सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 05 Nov 2011, 00:12:49

सोयाबीन, मिर्च, टमाटर और मटर की फसलों की ओर कृषकों का रुझान
बदनावर।(सीरवी बाहूल्य क्षैत्र M.P. ) यहाँ अब तक मंडी में कपास की आवक प्रारंभ नहीं हो पाई है। इससे मंडी परिसर सूना पड़ा हुआ है। विलंब से बोवनी होने तथा अधिक वर्षा से कपास की फसल एक पखवाड़ा पिछड़ गई है।
कपास की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कॉटन कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के सहयोग से लगभग ३ करोड़ रुपए की लागत से ३५ एकड़ भूमि में पृथक से कपास मंडी बनाई गई है। इसमें कृषकों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएँ मौजूद हैं। इसके बावजूद कपास का उत्पादन बढ़ने का नाम नहीं ले पा रहा है। गत पाँच वर्षों में मंडी में हुई कपास की आवक प्रमाण है। कपास जैसी खर्चीली एवं मेहनती फसल की बजाय कृषक नकद फसल सोयाबीन, मिर्च, टमाटर, मटर आदि की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं। कपास एक फसलीय है जब कि सोयाबीन लेने के बाद उसी भूमि में गेहूँ, चने आदि का भी उत्पादन कर सकते हैं।
अलग पहचान थी
किसी जमाने में बदनावर प्रदेश की प्रमुख कपास मंडियों में गिनी जाती थी, जब कपास की संकर प्रजातियाँ विकसित नही हुई थीं। बदनावर-१ एवं खंडवा-२ प्रजातियों की ही मालवा में एव निमाड़ में खेती होती थी। बदनावर-१ स्थानीय कपास अनुसंधान केंद्र में विकसित की गई थी। लंबे रेशे वाले इस देसी कपास की मुंबई के बड़े सूत मिलों में बहुत माँग थी। बाद में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय का यह कपास अनुसंधान केंद्र भी यहाँ से अन्यत्र स्थानातांरित हो गया। जब कपास उत्पादन के प्रति कृषकों का रुझान कम हो गया, तब जाकर सरकार चेती तथा यहॉं कपास विपणन के लिए बडी कपास बनाई गई। १९८०-८१ में मंडी में सोयाबीन की आवक ११३ टन थी जबकि कपास की १० हजार टन थी। आज स्थिती इससे उलट हो गई है। प्रतिदिन १०-१२ हजार बोरी सोयाबीन की आवक हो रही है। बदनावर प्रदेश की प्रमुख सोयाबीन मंडी बन गई है।