनम्रतापूर्वक उन्होने जो उत्तर दिये उनसे उनकी दूरदृष्टिपूर्ण सोच एवं सकारात्मक विचारधारा का परिचय मिलता है। अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट करते हुए उनका मानना है कि प्रदेश में सर्वप्रथम अखिल भारतीय महासभा की परगना इर्कायों का गठन करना है। इस हेतु सर्वप्रथम मध्यप्रदेश के विभिन्न अंचलो में बसे सिर्वी समाज के ग्रामों एवं उनकी जनसंख्या के मान से परगना क्षेत्रों का निश्चित एवं स्पष्ट सीमांकन सर्वानुमति से किया जाएगा। इसके लिए ग्राम स्तर की समितियों का गठन भी महासभा के निर्देशानुसार कराया जाएगा। हमारे राष्टीय अध्यक्ष श्री प्रेम प्रकाशजी चैधरी लोकतांत्रिक विकेन्द्रीयकरण के जिस सिद्धांत के आधार पर सर्वव्यापी, सशक्त एवं प्रभावशाली संगठन खड़ा करना चाहते है उसमें मध्यप्रदेश भी सभी समाजजनों के सहयोग से अग्रणी रहेगा। ग्राम एवं परगना स्तर पर संगठन की गतिविधियों में अधिक से अधिक लोगो को सक्रिय रुप से जोड़ने पर ही संगठन व्यापक एवं मजबूत बनेगा।
सिर्वी महासभा के उद्देयों पर चर्चा करते हुए आपने बताया कि- जो परिवार या समाज संगठित नही होते वे वक्त के साथ प्रगति नही कर सकते एवं नवीन चुनौतियों का सामना नही कर सकते। अतः संगठन आज की पहली आवश्यकता है। कहा भी गया है कि- ‘‘संघे शक्ति कलियुगे’’ अर्थत कलियुग में संगठन ही शक्ति का स्त्रोत होता है। संगठन का द्धितीय ध्येय समाज में शिक्षा का प्रसार करना है। विशेषकर बालिका शिक्षा पर जोर दिये जाने की आवश्यकता है। क्योंकि यदि एक बालिका शिक्षित होती है तो वह दो परिवारों का भविष्य बना सकती है। समाज के प्रत्येक ग्राम में प्रारंभिक शिक्षा के लिए समाज द्वारा संचालित विद्यालय स्थापित करना हंोगे। इसी प्रकार जिला स्तर पर हायरसेकण्डी एवं संभाग स्तर पर उच्च एवं तकनीकी तथा व्यावसायिक शिक्षा के लिए सिर्वी समाज द्वारा संचालित शिक्षण संस्थाएं होना आवश्यक है। इन्दौर सिर्वी समाज टस्ट द्वारा इस दिशा में की जा रही पहल सराहनीय हैे, जिसे सिर्वी महासभा अपने स्तर से इस प्रकल्प को पूर्ण समर्थन एवं सहयोग प्रदान करेगी। समाज में डाक्टर इंजीनियर तो बने हैं किन्तु आज भी प्रशासनिक एवं न्यायिक पदों पर संख्या नगण्य है। अभी भी बड़े शहरों में समाज के छात्रावास निर्माण करने की आवश्यकता है, ताकि समाज के कमजोर आर्थिक स्थिति के परिवारों के बच्चे भी शिक्षा के क्षेत्र में आगे आकर अच्छी शैक्षणिक एवं कोचिंग संस्थाओं का लाभ लेकर अपना,,परिवार का एवं अंततः समाज तथा देश का कल्याण कर सके। अब समाज के लिए सिर्फ प्रतिभा सम्मान तक सीमित नही रहते हुए प्रतिभा के निर्माण में योगदान देने का समय आ गया है। प्रतिभावान बच्चों को अध्ययन के लिए प्रत्यक्ष आर्थिक मदद भी दी जा सकती है। अखिल भारतीय महासभा की मध्यप्रदेश इकाई राष्टीय इकाई के मार्गदर्शन में इस दिशा में कार्य करेगी।
आर्थिक विकास के लिए संगठित प्रयासों का अपना महत्व है। सिर्वी समाज में आज दोनो प्रकार के वर्ग अस्तित्व में हैं- वे जिनके पास अतिरिक्त पूंजी है, और वे जिन्हे अपने विकास के लिए पूंजी की आवश्यकता है। इस परिवेश में ‘‘एक सब के लिए एवं सब एक के लिए’’ अर्थात सहकारिता का मार्ग आज समाज के लिए उन्नति के नए द्वार खोल सकता है। इस प्रकल्प से सिर्वी समाज के दोनो वर्ग लाभंावित होंगे। अखिल भारतीय सिर्वी महासभा के स्तर पर आम सहमति होने पर प्रदेश में भी ‘‘सिर्वी समाज के सहकारी बैंक’’ की स्थापना की दिशा में अग्रसर होने की मंशा है।
किसी भी संगठन की गतिविधियों के सुचारु संचालन के लिए उसके पास स्वयं का कोष होना आवश्यक है। अखिल भारतीय सिर्वी महासभा में सर्वानुमति से समाज के व्यापारी, शासकीय सेवक, इंजीनियर,-डाॅक्टर एवं बड़े किसानों तथा अन्य प्रमुख दानदाताओं से नियमित रूप से राशि लेने की सर्वसम्मत व्यवस्था की जाएगी। साथ ही सर्वानुमति बनने की स्थिति में सिर्वी समाज के प्रत्येक परिवार से प्रतिवर्ष एक निश्चित ‘‘अंशदान’’ लेने की व्यवस्था की जाएगी। यह राशि परगना, प्रदेश एवं राष्टीय स्तर पर अखिल भारतीय सिर्वी महासभा के कोष में निश्चित अनुपात में जमा होगी एवं समाज के कल्याण हेतु आवश्यक योजनाओं में इस राशि का पूर्ण पारदर्शिता के साथ सदुपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
आज समाज के अनेक रीति रिवाजों एवं परम्पराओं में परिवर्तन की आवश्यकता है एवं इसके लिए नारी शक्ति द्वारा पहल एवं उनका सक्रिय सहयोग आवश्यक है। नारी का सम्मान हमारे आईपंथ की प्रमुख विशेषता हैं। मातृ शक्ति संस्कारो की वाहक होती है। ‘‘सशक्त नारी सशक्त समाज’’ की अवधारणा में विश्वास करते हुए सभी स्तरों पर सशक्त महिला संगठन तैयार करना भी महासभा की प्राथमिकता रहेगी।
समाज की सहमति, सक्रिय भागीदारी एवं सर्वानुमति ही अखिल भारतीय सिर्वी महासभा की शक्ति का असली स्त्रोत है। समस्त पदाधिकारियों एवं वरिष्ठ तथा अनुभवी संरक्षक सलाहकार मण्डल के माध्यम से प्रादेशिक इकाई इस ध्येय को प्राप्त करने का पूर्ण प्रयास करेगी एवं राष्टीय इकाई के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगी।
श्रीआईमाता की सद्प्रेरणा एवं धर्मगुरु दीवान सा. के शुभ आशीर्वाद से हम इसमें अवश्य ही सफल होंगें।
सम्पक सूत्र:-
(श्री मनोहरलाल मुकाती मो.नं. 09981265282.)
प्रेषकः- हीरालाल देवड़ा, सिवई (बड़वानी)
09893844571/09617024140.
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