सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 28 Jan 2012, 10:26:12
आज बसंत पंचमी है। ऋतुराज वसंत जहां प्रकृति को नए पत्तों और फूलों से सजाएगा। वहीं हमसे सृजन, प्रेम, प्रसन्नता और पर्यावरण संरक्षण का आग्रह करेगा। यह प्रकृति का पर्व है। इस बसंत हम प्रकृति को संवारने का संकल्प लेकर इसे सार्थक कर सकते हैं। आज अबूझ मुहूर्त में जगह-जगह एकल व सामूहिक विवाहों की धूम रहेगी।
ऐसे सार्थक करें जीवन में बसंत
प्रकृति : जल और वायु प्रदूषण रोकें। जल संरक्षित करें और इसे बढ़ावा दें। बसंत पंचमी पर हमारे अपनों को एक पौधा भेंट करें। प्रकृति संपन्न होगी, तभी बसंत रहेगा।
प्रेम : बसंत शृंगारित ऋतु है। प्रेम की प्रेरक। इस प्रेम को विस्तार दें। प्रकृति, पशु-पक्षी के साथ वंचितों से भी प्रेम करें। बड़ों को मान दें।
प्रसन्नता : बासंती वायु मन को प्रसन्न कर देती है। प्रसन्नता के धन को समझें। हर प्रतिकूल परिस्थिति में मुस्कुराने का संकल्प लें।
नई फसल : बसंत में नई फसल आती है। अन्न धन है। इसका सदुपयोग करें, रक्षा करें।
पूजन : बसंत पंचमी सरस्वती का प्राकट्य दिवस है। प्राचीन समय में वैदिक अध्ययन सत्र की शुरुआत श्रावणी पूर्णिमा से शुरू होकर बसंत पंचमी पर खत्म होती थी। इसी उपलक्ष्य में सरस्वती पूजन की परंपरा शुरू हुई। ज्ञान की देवी का पूजन कर सफलता सुरक्षित करें।
इसलिए अबूझ मुहूर्त है वसंत पंचमी
हिंदू पंचांग में तिथियां पांच तरह की होती हैं। एकम या प्रतिपदा नंदा, दूज या द्वितीया भद्रा, तीज या तृतीया जया, चौथ या चतुर्थी रिक्ता और पंचमी पूर्णा तिथि है। पंचमी और दशमी श्रेष्ठ तिथि मानी जाती है। हर काम में यह श्रेष्ठ होती है। बसंत पंचमी अबूझ तिथि भी है अर्थात इस दिन बिना मुहूर्त देखे ही विवाह आदि मांगलिक कार्य किए जाते हैं।