सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 14 Feb 2012, 10:12:15
क्षत्रिय सीरवी समाज : धर्मगुरु ने आशीर्वचन के साथ दी ईमानदारी व मेहनत से आगे बढऩे की सीख
बड़वानी,क्षत्रिय सीरवी समाज के धर्मगुरु दीवान साहब श्री माधवसिंहजी शुक्रवार को शहर में पधारे। जगह-जगह समाजजनों ने उनका भव्य स्वागत किया। धर्मगुरु ने समाज की नई कार्यकारिणी के पदाधिकारियों को एकजुटता के साथ समाजहित में सदैव तत्परता के साथ प्रयासरत रहने के संकल्प के साथ शपथ दिलाई वहीं पूर्व पदाधिकारियों का सम्मान भी किया। छात्रावास के कक्ष निर्माण में सहयोग करने वाले दानदाताओं को शॉल-श्रीफल देकर सम्मानित किया। समाज की सभा में खरगोन, बड़वानी, धार, उज्जैन व अन्य जिलों से आए समाजजनों को धर्मगुरु ने आशीर्वचन दिए और ईमानदारी व मेहनत के बल पर आत्मनिर्भर बनने की सीख दी।
दानदाताओं की सूची का अनावरण : दोपहर १.३० बजे धर्मगुरु श्री माधवसिंहजी करी रोड स्थित क्षत्रिय सीरवी समाज के छात्रावास में पहुंचे। यहां पर उन्होंने छात्रावास के निर्माण में सहयोग करने वाले दानदाताओं की सूची का अनावरण किया। इस सूची के साथ प्रतिवर्ष एक हजार रुपए दान करने वाले समाजजनों की सूची का भी अनावरण हुआ। इसके बाद नई कार्यकारिणी के पदाधिकारियों को धर्मगुरु के समक्ष श्री भगा बाबाजी ने शपथ दिलाई।
नई कार्यकारिणी के पदाधिकारी : नई कार्यकारिणी में समाज के अध्यक्ष कालूरामजी लछेटा, उपाध्यक्ष रणछोड़ पटेल, जगदीश जमादारी, पन्नालाल मोगरे, कोषाध्यक्ष जगदीश राठौर, सचिव जगदीश सोलंकी, सहसचिव प्रेमचंद राठौर ने शपथ ली। इस दौरान वरिष्ठ समाजसेवी रामलालजी मुकाती, धन्नालाल मुकाती, मांगीलाल गेहलोत, भगवान चौधरी, मनोहर मुकाती, मोहन परमार, नेमाजी बरफा, भगवान बरफा, मोहन मुकाती आदि उपस्थित थे। संचालन मनोहर मुकाती ने किया।
११ नियमों का करें पालन
धर्मगुरु श्री माधवसिंहजी ने समाजजनों को आशीर्वचन देते हुए कहा समाज के लोग कुलदेवी आदिशक्ति अवतारी मां भगवती श्री आई माताजी के ११ नियमों का पालन करें। सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देते हुए मिसाल पेश करें। समाज द्वारा प्रत्येक गांव में मांगलिक भवन का निर्माण किया जाना चाहिए।
खेती के साथ अन्य व्यवसाय भी करें
समाज के लोग खेती के साथ अन्य व्यवसाय भी करें। प्रत्येक परिवार में से एक सदस्य अन्य व्यवसाय से भी जुड़ें। सालाना फसल की लागत, उत्पादन, खर्च एवं लाभ का पूरा ब्यौरा रखें। शादियों व मृत्युभोज में होने वाले अनावश्यक खर्च बंद करें क्योंकि किसान का पैसा उसके गाढ़े पसीने की कमाई का पैसा होता है। इसलिए इसे व्यर्थ ना गंवाए। बचत की आदत डालें। बचत करें और भावी पीढ़ी को भी सिखाएं। नशे से दूर रहें।