सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 17 Feb 2012, 09:39:07

जोधपुर। मारवाड़ के धन्ना सेठ आयकर विभाग की नजर से पूंजी बचाने के लिए नित-नए हथकंडे अपना रहे हैं। इसके बावजूद आयकर विभाग की नजर से बच नही पाते हैं और कुछ समय पर बाद पकड़ में आने पर कर चुकाना पड़ता है। आयकर विभाग के आंकड़े खुद इस बात की गवाही दे रहे हैं।
आंकड़ों के अनुसार मुख्य आयकर आयुक्त सर्किल जोधपुर के अन्तर्गत वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान 296 लोगों ने बैंकों में एक मुश्त दस लाख से अधिक की पूंजी जमा कराई थी। वहीं 102 ने तीस लाख से अधिक की प्रोपर्टी का बेचान किया था। वहीं महज 32 लोगों ने ही तीस लाख से अधिक की प्रोपर्टी खरीदना बताया है। ये आंकड़े खुद बता रहे हैं कि आयकर से बचने के लिए धन्ना सेठों ने अन्य तरीके अपनाए हैं।
अपनाते हैं ये हथकंडे
आयकर विभाग की नजर में नहीं आए इसके लिए कई लोग पूंजी जमा के दौरान पेन कार्ड का उपयोग नहीं करते हैं। परिवार के अन्य लोगों के नाम से अलग-अलग खातों में राशि जमा करा देते है। एक से अधिक बैंकों में अपने खाते रखते है और हर खाते में अधिकतम सीमा से कम राशि जमा कराते हैं। साथ ही प्रोपर्टी खरीद में भी कम राशि दर्शाई जाती है।
यह है स्थिति
वर्ष 2008-09 के आंकड़ों की तुलना में वर्ष 2009-10 में दस लाख से अधिक की राशि एक मुश्त बैंक में जमा कराने वालों की संख्या महज 8 ही हैं, वहीं 30 लाख से अधिक की प्रोपर्टी खरीदने वालों की संख्या केवल 6 ही है। 30 लाख से अधिक की प्रोपर्टी बेचने वालों की संख्या 13 है। आंकड़े खुद यह साबित कर रहे हैं कि आयकर से बचने के लिए धन्ना सेठों ने पेनकार्ड का इस्तेमाल तक नहीं किया है।
जिससे लेन-देन का विवरण आदि आयकर विभाग को सॉफ्टवेयर के माध्यम से सीधे नहीं मिल पाते हैं। बाद में विभाग की ओर से बैंक और रजिस्ट्री कार्यालय या अन्य माध्यम से रिकार्ड लेने पर कार चोरी करने वालों के
साभार - पत्रिका