सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 08 Nov 2011, 11:03:22

टीकमगढ़ ( M.P.).आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। इन पंक्तियों को टीकमगढ़ जिले के मांडूमर गांव के किसान गोविंद दास ने साबित कर दिखाया है।
बिजली की समस्या से परेशान गांव के लोगों का अनाज पीसने के लिए उसने साइकिल की तर्ज पर पैडल से चलने वाली आटा चक्की बना डाली है। बगैर बिजली के चलने वाली यह चक्की इलेक्ट्रिक चक्की से कमतर नहीं हैं। अब पूरे गांव का गेहूं देसी चक्की से ही पिस रहा है।
महज कक्षा 9 वीं तक शिक्षित मांडूमर गांव के 48 वर्षीय किसान गोविंद दास खंगार ने घर में पड़े कबाड़ के सामान से पाइप, साइकिल की सीट, पैडल, कुछ नट बोल्ट और जुगाड़ से पैडल आटा चक्की बनाना शुरू किया था। चक्की के पाट खरीदने की बारी आई तो आर्थिक तंगी के कारण काम रुक गया। छोटे बेटे हेमचंद ने स्कूल से मिली छात्रवृति के 1700 रुपए पिता को दे दिए।
इससे उसने चक्की के 2 पाट खरीदे और पैडल के सहारे चलने वाली बिजली रहित आटा चक्की बनकर तैयार हो गई। गोविंद दास ने बताया कि चक्की बनाते समय गांव वालों ने कई बार मजाक उड़ाया लेकिन जब वह तैयार हुई तो मोहल्ले के कई लोग गेहूं पिसाने उनके घर आने लगे।
अब गांव में बिजली हो या न हो गांव के लोग अपना गेहूं पिसाने यहां आते हैं। इसके पहले भी वह आधा दर्जन से ज्यादा देसी अविष्कार कर चुका हैं। इनमें खेत जोतने के लिए लोहे का हल, खेत में जानवरों को भगाने सर्च लाइट की तरह घूमने वाला बल्ब शामिल है।
अब बिजली बनाने की तैयारी
अब गोविंद दास का सपना पानी से बिजली बनाने का है। एक साल पहले वह इसकी पहल भी कर चुका है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण काम रोकना पड़ा। उसने बताया कि पानी की एक टंकी ऊंचाई पर और एक नीचे बनाकर पानी को तेजी के साथ गिराकर बिजली बनाई जा सकती है। इसके लिए कुछ उपकरण बाजार से खरीदना होंगे।
इन्हें खरीदने में करीब 30 से 35 हजार रुपए का खर्च आएगा।रिटायर्ड प्राचार्य फूलचंद जैन का कहना है कि स्कूली छात्रों को नए आविष्कार करने के लिए प्रोत्साहन के रूप में इंस्पायर अवार्ड योजना के तहत आर्थिक सहायता दी जाती है। अगर इसी तर्ज पर ग्रामीण क्षेत्रों में रहकर नए तरीके इजाद कर रहे लोगों को शासन से आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए तो अच्छे परिणाम सामने आएंगे।
साभार - दैनिक भास्कर