सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 20 Dec 2011, 21:08:38

जोधपुर। मोबाइल टावर व अन्य संचार संसाधनों से निकलने वाले रेडिएशन का असर न केवल मनुष्य पर होता है बल्कि इसके प्रभाव ने पशु-पक्षियों के अस्तित्व को भी खतरे में डाल दिया है। शहरी क्षेत्रों में घरेलू पक्षियों की घट रही आबादी की बड़ी वजह रेडिएशन है। मोबाइल की चाहे जैसी उपयोगिता सिद्घ की जा रही हो लेकिन मोबाइल टावर की वजह से मधुमक्खियों के ऊपर भी ग्रहण छाने लगा है। शोध के आधार विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि इनकी तरंगें मधुमक्खियों को भी रास्ता भटका देती है।
घट रही है प्रजनन शक्ति
पक्षी विशेषज्ञ डॉ. अनिल छंगाणी ने बताया कि मोबाइल टावर से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का पक्षियों पर असर पड़ता है। नेशनल पार्क के पास टावर रोकने के लिए इको सेंसेटिव जोन के कायदों की पालना होनी चाहिए। शोध में पता चला कि मोबाइल टावर के आसपास पक्षियों की आवाजाही बहुत ही कम मिली। विशेष्ाज्ञों के अनुसार शहरों में रेडिएशन के असर से घेरलू चिडिया गायब हो गई। वे आसपास बने इलेक्ट्रो मैग्नेटिक एरिया में नहीं घुसती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से पशु-पक्षियों की प्रजनन शक्ति पर असर पड़ता है।
कॉलोनी में नहीं पहुंच पातीं मधुमक्खियां
पर्यावरण मंत्रालय और मुंबई आईआईटी के एक शोध में बताया गया कि मोबाइल टावर से निकले रेडिएशन से मधुमक्खियों में सीसीडी यानी कॉलोनी कोलेप्स डिसऑर्डर देखा गया है। इस डिसऑर्डर में मधुमक्खियां छत्तों का रास्ता भूल जाती हैं और उनकी कॉलोनी को खतरा पैदा हो जाता है।
बढ़ जाता है लेवल
इन्टरनेशनल सेंटर फॉर रेडिया साइंस के निदेशक प्रो. ओपीएन कल्ला ने बताया कि जब किसी मोबाइल टावर से निकलने वाली फ्रीक्वेंसी जब किसी भी पशु-पक्षियों के डाइमेंशन से मैच करती है तो इससे रिजोनेंस (अनुनाद) होती है और रेडिएशन का लेवल बढ़ जाता है।
बांझपन की शिकायत
पशु-पक्षियों में बांझपन की शिकायत आ रही है। यह मोबाइल विकिरण का ही प्रभाव है। पक्षियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। मोबाइल टावर के विकिरण से पशु-पक्षियों के प्रजनन क्षमता के साथ ही ब्रेन का नर्वस सिस्टम भी प्रभावित होता है। पक्षियों के गर्भ धारण के समय ये विकिरण उसके यूटरस को प्रभावित करते है।
डॉ. अनिल छंगाणी पक्षी विशेषज्ञ
बायोलॉजिकल इफेक्ट
वन्य जीव पर रेडिएशन से प्रजनन क्षमता व हार्मोनल बैलेंस प्रभावित होते हैं। वहीं जिन पक्षियों में मैग्नेटिक सेंस होता है और जब वे पक्षी विद्युत चुम्बकीय किरणों के क्षेत्र में आते है तो उन पर बॉयोलॉजिकल प्रभाव पड़ना निश्चित है। साइबेरिया से आने वाली डेमोसाइल क्रेन्स (कुरजां) में मैग्नेटिक सेंस होता है। ये पक्षी जोधपुर व इसके आस-पास के जलाशयों व आसपास के इलाकों में शीतकालीन प्रवास पर आते हैं।
प्रो. ओपीएन कल्ला निदेशक, इन्टरनेशनल सेंटर फॉर रेडियो साइंस
साभार - पत्रिका