सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 14 Oct 2011, 12:12:46
जोधपुर। हर साल साइबेरिया से आने वाले सारस प्रजाति के प्रवासी पक्षी कुरजां (डेमोसील क्रेन) को मारवाड़ की आबोहवा रास आ गई है। पिछले साल मारवाड़ के विभिन्न जलाशयों पर पहुंची कुरजां की तादाद इस बार शीतकाल में 25 हजार तक पहुंचने की उम्मीद हैं। जानकारों के मुताबिक पिछले वष्ाü करीब 16 हजार कुरजां ने जोधपुर जिले के खींचन क्षेत्र में डेरा डाला था।
इस बार अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में ही मारवाड़ के विभिन्न जलाशयों पर कुरजां के समूह नजर आने लगे हैं। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, क्षेत्र में पक्षियों की तादाद बढ़ने का प्रमुख कारण इस बार अच्छी बारिश के साथ पर्याप्त नहरी पानी से इनके लिए आहार का सहज उपलब्ध होना है।
लोक सांस्कृतिक जुड़ाव
परदेस में बसे पति के इंतजार में मारवाड़ की विरहणियों ने प्रवासी पक्षी कुरजां को अपना मित्र मानकर कई लोक गीतों की रचना की हैं। कुरजां ए म्हानै भंवर मिला दीजे ए.... सोन चिड़ी तू म्हारी भायली पियजी न दीज्यो संदेशो सुनाय...जैसे प्रमुख लोकगीत हैं।
अबूझ पहेली
जोधपुर जिले के खींचन में कुरजां का बड़ी तादाद में प्रतिवर्ष छह माह के प्रवास पर आना प्राणी वैज्ञानिकों के लिए जहां अब तक अबूझ पहली बनी हुई है, वहीं देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए रोमांचक अनुभव है।
सकारात्मक संकेत
प्रवासी पक्षियों का आगमन पर्यावरण के साथ पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में सकारात्मक संकेत हैं। ऎसे में वन, पर्यटन विभाग एवं क्षेत्रीय पंचायतों के माध्यम से पक्षियों का संरक्षण होना चाहिए। इस बार अच्छे मानसून के साथ एक क्रम में तापमान की गिरावट पक्षियों की तादाद बढ़ने के संकेत देती हैं।
- संजीव कुमार, वैज्ञानिक एवं पक्षी विशेषज्ञ, जेडएसआई, जोधपुर
हर साल बढ़ रही तादाद
पिछले वर्ष करीब 16 हजार कुरजां खींचन के चुग्गाघर पहुंची थी। प्रतिवर्ष यह संख्या बढ़ रही हैं। इस बार अब तक करीब चार हजार पक्षी खींचन पहुंच चुके हैं।
- सेवाराम परिहार, अंकुर प्राणी सेवा संस्था, खींचन
साभार - पत्रिका
सीरवी बाहुल्य गांव भावी में इस बार कुरजां को डेरा है
http://www.seervisamaj.com/seervisamaj-news.php?view=detail&slno=1211