सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 24 Dec 2011, 12:06:31
ओसियां,उपखंड क्षेत्र में रोहिड़ा वृक्ष पर लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। मरु भूमि का सागवान कहा जाने वाला रोहिड़ा अंधाधुंध कटाई के चलते अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। एक तरफ सरकार पर्यावरण संरक्षण के नाम पर कई योजनाएं चला रही है, वहीं दिनों दिन राज्य पुष्प रोहिड़ा के कट रहे वृक्षों को बचाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया रही।
कुछ वर्षों पहले क्षेत्र में रोहिड़ा की बहार थी। वर्षों से रोहिड़ा मरु भूमि की शान रहा है। समय के साथ आधुनिकता पसरती गई और रोहिड़ा के वृक्ष कटते गए। हालत यह है कि वर्तमान में यह मुश्किल से दिखाई देने लगा है।
फर्नीचर के लिए उपयोगी है
रोहिड़े की लकड़ी से फर्नीचर बनाया जाता है। इसे मरु भूमि का सागवान कहा जाता है। इसकी लकड़ी से उच्च क्वालिटी का फर्नीचर बनने की वजह से इसकी कटाई भी अंधाधुंध हो रही है। कम पानी में भी यह आसानी से पनप जाता है। मरुभूमि में रोहिड़ा वीराने की सुंदरता को बढ़ाता है।
निरंतर कट रहा है रोहिड़ा
पिछले दो दशक में निरंतर रोहिड़े के वृक्ष कटने से अब यह मुश्किल से दिखाई देता है। एक समय था जब मरुभूमि में रोहिड़ा बहुतायत में था, लेकिन अब इनकी संख्या सिमट गई है। वैसे भी प्रदेश में राष्ट्रीय औसत से कम वृक्ष है और रोहिड़ा की बेहिसाब कटाई से क्षेत्र का संतुलन गड़बड़ा गया है।
साभार - दैनिक भास्कर