सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 11 Feb 2012, 11:51:58
नई दिल्ली. आर्थिक संकट, जंग, विवाद और प्राकृतिक आपदाओं और दुश्वारियों के बावजूद चार साल पहले की तुलना में आज दुनिया जीने के लिए ज़्यादा बेहतर जगह है। लेकिन ज़्यादा पैसे कमाने का मतलब ज़्यादा खुशी नहीं है। यह बात एक अंतरराष्ट्रीय सर्वे में सामने आई है।
सर्वे के मुताबिक दुनिया में इंडोनेशिया, भारत और मेक्सिको के लोग अपनी ज़िंदगी से सबसे ज़्यादा संतुष्ट हैं। पांच सबसे खुशहाल पांच देशों में ब्राजील, तुर्की भी शामिल हैं। ये देश दुनिया के विकासशील देशों में शामिल हैं, जहां लोगों की औसत कमाई दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकतों के नागरिकों की औसत कमाई से काफी कम है। वहीं, जबकि हंगरी, दक्षिण कोरिया, रूस, स्पेन और इटली में सबसे कम लोग अपनी ज़िंदगी से खुश हैं। दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकतों-अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों की खुशी को परखने के लिए हुए इस सर्वे में बीच की स्थिति में हैं जो इस बात की तस्दीक करते हैं कि खुशी सिर्फ पैसे से नहीं मिलती। 24 देशों में 18000 लोगों का सर्वे करने वाली इप्सोस ग्लोबल के उपाध्यक्ष जॉन राइट ने इस बारे में कहा, 'आर्थिक मजबूती के अलावा खुशी के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। यह एक कारक तो है, लेकिन यह पूरी कहानी नहीं है।'
इस सर्वे में शामिल 75 फीसदी लोगों ने कहा है कि वे अपनी ज़िंदगी से खुश हैं और करीब 25 फीसदी लोगों ने खुद को बहुत ज़्यादा खुश बताया है। राइट ने कहा, 'आज दुनिया जीने के लिए ज़्यादा बेहतर जगह है और लोग ज़्यादा खुश हैं। हम इसका आकलन कर सकते हैं।'
सर्वे में इलाकों के हिसाब से भी वर्गीकरण किया गया है। लातिन अमेरिका में लोगों को सबसे ज़्यादा खुश बताया गया है। इसके बाद नंबर आता है उत्तरी अमेरिका, एशिया प्रशांत, मध्य पूर्व और अफ्रीका का। यूरोप के सिर्फ 15 फीसदी लोगों ने कहा कि वे अपनी ज़िंदगी से बहुत खुश हैं।
सर्वे में शामिल शादीशुदा जोड़े गैर शादी शुदा लोगों से ज़्यादा खुश पाए गए। उम्र और शिक्षा के हिसाब से भी खुशी में फर्क देखा गया। 35 साल से कम उम्र के ज़्यादातर लोगों ने कहा कि वे अपनी ज़िंदगी से बहुत खुश हैं। लेकिन इससे ज़्यादा उम्र के लोग इतने ज़्यादा खुश नहीं हैं। सर्वे के मुताबिक ऊंची डिग्री हासिल कर चुके लोग कम पढ़े लिखे लोगों से ज़्यादा खुश हैं।
साभार - दैनिक भास्कर