सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 29 Jan 2012, 10:10:15

देसूरी,जिले में ऐसे किसान जिनके पास कम से कम एक हैक्टेयर कृषि भूमि है, उनके लिए ग्वारपाठा (एलोवेरा) की खेती रोजगार का जरिया बन सकती है। किसानों को अभी ग्वारपाठा की खेती की पूर्ण जानकारी नहीं है। इसी के अभाव के चलते ग्वारपाठा से किसान अंजान हैं। उष्ण जलवायु में पैदा होने वाले ग्वारपाठा की खेती के लिए प्रदेश की जलवायु और मिट्टी बड़ी ही उत्तम मानी जाती है। ग्वारपाठा दो प्रकार का होता है। एक खारा और दूसरा मीठा खारा ग्वारपाठा। आयुर्वेदिक औषधियों एवं सौंदर्य प्रसाधन सामग्री तैयार करने के लिए इसे उपयोग में लिया जाता है। मीठा ग्वारपाठा का उपयोग अचार और सब्जी बनाने में किया जाता है। कृषि विशेषज्ञों एवं जानकारों के अनुसार एक हैक्टेयर में ग्वारपाठा के बीस हजार पौधे लगाए जा सकते हैं। इस पर वर्ष भर में 25 से 30 हजार रुपये का खर्चा आता है। एक किसान को ग्वारपाठा की खेती से लगभग 40 हजार रुपये प्रति हैक्टेयर लाभ हो जाता है। इतना ही नहीं मदर प्लॉट्स के पास डॉटर प्लांट्स ( छोटे पौधे) भी तैयार होते रहते हैं। किसान इन छोटे पौधों को बेचकर अतिरिक्त लाभ भी कमा सकते हैं। ग्वारपाठा की पत्तियों की तुड़ाई वर्ष में तीन से चार बार की जाती है। किसान को इनको बेचने के लिए मंडी व बाजार में जाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। ग्वारपाठा के उत्पाद और आयुर्वेदिक औषधियां बनाने वाली फर्म अथवा इकाइयों से संपर्क करने पर वे खुद आकर पत्तियां खरीद ले जाती हैं। शेषत्नपेज १५
इन बातों का रखें ध्यान
इसकी खेती के लिए किसानों को कुछ बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। जिसमें मुख्य रूप से खेत में इसकी बुवाई के लिए छोटे पौधे (9 से 12 इंच) का होना चाहिए। इससे इन पौधे के विकसित होने से पहले नष्ट होने का खतरा नहीं रहता है। मगर अभी इस खेती का आगाज क्षेत्र में नहीं हो पाया है। किसानों को इसकी खेती की जानकारी कृषि विभाग द्वारा दी जाली चाहिए। इस खेती को लेकर किसानों को जागरूक करने का प्रयास किया जाना चाहिए। वर्तमान में देसूरी, घाणेराव के आसपास के क्षेत्र में इसकी भरमार है। अगर किसान ग्वारपाठा की खेती के बारे में जागरूक हो गए तो यह रोजगार का जरिया बन सकता है।
साभार - भास्कर