सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 17 Jun 2010, 12:48:51
पाली,डॉक्टर अपने पेशे के साथ ईमानदारी नहीं बरत रहे हैं। उनके आपसी इगो और द्वेष का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है और आपकी लड़ाई में मरीज पीस रहा है.. यह किसी मरीज या आम आदमी ने नहीं बल्कि जिले के सबसे बड़े ओहदे पर बैठे कलेक्टर ने कहा।
बांगड़ अस्पताल का ढर्रा सुधारने के लिए गुरुवार को जब कलेक्टर ने डॉक्टर्स की बैठक बुलाई तो कई डॉक्टर्स आपस में उलझ पड़े। इसे देख कलेक्टर ने खासी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यदि डॉक्टर्स का यही ढर्रा रहा तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जूनियर्स व सीनियर्स को आपसी तालमेल बैठाकर कार्य करने की बात कही।
बैठक में पीएमओ डॉ. आरके पामेचा, डॉ. आरके गर्ग, डॉ. महावीर सुराणा, डॉ. जीएस राठौड़, डॉ. एमएच चौधरी, डॉ. डीएस राठौड़, डॉ. सविता गोयल, डॉ. एमएस राजपुरोहित, डॉ. रोशनलाल जैन, डॉ. पीआर मेंघाणी ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।
मरीज की पीड़ा आप नहीं समझ सकते : कलेक्टर जब बैठक ले रहे तो डॉ. डीडी सोलंकी, डॉ. मीना सोलंकी, डॉ. ओमसिंह मीणा, डॉ. सोढ़ा आपस में उलझ पड़े। उन्होंने आपस में तालमेल नहीं बैठाने तथा दुव्र्यवहार करने के आरोप मढ़ डाले। कलेक्टर के कठोर ऑब्जेक्शन के बाद ही वे शांत हुए। उन्होंने डॉक्टर्स की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि डॉक्टर्स आपसी लड़ाई में व्यस्त है, इसलिए वे मरीज की पीड़ा नहीं समझ पा रहे है।
रेफर नहीं हो कोई : बांगड़ अस्पताल में बढ़ती रेफरल व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने इस पर रोक लगाने की बात कही। उन्होंने कहा कि हर हाल में मरीज का इलाज बांगड़ अस्पताल में ही हो।
इसके लिए उन्होंने स्त्री रोग, सर्जरी तथा एनेस्थीसिया विभाग में कार्यरत चिकित्सकों को तालमेल बैठाने के निर्देश दिए। मुड़ से नहीं करे ऑपरेशन : पिछले दिनों में डॉक्टर्स की आपसी खींचतान के कारण अस्पताल से भागे मरीज की घटना पर उन्होंने सख्ती दिखाई। इस बारे में डॉ. डीडी सोलंकी पर आरोप था कि उन्होंने यह कहकर ऑपरेशन करने से मना कर दिया कि अभी उनका मुड़ नहीं है। इस बारे में कलेक्टर ने लताड़ पिलाई तो सोलंकी ने भी स्वीकार कर लिया कि स्वच्छ वातावरण नहीं होने के कारण मुड़ खराब हो जाता है। इस पर कलेक्टर ने कहा कि किसी के मुड़ के चक्कर में हम मरीजों को नहीं मरने देंगे।
प्राइवेट डॉक्टर्स बांगड़ में देंगे सेवाएं
बैठक में शहर के प्राइवेट डॉक्टर्स को भी बुलाया गया था। कलेक्टर ने उनसे बांगड़ अस्पताल की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्राइवेट डॉक्टर्स अपनी सुविधानुसार दो घंटे का समय निकालकर बांगड़ अस्पताल में अपनी सेवाएं दे। इस पर प्राइवेट डॉक्टर्स ने सहमति भी जताई।
लगवाए दस जंबो डेजर्ट कूलर
पाली.बांगड़ चिकित्सालय में भर्ती मरीजों को गर्मी से राहत दिलाने के लिए गुरुवार को एक भामाशाह ने दस जंबो डेजर्ट कूलर्स तथा 50 वाटर कैंपर्स भेंट किए। कलेक्टर नीरज कुमार पवन द्वारा बुधवार को अस्पताल में किए गए दौरे के दौरान उन्होंने भामाशाहों को इसके लिए आगे आने का आह्वान किया था। इससे प्रेरणा लेकर सूरजपोल स्थित दुर्गा टेंट हाउस के अशोक कुमार पंवार ने दस जंबो डेजर्ट कूलर्स तथा 50 वाटर कैंपर्स भेंट किए। समाजसेवी विमल मूंदड़ा ने बताया कि भास्कर में खबर छपने के बाद अशोक कुमार ने पहल की और कूलर हाथों हाथ वार्डों में लगवा दिए गए। कलेक्टर ने बताया कि पानी से भरे हुए वाटर कैंपर्स भामाशाह द्वारा प्रतिदिन पीएमओ को सप्लाई दी जाएगी। यह व्यवस्था पूरी तरह से निशुल्क रहेगी।
अव्यवस्थाओं पर असंतोष
पाली,जिले के सबसे बड़े राजकीय बांगड़ चिकित्सालय में लंबे समय से व्याप्त अव्यवस्थाओं से नाराज प्रशासन ने गुरुवार को लगातार दूसरे दिन भी अस्पताल को ढर्रे पर लाने की कवायद जारी रखी। एक माह के अवकाश पर गए पीएमओ का अवकाश निरस्त कर उन्हें तत्काल प्रभाव से अस्पताल बुलाया गया और दिनभर बैठकों के दौर कर डाक्टरों की कार्य प्रणाली और अव्यवस्थाओं पर गहरा असंतोष जताया। गौरतलब है कि गर्म हवा के थपेड़ों की मार सहते रोगियों, पीक से सनी दीवारों और गंदगी के साम्राज्य के बीच बैठने को मजबूर तीमारदारों सहित अन्य अव्यवस्थाओं को लेकर दैनिक भास्कर ने पिछले तीन दिनों तक जिला प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया। आखिर हरकत में आए जिला प्रशासन ने अस्पताल का आकस्मिक निरीक्षण किया और भास्कर के समाचारों की पुष्टि करते हुए अव्यवस्थाओं पर कार्यवाहक पीएमओ, ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों, हैल्थ मैनेजर सहित अन्य स्टाफ को जमकर लताड़ पिलाई।
एक भी सिजेरियन नहीं : बैठक में कलेक्टर ने अफसोस प्रकट किया कि बांगड़ अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा होने, तीन सर्जन, दो स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं दो एनेस्थेटिक की उपलब्धता के बावजूद गत दो माह में एक भी सिजेरियन ऑपरेशन नहीं हुआ तथा सर्जरी के मामले भी बहुत कम आए। अधिकतर केस रेफर किए गए। उन्होंने बैठक में मौजूद डाक्टरों को तल्ख शब्दों में निर्देश दिए कि वे ड्यूटी समय के दौरान अपने निर्धारित स्थान पर रहे ताकि रोगियों को राहत मिल सके। उन्होंने पीएमओ को डाक्टरों की मॉनिटरिंग का जिम्मा भी सौंपा।
पीएमओ की छुट्टी निरस्त
बांगड़ अस्पताल की अव्यवस्थाएं देखकर कलेक्टर नीरज के पवन ने एक माह के अवकाश पर गए पीएमओ डॉ. आर.के. पामेचा का अवकाश निरस्त कर उन्हें तत्काल प्रभाव से अस्पताल बुलवा लिया। गुरुवार को सभी डाक्टरों और निजी नर्सिंग होम एवं क्लीनिक के निजी डाक्टरों को भी बुलाकर संयुक्त बैठक ली। इस बैठक में कलेक्टर ने डाक्टरों की कार्य प्रणाली को आड़े हाथों लिया।
साभार - दैनिक भास्कर
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रेल फाटक नहीं, ब्रिज बनेंगे
पाली,बहुप्रतीक्षित वेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर योजना को लेकर होने वाले निर्माण में कहीं पर भी रेल फाटक नहीं होगी तथा जहां पर भी ऐसी फाटकें लगी हुई हैं उन स्थानों पर ओवरब्रिज या अंडरब्रिज का निर्माण कराया जाएगा।
रेलवे अफसरों की माने तो करीब 15 हजार करोड़ की योजना में रेवाड़ी से बड़ौदा (गुजरात) तक 930 किलोमीटर रेलवे लाइन बिछाने के काम का ठेका लेने वाली कंपनी इस योजना पर निर्माण कार्य इस साल के अंत तक शुरू कर देगी। दूसरी तरफ रेलवे ट्रैक की परिधि में आने वाली जमीनों के अधिग्रहण का करीब 80 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है। शेष रहे लोगों को बुलाकर उनको मुआवजा राशि के चेक वितरित किए जारहे हैं। आधिकारिक जानकारी के अनुसार दादरी (नई दिल्ली) से लेकर मुंबई के बीच कुल 15 किलोमीटर तक नई रेलवे लाइन बिछाने की योजना को दो साल पहले ही केंद्र सरकार ने हरी झंडी प्रदान की है।
बाद में इस रेलवे ट्रैक को कोलकाता तकले जाना भी प्रस्तावित किया है। प्रथम चरण में योजना में रेवाड़ी से लेकर बड़ौदा (गुजरात) तक 630 किलोमीटर तक ट्रैक तैयार करने के लिए 45 हजार करोड़ रुपए के बजट की मंजूरी देकर निर्माण की जिम्मेदारी जापान की कंपनी को सौंपी गई है। निर्माण के तहत पूरे ट्रैक पर एक स्थान पर रेलवे फाटक नहीं होगी इसके साथ जहां पर भी फाटक लगाने की नौबत आएगी, वहां पर आरओबी या आरयूबी का निर्माण कराया जाएगा, ताकि यातायात अवरूद्ध होने की स्थिति नहीं रहे।
नहीं आए तो भी अवाप्त होगी जमीन : महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक व गुजरात समेत अन्य प्रांतों में कमाने के लिए गए कई परिवार ट्रैक के लिए अवाप्त की गई जमीनों की मुआवजा राशि लेने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं। इसके साथ तीन सौ से अधिक ऐसे भी ग्रामीण हैं जिनको बार-बार नोटिस भेजकर अपनी मुआवजा राशि का चेक लेने के लिए बुलावा भेजा जा चुका है। रेलवे की तरफ से नियुक्त किए गए अवाप्त अधिकारी का कहना है कि अगर जून माह तक अगर ये लोग अपना चेक लेने के लिए नहीं पहुंचे तो उनके नाम से जारी हुए चेक संबंधित एसडीएम को सौंप दिए जाएंगे। रेलवे अपने स्तर पर ही इन जमीनों को अपने कब्जे में ले लेगा। वैसे भी इन जमीनों को अवाप्त करने के आदेश जारी करने के साथ ही वहां पर सीमांकन भी कराया जा चुका है।
साभार - दैनिक भास्कर