सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 24 Dec 2011, 13:18:03

नई दिल्‍ली. 21 सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स को यहां की एक अदालत ने अगली 6 फरवरी तक अपनी वेबसाइट से अपमानजनक कंटेंट हटाने के लिए कहा है। इन वेबसाइट्स में फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, याहू, यूट्यूब भी शामिल हैं। शनिवार को दिए आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि संबंधित वेबसाइट के प्रतिनिधि अदालत के आदेश पर अमल सुनिश्चित करने की सूचना भी दें।
इससे पहले अदालत ने फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट समेत 21 सोशल नेटवर्किंग साइटों को आपत्तिजनक विषय वस्तु प्रदर्शित करने के लिए मुकदमे का सामना करने के लिए समन जारी किया है। अदालत ने एक निजी शिकायत पर संज्ञान लेते हुए ये आदेश दिए। इसके साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह इस संदर्भ में तत्काल उपयुक्त कदम उठाए और 13 जनवरी तक रिपोर्ट दाखिल करे।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सुदेश कुमार ने कहा कि दस्तावेजों को देखने से प्रथम दृष्ट्या प्रतीत होता है कि आरोपी एक-दूसरे से मिले हुए हैं और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ ऐसी अभद्र सामग्रियों को बेच रहे थे या सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित कर रहे थे। ऐसा प्रतीत होता है कि इसे देखने, पढऩे और सुनने वाले लोगों को विकृत बनाने के लिए किया गया। मजिस्ट्रेट ने कहा कि यह भी स्पष्ट है कि ऐसी सामग्री लगातार खुलेआम और आजादी से हर व्यक्ति को उपलब्ध है, जो इस नेटवर्क का प्रयोग कर रह है। चाहे उसकी उम्र 18 वर्ष से कम हो या उससे ऊपर। अदालत ने उक्त कंपनियों को आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र रचने), 292 (अश्लील पुस्तकों का विक्रय आदि) और 293 (युवा व्यक्ति को अश्लील वस्तुओं का विक्रय आदि) के तहत अपराध करने पर मुकदमे का सामना करने के लिए समन जारी किया है।
अदालत ने मामले के शिकायतकर्ता और पत्रकार विनय राय द्वारा प्रेषित वेबसाइट सामग्री, जिसमें पैगम्बर मोहम्मद, ईसा मसीह और कई हिंदू देवी-देवताओं से संबंधित अश्लील चित्र और अपमानजनक लेख मौजूद थे, पर भी गौर किया। मजिस्ट्रेट ने कहा कि अदालत के रखे गए रिकार्ड में कई भारतीय राजनेताओं से संबंधित मानहानिकारक और अश्लील लेख भी मौजूद हैं।
मजिस्ट्रेट ने कहा कि ऐसी सामग्री हिंदू, मुस्लिम और ईसाई समुदाय के लोगो की धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाती है और उनके प्रति असम्मान प्रदर्शित करती है। लिहाजा प्रथम दृष्ट्या पाते हुए आरोपियों को आईपीसी की धारा 153 ए (विभिन्न समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने), 153 बी (राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन व प्राख्यान) और 295 (धर्म और धार्मिक आस्था का अपमान) के तहत भी तलब किया जा सकता है।
साभार - दैनिक भास्कर