सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 07 Apr 2012, 01:04:55

हमारे देश में चमत्कार होना आम बात है लेकिन चमत्कार कि हकीक़त से भी सभी लोग वाक़िफ़ हैं। पीले सोने में गजब की आकर्षण क्षमता होती है,लेकिन चमत्कार की क्षमता नहीं। फिर यह चमत्कार कैसे हो रहा है की सोना दिन दुगनी और रात चौगुनी की तेज रफ्तार से बढ रहा है वह भी तब जब की मंदी का दौर है। यह सब खेल है पीले सोने के सहारे ब्लैक को व्हाइट करने का।
बात थोड़ी अजीब है लेकिन सोलह आने सच है। इस बात को समझने के लिए सोने के विषय में कानूनी स्थिति पर जरा नजर डालिए। भारत में शादीशुदा महीला 500ग्राम तक सोने रख सकती है और भारत सरकार का आयकर विभाग इतना सोने के विषय में पुछ ताछ नहीं करता क्योंकि ऐसा माना जाता है की भारतीय महिला चाहे वह कितनी भी गरीब क्यों न हो उसके पास सोना रहता है। और अगर इससे ज्यादा रखते हैं तब भी आयकर विभाग के पुछ ताछ से बचा जा सकता है यह कहकर की यह गिफ्ट में मिला है बस आपको चन्द रुपए खर्च करके गिफ्ट सर्टिफिकेट बनवाना होगा जो आसानी से बन जाता है। हिंदु अविभाजित परिवार के पास उपलब्ध सोने की ज्वैलरी के विषय में भी आयकर विभाग नहीं पूछता क्योंकि सोने की ज्वैलरी पैतृक संपति के रुप में स्त्रीधन माना जाता है।
भारत में पीले सोने की खपत
दुनियाँ में भारत 10वें स्थान पर पीले सोने के स्वामित्व के आधार पर है। भारत में सबसे ज्यादा सोने की खपत दक्षिण भारत में है जो देश के पूरे खपत का 40 प्रतिश्त है। औसतन देशभर में लगभग 500 से 750 टन सोने की खपत है। बिल क्रूड आयल के बाद देश में सबसे ज्यादा आयात सोने का ही होता है,ऐसोचैम के अनुसार 2015 में यह 100अरब के पार पहुँच जाएगा।
बेहद फायदे का कारोबार
सोने का कारोबार बेहद फायदे का कारोबार है इस कारोबार में रिस्क कम और फायदा बैंक एफ डी से भी ज्यादा होता है। सोने से किस प्रकार का चमत्कारी फायदा हो सकता है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि महज 24 घंटे में में 10 ग्राम सोना आपको 1310 रुपए का फायदा दे सकता है जी हां यह कोई दास्तां नही बल्कि हकीक़त है। 18 अगस्त 2011 को 10 ग्राम सोने की कीमत 26,840 रुपए थी और 24 घंटे बाद 19 अगस्त 2011 को 10 ग्राम सोने की कीमत हो गई 28,150 रुपए यानी 24 घंटे में 1310 रुपए का बचत। यह है पीले सोने का करिश्मा।
कैसे होता है काले धन को सफेद करने का खेल
गोल्ड लोन के जरिए- काले धन से पहले लोग कैश से सोने की ज्वैलरी की खरीदारी करते है क्योंकि कैश से सोना खरीदने में कोई टेक्स नहीं लगता और सोना बेचने वाले के लिए यह भी जरुरी नहीं के पैसा कैसा है। बाद में सरकारी व अर्धसरकारी बैंक से गोल्ड के अगेन्सट लोन ले लेते है। हो गया न ब्लैक से व्हाइट मनी क्योंकि लोन का पैसा तो बैंक के जरिए मिला है। इस तरह से बड़े आसानी से हो जाता है ब्लैक से व्हाइट मनी वो भी बिना टैक्स के। यही कारण है की गोल्ड लोन का कारोबार बड़ी तेजी से बढ रहा है। गोल्ड लोन कि जिस तरह से मार्केटींग हो रही है काफी हद तक इस बात की पुष्टि भी करता है कि यह खेल अब कितना व्यापक पैमाने पर हो रहा है।
सोने की खरीद और अर्थव्यवस्था
भारत में सोने की खरीदारी पर पाबंदी नहीं है लेकिन आर्थिक सर्वे में यह सुझाव दिया गया है कि यदि भारतीय सोने की खरीदारी कम करेंगें तो देश के अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा। पहला कारण भारत में लोग सोने की होल्डिंग की जानकारी सरकार को नहीं देते हैं जिससे खरीदारी तो होता है लेकिन सरकार को वेल्थ टेक्स नहीं मिलता क्योंकि 30 लाख रुपए से ज्यादा पर 1प्रतिश्त वैल्थ टेक्स बनता है और कालाबाजारी को बढावा मिलता है। दुसरा कारण यदि खरीदारी जारी रही तो सरकार को आयात बढाना पड़ेगा और आयात बढा तो अर्थव्यवस्था कमजोर होगा।
पीले सोने की चमक यकीनन आकर्षक है और सोने से मिलने वाला लाभ चमत्कारी लेकिन कालाबाजारी और काले को सफेद करने का खेल देश के लिए और देशवासियों के लिए गुणकारी नहीं।