सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 25 Aug 2010, 08:46:55
पाली। बाली पंचायत समिति क्षेत्र में भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण स्थिति विकट होती जा रही है। यहां 1984 में 15 प्रतिशत दोहन किया जाता था, जो अब प्रतिवर्ष 104 प्रतिशत पर पहुंच गया है। 26 साल में 89 प्रतिशत भूजल का दोहन बढ़ गया है। प्रतिवर्ष बारिश के कारण धरती को मिल रहे पानी से भी दो मिलियन घनमीटर पानी निकाला जा रहा है। भूजल विभाग से आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी में यह खुलासा हुआ।
बाली क्षेत्र अरावली की वादियों से घिरा हुआ है। पंचायत समिति का कुल क्षेत्रफल 1439.80 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से 943.75 वर्ग किलोमीटर में भूजल स्रोत हैं। यहां पर स्थानीय जल स्रोत अल्पकालिक हैं। सतही जल के भण्डार नहीं होने से यहां भूजल का पुनर्भरण प्रतिशत भी कम ही है। धरती को पर्याप्त जल नहीं मिलने के कारण प्रतिवर्ष संचित निधि में से भी दोहन किया जा रहा है।
यहां पर भूजल में गिरावट प्रतिवर्ष 0.40 मीटर की दर से हो रही है। जनसंख्या वृद्धि, प्रति व्यक्ति जल की खपत, वृक्षों की अंधाधुंध कटाई के कारण यहां भूजल दोहन का प्रतिशत तेजी से बढ़ा। 1984 में यहां 13 मिलियन घनमीटर पानी निकाला जाता था जो अब बढ़कर 46 मिलियन घनमीटर हो गया है।
बढ़ रहा फ्लोराइड
भूजल के गहराई में उतरने तथा वनस्पति नष्ट होने से कम हो रही वर्षा के कारण यहां के भूजल में फ्लोराइड की मात्रा बढ़ती जा रही है। पेयजल में 1.5 मिलिग्राम प्रतिलीटर से अधिक मात्रा मानव शरीर के लिए हानिकारक मानी जाती है। जबकि विभाग के अनुसार क्षेत्र में 0.12 से 3.00 मिलीग्राम प्रति लीटर तक फ्लोराइड की मात्रा पाई जाती है। जबकि कागरी (6.44 मिलीग्राम प्रतिलीटर), खीमेल (6.06 मिलीग्राम प्रति लीटर) एवं मोरीबेड़ा रेलवे स्टेशन (5.04 मिलीग्राम प्रति लीटर) फ्लोराइड की मात्रा पाई जाती है।