सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 04 Mar 2012, 19:34:57
स्मेक की खरीद-फरोख्त पर पुलिस की कड़ी नजर के चलते स्मेक के शोकिनो ने इसका विकल्प दवाईयो के रूप में ढूंढ लीया है तथा दवाईयो के दुकानदारो की इन दिनो पौ-बारह बनी हुई है, जबकि प्रतिबन्धित दवाईयो की बिक्री डाक्टर की पर्ची के बिना देना अपराध की श्रेणी में आता है तथा नियमानुसार दवा विके्रता का अनुज्ञापत्र निरस्त कीया जा सकता है।
स्मेकियो द्वारा जिले भर में विभिन्न प्रकार के अपराध कारित करने तथा कस्बे में स्मेकियो द्वारा तिहरे हत्याकाण्ड को अंजाम देने के पश्चात जिला पुलिस खासी सख्त हो गई हैतथा स्मेकियो पर कड़ी नजर रखी जाने के साथ-साथ शौकिनो की सूची भी बना डाली है। कड़ी कार्यवाही के चलते स्मेक सप्लायर भी इन दिनो भुमिगत हो चुके है ऐसे में नशे के आदि नवयुवको ने प्रतिबन्धित पीने की दवाओ(सिरप) नशे के इन्जेक्सन एवं केप्सूल का शेवन करने लगे है।
ये नशीली दवाऐ
फोर्टविन, फीर्नागन में कम्पोज मिला कर इंजेक्सन लेना, पीने की दवा के रूप में कोरेक्स, सेन्सीडिल सीरप तथा कोडीन(नशीला पदार्थ) युक्त प्रोक्सीवान केप्सूल, अनगिनीत ट्राईका(नींद की गोली) के अलावा व्हाईटनर के साथ आने वाली शीशी जिसमें हल्के प्रभाव वाला स्प्रीट होता है का ये नशे के शोकिन युवक धड़ल्ले के साथ लेने लगे है। दवा विक्रेता भी नशे के आदि इन युवको से मुहमांगे दाम वसूलते है, खासी की दवा कोरेक्स जो ५२ रूपये की है के ७०-७५ रूपऐ तक ले लेते है, इसी प्रकार अन्य दवाऐ भी डॉक्टर की पर्ची बिना मुहमांगे दामो पर बिक रही है।
ढेर पड़े है खाली शिशियो के
संवाददाता द्वारा पड़ताल किए जाने पर एक्सिस बैंक के पास की गली में खाली कोरोक्स एवं अन्य सीरप की खाली शिशियो का ढेर लगा देखा गया यही हाल बालिका सीनियर सैकेण्डरी स्कूल के पास की गली में देखा गया। इन स्थानो के अलावा सफाई कर्मचारियो ने भी पुष्टी करते हुए बताया कि सफाई के दौरान उन्हे इन दिनो कोरेक्स, सेन्सीडिल सीरप की खाली शिशिया बहुतायत में मिल रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार स्मेक के शोकिन इस प्रकार के ड्रग्स का इस्तेमाल इसलिए करते है कि शराब के शेवन से मुँह में बदबू आती है जबकि इन दवाओ से स्मेक जैसा ही नशे का आनन्द आता है।
" डाक्टर द्वारा लिखी किसी भी प्रकार की दवाई ग्राहक को मेडिकल स्टोर के मालिक द्वारा देना अपराध की श्रेणी में आता हैतथा नशीली दवाईया बेचते पाऐ जाने पर अनुज्ञा पत्र निरस्त कर दिया जाता है।"
- डा. चन्द्रशेखर आसेरी (वरीष्ठ चिकित्साधिकारी)
प्रेषक - ओमसिंह राजपुरोहित बिलाड़ा