सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 29 May 2012, 16:10:52

सीरवी बन्धुओं की विभिन्न समस्याओं एवम् परेशानियों के यथासंभव निराकरण हेतु ग्राम स्तर, प्रदेश स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग समितियॉ बनाई जावे।
उदाहरण के लिए:-
1. कृषि सम्बन्धित समस्या निवारण समिति:-
लगातार रासायनिक खादों एवं जहरीले कीटनाशकों के प्रयोग से खेती की जमीन धीरे-धीरे अनुपजाऊ हो रही है तथा खेती में डाले गये रसायन एवं जहरीले कीटनाशक मनुष्य के शरीर में अन्न, सब्जियॉ, फल आदि द्वारा प्रवेश कर विभिन्न जटिल बीमारियाँ पैदा कर रहे हैं । दुधारू पषुओं के द्वारा ऐसी ही खेती पर आधारित चारा चरने से उनके दूध में भी विषैला प्रभाव आता है । इससे एक तरफ किसान की आर्थिक हानि होती है एवं दूसरी तरफ स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है । ऐसी समस्या के निराकरण हेतु समाज के कृषि विशेषज्ञों की समिति बनाई जाये जो जैविक खेती के तौर-तरीके बतलाएंगे ।
2. स्वास्थ्य समस्या निवारण समिति:-
समाज के बहुत से बन्धु अपनी छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं । इससे छोटी समस्या विकराल रूप ले लेती है । इससे व्यक्ति एवं पूरा परिवार गम्भीर रूप से प्रभावित होता है । ऐसी समस्या के निराकरण हेतु समाज के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की समिति बनाई जावे । जो आयुर्वेद, योग, प्राणायाम, प्रकृति निदान जैसी हमारी पुरानी शास्त्रीय पद्धतियों के अनुसार रोगों के निवारण हेतु परामर्ष देगी ।
3. घरेलु समस्या निवारण समिति:-
समाज के अनेक बन्धु छोटे-मोटे घरेलु झगड़ों में उलझ जाते हैं एवं परिवारों में तनाव पैदा हो जाता है । जैसे छोटी-छोटी बातों पर तलाक देना, खेती एवं अन्य प्रोपर्टी सम्बन्धित विवाद बढ़ते-बढ़ते विकराल रूप ले लेते हैं एवं कभी-कभी मार-पीट भी हो जाती है तथा प्रकरण कोर्ट-कचहरी में चला जाता है । इससे परिवारों में तनाव होता है तथा वकीलों के चक्कर काट कर समय व धन खराब होता है । ऐसी ही समस्या के निवारण हेतु न्याय संगत एवं अनुभवी सीरवी बन्धुओं की समिति बनाई जावे जो पीड़ित व्यक्ति, परिवार के पास जाकर समस्या के उचित निराकरण की पहल करे ।
4. परिचय सम्मेलन समिति:-
समाज के अनेक युवक-युवतियाँ अपरिहार्य कारणों से दूसरे समाजों में सम्बन्ध बना लेते हैं । इस समस्या के निदान हेतु प्रतिवर्ष प्रादेशिक स्तर पर परिचय सम्मेलन आयोजित कराये जावे ताकि समाज के बच्चे-बच्चियों के सम्बन्ध समाज में ही हो सके ।
5.विद्यार्थी मार्गदर्शन समिति:-
समाज के प्रतिभावान बच्चे-बच्चियाँ परिस्थितिजन्य कारणों से सीमित शिक्शा ले पातें हैं । अखिल भारतीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा में सफलता हेतु विशेष मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती है । इस हेतु प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर समाज के पढ़े लिखे प्रबुद्ध व्यक्तियों की समिति बनाई जावे जो प्रतिभावान बच्चे-बच्चियों को उचित मार्गदर्शन देंगे । जिससे समाज के अधिक से अधिक बच्चे-बच्चियाँ अखिल भारतीय स्तर पर ऊँची प्रतिस्पर्धा में सफल हो सके ।
6. परिवार संस्कार समिति:-
हिन्दू संस्कृति में प्रचलित मनुष्य जीवन के सोलह (16) संस्कार समाज में विलुप्त हो रहे हैं । संस्कारवान संतति की प्राप्ति हेतु यह आवश्यक है कि जन्म के पूर्व से लेकर जन्म के बाद एवं मृत्यु पर्यन्त तक शास्त्रों में उल्लेखित 16 संस्कारों का पालन किया जावें । जिससे संस्कारवान बच्चे-बच्चियाँ जन्म ले सकें एवं समाज तथा देश में नाम ऊँचा कर सके ।
7. महिला समिति:-
वर्तमान में किसी भी समिति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं है । अतः महासभा एवं समाज की अन्य कार्यकारिणों में महिलाओं का समुचित प्रतिनिधित्व होना चाहिए ।
8. कुरीति उन्मूलन समिति:-
देश के अलग-अलग भागों में समाज के अन्दर कुछ कुरीतियाँ भी है जिन्हें अच्छी समझ कर उनके बदले में शास्त्रोक्त रिति-रिवाजों का प्रचलन करे ।
9. नशा निवारण समिति:-
समाज के अनेक बन्धु मांसाहार एवं विभिन्न प्रकार के नशों की तरफ जा रहे हैं । इससे सम्बन्धित व्यक्तियों एवं परिवार का किसी प्रकार से भला नहीं होता है । ऐसी समस्या के उन्मूलन हेतु समाज के सदाचारी व्यक्तियों की समिति बनाई जावे जो सम्बन्धित व्यक्तियों को प्रभावी तरीकों से खराब आदतें छुड़वायेंगे । यही समिति जुँआ खेलने वालों को भी हतोत्साहित करेंगी ।
10. देश के अनेक भागों में बडेर, मन्दिर की जमीनें हैं जिन पर समाज के कुछ बन्धुओं का कब्जा है एवं वे लोग बडेर की जमीन को निजी जमीन मान कर उपयोग कर रहे हैं । यह कृत्य न्यायालय के आदेशों के अनुसार गलत सिद्ध हुआ है । बडेर की जमीन का समाज के हित में उपयोग होना चाहिए । ऐसे प्रत्येक प्रकरण में अलग-अलग समिति बनाई जानी चाहिए ।
11.समाज के अन्दर प्रभावी आध्यात्मिक मार्गदर्शन के अभाव में समाज के बन्धु अपनी आध्यात्मिक आवश्यकताओं हेतु अन्य आध्यात्मिक धर्म-गुरूओं की शरण में जा रहे हैं । यह ‘‘आई-पंथ’’ को कमजोर करता है । इस हेतु समाज के सदाचारी, आध्यात्मिक व्यक्तियों की समिति होना चाहिए जो आई-पंथ के गहन आध्यात्मिक पहलुओं को समाज में प्रभावी ढंग से फैलाकर लोगों का विश्वास इस में पुनर्स्थापित करे ।
12.सीरवी महासभा के कार्यकारिणी एवं अन्य समितियों में केवल सीरवी बन्धु ही रखे जावे । राजपूत या अन्य समाज के लोग ऐसी समितियों में नहीं होने चाहिए । समाज के मंच का राजनीतिक उपयोग नहीं होना चाहिए ।
वर्तमान में सीरवी सन्देश पत्रिका की समिति में व्यक्ति विशेष के प्रशंसक एवं रिश्तेदार रखे गये हैं । इससे सीरवी सन्देश पत्रिका में समाज की विकास गतिविधियाँ उचित प्रकार से नहीं दर्शायी जा रही है । ऐसी समिति को तुरन्त प्रभाव से हटाकर विद्वान एवं न्याय संगत व्यक्तियों को रखा जाये । जिससे सीरवी सन्देश पत्रिका पूरे समाज के दर्पण की तरह कार्य कर सके ।
इसी प्रकार आवश्यकता अनुसार अन्य समितियाँ बना सकते हैं । समितियों में सदाचारी व्यक्तियों को लिया जाना चाहिए । उपरोक्त उपसमितियों के गठन एवं कार्यरत होने पर सीरवी समाज में नई चेतना आयेगी एवं आई-पंथ के सिद्धान्तों का पालन होकर समाज के विकास पर अच्छा प्रभाव पडे़गा ।
द्वारा - प्रोफेसर प्रेमचन्द कोटवाल M.Sc.,Ph.D.,D.Sc.
भोपाल (म.प्र.)
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