सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 09 Oct 2011, 10:27:46

बिलाड़ा, कुरजां ने दो दिन से कस्बे के भावी गांव में डेरा डाला है। यहां के गिड़ी नाडा पर हजारों की संख्या में कुरजां देखी जा रही है। भावी में कभी कभार ही कुरजां आती है। इस बार बड़ी संख्या में इन प्रवासी पक्षियों ने डेरा डाल रखा है। साइबेरियन क्रेन को देखकर ग्रामीणों को जहां खुशी हो रही है, वहीं किसानों के लिए यह परेशानी का सबब भी बन गई है। कुरजां खेतों में पकी हुई फसल को नुकसान पहुंचा रही हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि आमतौर पर भावी पर कुरजां का पड़ाव नहीं होता। मगर इस बार तीन चार हजार कुरजां पक्षियों ने भावी में अपना पड़ाव बनाया है। कुरजां का समूह सुबह शाम समीपवर्ती खेतों में आ जाता है। इन दिनों किसानों ने फसल काटकर सुखाने के लिए रखी है। कुरजां इसे चट कर रही है।
किसान दे रहे हैं पहरा : किसान बगदाराम, गोविंद, घनश्याम, पोकरराम, मंगलाराम ने बताया कि मूंग की फलियों को कुरजां नुकसान पहुंचा रही है। ऐसे में फसल को बचाने के लिए उन्हें पहरा देना पड़ रहा है। गोविंद ने बताया कि खेतों की ओर कुरजां आने से फसलों की सुरक्षा के लिए दिन भर पहरा देना पड़ रहा है।
दूर देश से आती कुरजां : लोकगीतों में छाई रहने वाली कुरजां इस बार भावी में छाई हुई है। दो दिन से इन पंछियों ने यहां डेरा डाला है। किसानों का कहना है कि बीते साल भी थोड़ी संख्या में कुरजां यहां आई थी। कहा जाता है कि यह पक्षी एक बार जहां जाते हैं, वहां बार बार डेरा डालते हैं। इस बार भावी में कुरजां का कलरव सुनाई दे रहा है। बरसात की वजह ये यहां तालाब लबालब है। ऐसे में कुरजां को यहां मुफीद माहौल मिल रहा है। जोधपुर के गुड़ा, खींचन गांव में आमतौर पर इनका पड़ाव रहता है। मगर इस बार भावी में इन्होंने दस्तक दे दी है।
फसल को हो रहा नुकसान
कुरजां के झुंड खेतों में पहुंच रहे हैं। इन दिनों फसल पक गई है और खेतों में काटकर रखी गई है। कुरजां के झुंड आकर फसल को चट कर रहे हैं। ऐसे में किसानों को फसल की सुरक्षा के लिए पहरा देना पड़ रहा है। ञ्जञ्ज पूनाराम, किसान
रिसर्च का विषय है
कुरजां सामान्यत : अपना स्थान नहीं बदलती। अगर परंपरागत पड़ाव स्थल पर कोई अवरोध आता है तो वह अपना स्थान बदल सकती है। हो सकता है उन्हें भोजन की समस्या रही हो। यह रिसर्च का विषय है। कुरजां दिन भर दाना चुगती है। ऐसे में संभव है वह खेतों की ओर रुख कर ले। वैसे कुरजां खींचन, गुड़ा, सरदारसमंद, पाली, खेजड़ली, बड़ली व कायलाना में दिखाई देती है। अगर भावी में कुरजां ने डेरा डाला है तो इसके पीछे कोई न कोई कारण अवश्य रहा है।ञ्जञ्ज डॉ. हिम्मतसिंह, पक्षी विशेषज्ञ
बढ़ रहा है कुरजां का कारवां
फलौदी, निकटवर्ती गांव खींचन को पर्यटन के विश्व नक्शे पर स्थान दिलाने वाली साइबेरियन बड्र्स कुरजां का कारवां दिनों दिन बढ़ रहा है। अब तक खींचन में करीब तीन हजार कुरजां पहुंच चुकी हैं, जिनकी कलरव यहां सुनी जा सकती है। कुरजां को देखने के लिए विदेशी सैलानियों के दल भी पहुंचने लगे हैं। पक्षी विशेषज्ञों को उम्मीद है कि इस बार करीब 20 हजार कुरजां खींचन आएंगी।
पक्षी प्रेमी सेवाराम ने बताया कि गत वर्ष 15 हजार से अधिक कुरजां खींचन पहुंची थीं। सितंबर माह में कुरजां का आगमन प्रारंभ होता है और मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक कुरजां यहां प्रवास करती हैं। गांव के दो तालाब उनके प्रमुख पड़ाव स्थल है। नवंबर दिसंबर माह में रेतीले धोरों पर कुरजां को देखना भी आनंददायक होता है।
सुबह चुग्गाघर में कुरजां एकत्रित होती हैं और दाना चुगने के बाद वे तालाब पर जाकर बैठ जाती हैं। कुरजां के लौटने के बाद चुग्गाघर व आसपास के क्षेत्र में वीरानी छाई रहती है और इतने महीने में वहां काफी मात्रा में घास आदि उग जाती है।
एसडीएम दलवीरसिंह ढड्ढा ने जहां चुग्गाघर के बाहर जेसीबी लगवा कर सफाई करवाई है वहीं पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन सुधीर माथुर ने चुग्गाघर के भीतर सफाई करवा कर कुरजां के लिए राह आसान की है। आने वाले दिनों में जब कुरजां पूरी तादाद में खींचन पहुंचेगी तब वहां का नजारा देखने योग्य होगा।
साभार - दैनिक भास्कर