सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 04 Oct 2011, 09:16:49

जोधपुर। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के अंतरराष्ट्रीय संयोजक व राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमरीका (राना) कनाडा व कैलिफॉर्निया के मीडिया चेयरमैन प्रेम भंडारी ने गांधी जयंती पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह को पत्र लिख कर राजस्थानी भाषा को संसद के शीतकालीन सत्र में ही संवैधानिक मान्यता दिलवाने की मांग की है। भंडारी ने गांधी जी का वक्तव्य याद दिलाते हुए पत्र में लिखा है कि देश और राजस्थान प्रदेश में गांधीवादी सरकार है और उन्हें गांधी जी के उन विचारों का सम्मान करना चाहिए, जिसमें उन्होंने बालक को शिक्षा मातृभाभाषा में ही देने पर जोर दिया था। उन्होंने पत्र में कहा है कि अनिवार्य शिक्षा कानून में भी शिक्षा का माध्यम राजस्थानी रखने का ही प्रावधान है, मगर राजस्थान के लोगों की मातृभाषा राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता नहीं मिलने से प्रदेश में यह शिक्षा कानून पूर्णत: लागू नहीं हो पाया।
यह था बापू का वक्तव्य
महात्मा गांधी ने शिक्षा का माध्यम संबंधित कई लेख लिखे थे, जिन्हें भारतन कुमार ने संकलित व गुजराती से अनूदित कर हिंदी में शिक्षा का माध्यम शीर्षक से पुस्तिका के रूप में प्रकाशित करवाया था। उसमें गांधी जी ने स्पष्ट लिखा है-मैं बच्चों के मानसिक विकास के लिए उन पर मां की भाषा को छोड़ कर दूसरी भाषा लादना मातृभूमि के प्रति पाप समझता हूं। मेरा विश्वास है कि राष्ट्र के जो बालक अपनी मातृभाषा के बजाय दूसरी भाषा में शिक्षा प्राप्त करते हैं, वे आत्महत्या ही करते हैं।
प्रधानमंत्री से मांगा समय
पत्र में राजस्थानी की मान्यता के सिलसिले में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह से मुलाकात के लिए समय मांगा गया है। उल्लेखनीय है कि संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल गत 23 अगस्त को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री भंवर जितेंद्रसिंह से मुलाकात कर चुका है। भंडारी के अनुसार वे इन नेताओं के राजस्थानी के प्रति सकारात्मक रवैये से अभिभूत हैं।
नवम्बर में भारत आएंगे
भंडारी उधर न्यूयार्क से भंडारी ने दूरभाषा पर बताया कि वे राजस्थानी की मान्यता के लिए लोगों से मुलाकात करने और राजस्थान में जनजागरण के लिए नवम्बर के दूसरे सप्ताह में भारत लौट रहे हैं। इस दौरान वे केंद्रीय नेताओं से मिल कर संसद के शीतकालीन सत्र में राजस्थानी भाषा की मान्यता संबंधित विधेयक लाने का आग्रह करेंगे।
साभार - राजस्थान पत्रिका