Posted By : Posted By Mangal Senacha on 13 Oct 2011, 11:18:26
धार, गौरतलब है कि केंद्रीय भू जल बोर्ड हर चार साल में भू-जल की स्थिति का पता लगाता है। इस बार के जो आँकड़े व प्राथमिक रिपोर्ट जारी हुई है, उसमें सबसे ज्यादा दोहन करने वाले ५ विकासखंडों में बदनावर, धार, धरमपुरी, मनावर व नालछा शामिल हैं। इन क्षेत्रों में "आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया" की तर्ज पर पानी का उपयोग हो रहा है। जितना मानसून में रिचार्ज होता है, उससे ज्यादा पानी खींच लिया जाता है जबकि भू-जल दोहन के मामले में फिलहाल निमाड़ क्षेत्र से जुड़े हुए विकासखंड सुरक्षित हैं।
ये सुरक्षित हैं
बाग, डही, गंधवानी, कुक्षी, निसरपुर, उमरबन व सरदारपुर क्षेत्र भू-जल दोहन के मामले में सुरक्षित इसलिए हैं, क्योंकि वहाँ कि भौगोलिक परिस्थितिया भिन्ना है। इन पहाड़ी क्षेत्रों में नलकूप खनन कम होता है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग है, इसलिए भी यहाँ लोग नलकूप खनन कम करवाते हैं। सतही जल का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में विभिन्ना बड़ी सिंचाई परियोजनाएँ संचालित हैं। नदियों से भी सिंचाई की जा रही है। इन सब कारणों से यहाँ पर भूमिगत जल का दोहन कम हो रहा है। मनावर व धरमपुरी इस मामले में अपवाद ही साबित हुए हैं।
जहाँ नलकूप ज्यादा वहाँ परेशानी
भू-जलविदों का मानना है कि आम आदमी के लिए केवल आँकड़े हो सकते हैं, किंतु यह स्थिति भविष्य के लिए बहुत गंभीर है। वजह यह है कि जिस तेजी से नलकूपों की संख्या ब़ढ़ रही है, उस मान से पानी धरती की गहराई से कम होता जा रहा है। बदनावर इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है। यहाँ पर १० हजार ३५२ नलकूप हैं।
कार्रवाई जारी
भू-जल सर्वेक्षण विभाग के सहायक भू- जलविद् वीके जोशी ने बताया कि केंद्रीय भू-जल बोर्ड ने प्राथमिक रूप से ये आँकड़े उपलब्ध कराए हैं। इसमें एक या दो विकासखंड के मामले में और भी बारीकी से कार्रवाई हो रही है। वहाँ की स्थिति बदलने की संभावना रहेगी। -निप्र ङ"ख११ऋ
आँकड़ों की जुबानी
विकासखंड कुएँ पंप व नलकूप
बाग २०६१, ६०२
बदनावर ५१७०, १०३५२
डही ४७५८, ३१३
धार २१८,४२८
धरमपुरी ६३४१, २०१९
गंधवानी ३३५०, २१५
कुक्षी ४५५७, ३६६
मनावर ७०२३, ७४२
नालछा ८७७, ६१७६
निसरपुर ३४५१, ३५८
सरदारपुर ५९६०, ४४२९
तिरला ४७२, २७२९
उमरबन ७३३५, १७७
गौरतलब है कि केंद्रीय भू जल बोर्ड हर चार साल में भू-जल की स्थिति का पता लगाता है। इस बार के जो आँकड़े व प्राथमिक रिपोर्ट जारी हुई है, उसमें सबसे ज्यादा दोहन करने वाले ५ विकासखंडों में बदनावर, धार, धरमपुरी, मनावर व नालछा शामिल हैं। इन क्षेत्रों में "आमदनी अठन्नाी और खर्चा ヒपया" की तर्ज पर पानी का उपयोग हो रहा है। जितना मानसून में रिचार्ज होता है, उससे ज्यादा पानी खींच लिया जाता है जबकि भू-जल दोहन के मामले में फिलहाल निमाड़ क्षेत्र से जुड़े हुए विकासखंड सुरक्षित हैं।
ये सुरक्षित हैं
बाग, डही, गंधवानी, कुक्षी, निसरपुर, उमरबन व सरदारपुर क्षेत्र भू-जल दोहन के मामले में सुरक्षित इसलिए हैं, क्योंकि वहाँ कि भौगोलिक परिस्थितिया भिन्ना है। इन पहाड़ी क्षेत्रों में नलकूप खनन कम होता है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग है, इसलिए भी यहाँ लोग नलकूप खनन कम करवाते हैं। सतही जल का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में विभिन्ना बड़ी सिंचाई परियोजनाएँ संचालित हैं। नदियों से भी सिंचाई की जा रही है। इन सब कारणों से यहाँ पर भूमिगत जल का दोहन कम हो रहा है। मनावर व धरमपुरी इस मामले में अपवाद ही साबित हुए हैं।
जहाँ नलकूप ज्यादा वहाँ परेशानी
भू-जलविदों का मानना है कि आम आदमी के लिए केवल आँकड़े हो सकते हैं, किंतु यह स्थिति भविष्य के लिए बहुत गंभीर है। वजह यह है कि जिस तेजी से नलकूपों की संख्या ब़ढ़ रही है, उस मान से पानी धरती की गहराई से कम होता जा रहा है। बदनावर इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है। यहाँ पर १० हजार ३५२ नलकूप हैं।
कार्रवाई जारी
भू-जल सर्वेक्षण विभाग के सहायक भू- जलविद् वीके जोशी ने बताया कि केंद्रीय भू-जल बोर्ड ने प्राथमिक रूप से ये आँकड़े उपलब्ध कराए हैं। इसमें एक या दो विकासखंड के मामले में और भी बारीकी से कार्रवाई हो रही है। वहाँ की स्थिति बदलने की संभावना रहेगी। -निप्र
साभार - नई दुनिया, धार