सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 25 Jan 2012, 19:33:04
बिलाड़ा। आईमाता की जय-जयकार के बीच हजारों नर-नारियों ने यहां बडेर में आईमाता, केशर ज्योत के दर्शन कर आईपंथ के दीवान माधोसिंह से आशीर्वाद प्राप्त किया, पूरे दिन बडेर में मेला लगा रहा, शाम को गैर दल गाजों-बाजों के साथ नाचता हुआ राजलाव दरवाजा पहुंचा जहां देशभर में आईपंथ का प्रचार-प्रसार कर लौटी आईमाता की 'बैल एवं जत्ती भग्गा बाबा, बाबा मंडली को बधाकर बडेर तक लेकर आऐ।
तडक़े से ही राजलाव दरवाजा से लेकर बडेर प्रागंण के बीच आईमाता के जयकारे गूजने लगे तथा मंदिर के बाहर श्रद्धालुओं की लम्बी कतारे लगने लगी। इस बार मारवाड़ के अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा तमिलनाडू से भी सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आए। चैन्नई से पेमाराम सीरवी दर्जनों श्रद्धालुओं का संघ लेकर आए जिनका गाजो-बाजों के साथ स्वागत किया गया।
आईपंथ के धर्मगुरू दीवान माधोसिंह ने पहली पूजा रनिया बेरे पर धूणी जाकर की, पश्चात जीजी माता की पाळ पर, पश्चात दीवान रोहिताश्वदास महाराज के जोड़ स्थित मंदिर में ज्योत जलाई पश्चात बाबा मंडली एवं जत्ती भग्गा बाबा के साथ मुख्य केशर ज्योत की बाती बदली, पहली पूजा की तथा मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए। दीवान के बाहर आते ही श्रद्धालुओं की भीड़ दीवान के दर्शनों के लिए उमड़ पड़ी। दीवान आज राजशी वेश में सौना नवेशी के श्रंृगार में थे तथा देश भर से आए श्रद्धालुओं को आईमाता के ग्यारह नियमों की पालना करने की सीख दी।
शाम सूर्यास्त होने के दौरान बिलाड़ा क्षेत्र के गैर नृतक यहां बडेर प्रांगण में एकत्र होने लगे तथा माताजी के भगवाध्वज तले गैर नाचने लगे, तथा माताजी के लिए काफी संख्या में विदेशी शैलानी भी यहां पहुंचे तथा दल के साथ नाचने का प्रयास किया। गाजो-बाजों एवं सैकड़ों महिलाओं के मंगल गीतों के साथ लोग राजलाव दरवाजे पहुंचे तथा बेल को बधाकर बडेर तक लाने के साथ ही मेला सम्पन्न हुआ।
प्रेषक- ओमसिंह राजपुरोहित,