सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 16 Dec 2011, 09:10:36
पाली। शहर के बढ़ते आकार और मंथर विकास को देखते हुए अब पाली शहर के लिए यूआईटी जैसी कार्यकारी संस्था का आना लाजिमी हो गया है। औद्योगिक नगरी के रूप में जानी जाने वाले पाली शहर के लोग आज भी आधारभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। संकरी सड़कें, अनियोजित विकास, प्रदूषित वातावरण यहां की पहचान है। शहर के सुनियोजित विकास के लिए एक ऎसी संस्था का होना जरूरी है जो योजनाबद्ध तरीके से शहर तथा आस-पास के क्षेत्र का सर्वोत्तम उपयोग करते हुए पाली के विकास को एक नई गति प्रदान करे।
बढ़ रहा भार
औद्योगिक नगरी में उद्यमी अन्य उद्योगों की भी संभावनाएं तलाश रहे हैं। पावरलूम प्रोजेक्ट, चूड़ी उद्योग तथा अन्य घरेलू उद्योगों के विकास से वर्तमान स्थितियां भविष्य के लिए माकूल नहीं होंगी। इसी संकरे शहर तथा अनियोजित विकास के बीच न तो अन्य उद्योग-धंधे ठीक ढंग से पनप सकते हैं न ही उनका विकास हो सकता है। आबाद बस्तियों के लिए भी परेशानी पनपेगी।
ये था खत का मजमून
जिला कलक्टर नीरज के. पवन ने नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव को पत्र लिखकर पाली में यूआईटी स्थापित करने का अनुरोध किया था। जिला कलक्टर ने नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव जी.एस. संधु को लिखे पत्र में बताया था कि पाली शहर की आबादी लगभग 2.50 लाख है। वर्तमान में नगर परिषद कार्यरत है। जिसमें 45 वार्ड हंै। पाली शहर एक विकसित औद्योगिक शहर है, जहां टेक्सटाइल व ग्रेनाइट उद्योग के साथ अन्य उद्योग बहुतायत रूप से स्थापित हैं। औद्योगिक शहर होने के कारण देश के विभिन्न स्थानों से उद्यमियों का पाली में आवागमन रहता है।
पाली-जोधपुर सम्भाग में जोधपुर शहर के बाद पाली ही औद्योगिक दृष्टि से सबसे बड़ा शहर है। जबकि राज्य सरकार द्वारा जोधपुर संभाग के ही जैसलमेर तथा माउण्ट आबू में यूआईटी स्थापित की गई है। पाली में यूआईटी नहीं होने के कारण शहर का पर्याप्त विकास नहीं हो पा रहा है। पाली शहर के नागरिकों, उद्यमियों द्वारा भी विभिन्न अवसरों पर पाली में यूआईटी स्थापित करने की मांग की जाती रही है। पाली में 1976 से 1978 तक सरकार द्वारा यूआईटी प्रारम्भ की थी जो बाद में भंग कर दी गई। समय परिवर्तन के साथ पाली के विकास को ध्यान में रखते हुए पाली में यूआईटी स्थापित होने की दशा में ही शहर का सम्पूर्ण विकास संभव हो सकेगा।
जिला प्रशासन भिजवा चुका प्रस्ताव
पाली में यूआईटी लागू करने के लिए फरवरी 2011 में जिला प्रशासन ने नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव को पत्र लिखकर आवश्यकता जताई थी। इसके बाद सम्भागीय आयुक्त आरके जैन ने भी जिला कलक्टर को पत्र लिखकर यूआईटी की तैयारियों के लिए चर्चा की थी।