सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 07 Nov 2011, 11:12:19
पाली। पहले रइसों का शौक और बाद में गरीबों का सफर बनी साइकिल भले हमसे दूर होती जा रही है, लेकिन पेट्रोल की बढ़ रही कीमतों ने वह जमाना याद दिला दिया है जब साइकिल की सवारी जेब और शरीर दोनों के लिए मुफीद थी। नितरोज बढ़े वाहनों और बाइक की रफ्तार के क्रेज में भारतीय युवा भले ही साइकिल चलाने को "ओल्ड" मानते हों, लेकिन विकास की राह पर बरसों पहले कदम बढ़ा चुके देशों में साइकिल आज भी सदाबहार फैशन है।
यही नहीं अमीर देशों ने साइकिल को लेकर अमीर-गरीब का भेद भी नहीं किया है। आम हो चाहे खास सभी को साइकिल चलाना बेहद रूचिकर लगता है। इसमें वहां की सरकारें प्रोत्साहन देती है और एनजीओ बढ़ावा। आज की परिस्थितियों में पर्यावरण संरक्षण एवं महंगाई के तोड़ में साइकिल प्रभावी साबित हो सकती है।
महंगाई में प्रासंगिक
एक ओर जहां तेल (पेट्रोल-डीजल) आम आदमी का "तेल" निकाल रहा है और दुपहिया व चौपहिया वाहनों को घर से बाहर निकालने में आम-आदमी सोचने पर मजबूर हो रहा है। दूसरी ओर साइकिल चलाना जेब के लिए मुफ्त है और शरीर के लिए मस्त। बस, दरकार है तो ओल्डफैशन की झूठी धारणा को तोड़ साइकिल को बाहर निकालने के दृढ़ निश्चय की।
ईको फ्रैण्डली साइकिल
एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक हमारे मैट्रो शहरों यथा बेंगलूरू, मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता, चैन्नई, अहमदाबाद आदि के 28 से 30 प्रतिशत युवा व किशोर श्वसन रोगों से पीडित हैं। इन शहरों के युवाओं में दमा की शिकायत होने का कारण वाहनों की बढ़ती संख्या है। वाहनों का धुआं युवाओं को बीमार कर रहा है। इसी रफ्तार से वाहनों की संख्या में इजाफा होता रहा तो वहां बच्चे जन्मते ही बीमार हो जाएंगे। पर्यावरण व युवा पीढ़ी को बचाने के लिए साइकिल की भूमिका को और अधिक महत्वपूर्ण बनाना होगा। पर्यावरण फ्रैण्डली साइकिल युवाओं के लिए रामबाण है।
विदेशों में के्रज कायम
चीन, अमरीका व यूरोप में आज भी साइकिल का क्रेज बराबर बना हुआ है। इसका ताजा उदाहरण राजस्थान भ्रमण के दौरान साइकिल से पाली आए विदेशी सैलानियों का दल है। पिछले दिनों पाली भ्रमण पर नीदरलैण्ड, डेनमार्क, नार्वे, स्विट्जरलैण्ड, जर्मनी, इंग्लैण्ड व अन्य यूरोपीयन देशों के युवा व प्रौढ़ आए थे। सभी साइकिल से ही राजस्थान देखने निकले। इन देशों में साइकिल का दर्जा दोयम नहीं है।
साइक्लिंग करने को वो बेहतर मानते हैं। इंग्लैण्ड में तो नई साइकिल खरीदने पर टैक्स में छूट तक दी जाती है। चीन के कुछ बड़े शहरों में सप्ताह के दो-तीन दिन "पॉल्यूशन फ्री डे" के रूप में मनाते हैं। सभी बड़े-छोटे कार्मिक व अधिकारी उस दिन साइकिल से ऑफिस आते-जाते हैं। लोग भी साइकिल का अधिक से अधिक उपयोग करते हैं। इन स्थितियों को देख हमें भी इस बारे में सोचना चाहिए। और, साइकिल को कमतर नहीं मानते हुए इसका अधिकाधिक उपयोग करना अपनी प्रवृत्ति में शामिल करना चाहिए।
साभार - पत्रिका