सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 30 May 2010, 11:57:18

पाली। मारवाड़ जंक्शन व सोजत उपखण्ड के ग्रामीण इलाकों में न केवल ग्रामीण बल्कि बेजुबान मवेशी भी फ्लोराइड युक्त पानी का दंश भुगत रहे। फ्लोराइड युक्त पानी पीने से पशुओं की हडि्डयों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा। धीरे-धीरे ये "दर्द" इनकी मौत का कारण बनता जा रहा है। ग्रामीण तो अपनी पीड़ा बयां कर पाते हैं, लेकिन मवेशी तो बेजुबान हैं, उनकी पीड़ा कौन समझे।
पशु चिकित्सक भी मानते हैं कि जिले में बड़ी संख्या में मवेशी फ्लोराइड से पीडित हैं, लेकिन इसका सर्वे नहीं होता और लक्षण भी देरी से नजर आते हैं। इससे इस तरफ कोई ध्यान नहीं देता।
चिकित्सालय में नहीं ले जाते पशु
जानकारी का अभाव होने से पशुपालक मवेशियों में फ्लोराइड के प्रभाव दिखाई देने पर भी उन्हें चिकित्सालय नहीं ले जाते। पशुपालन विभाग की ओर से भी कोई सर्वे नहीं करवाया जाता है।
नहीं बनता कैल्शियम
फ्लोराइड के प्रभाव से मवेशियों की हडि्डयों में कैल्शियम बनना बंद हो जाता है। इसका प्रभाव दूध पड़ता है। इसका पता आसानी से पशु चिकित्सक को भी नहीं लगता। मवेशी प्रथम बार छह वर्ष की उम्र में प्रजनन करता है। वह तीसरी से पांचवीं बार प्रजनन करने तक सर्वाधिक दूध देता है। इसके बाद दूध की मात्रा कम होती जाती है और पांचवीं बार प्रजनन करने तक मवेशी की उम्र बारह-तेरह वर्ष हो जाती है। पशुपालक उसकी उम्र का तकाजा कर उसे आवारा छोड़ देता है या उसकी तरफ ध्यान नहीं देता।
बढ़ जाती हैं हडि्डयां
फ्लोराइड के प्रभाव से कई मवेशियों के दांतों की ऊपरी परत निकल जाती है। इससे उन्हें भोजन करने में परेशानी होती है। कइयों के दांत पीले, भूरे और अंत में काले तक पड़ जाते हैं। हडि्डयों के सिरे बढ़ने और तिरछे होने से मवेशी सीधे खड़े नहीं हो पाते। विशेषज्ञों के अनुसार फ्लोराइड के प्रभाव से हडि्डयों के बढ़ने से मवेशी के शरीर पर गांठें सी दिखाई देती हैं और उन्हें चलने में भी दिक्कत
होती है। हडि्डयां कमजोर होने से फ्रेक्चर हो जाते हैं। बछड़ा व बछड़ी के दांत देरी से आते हैं। बड़े मवेशी चारा नहीं पचा पाते। लंगड़ाकर चलते हैं और उसकी त्वचा खुरदरी हो जाती है।
कम होती है प्रजनन क्षमता
फ्लोराइड के प्रभाव से मवेशियों की प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है। मवेशी सामान्यत: बारह-पन्द्रह महीने में प्रजनन करते हैं, लेकिन फ्लोराइड से प्रभावित क्षेत्रों में प्रजनन समय बीस महीने तक भी बढ़ जाता है। दांतों में दर्द की वजह से मवेशी चारा बहुत कम खा पाते हैं। इससे भी उनकी सेहत गिरती जाती है।
इनका कहना है
पाली के कुछ गांवों में फ्लोराइड की समस्या से मवेशी पीडित हैं। इसका प्रभाव जितना मनुष्य पर पड़ता है, उतना ही मवेशियों पर भी। इसका सर्वे नहीं होने से फ्लोराइड से पीडित मवेशियों की निश्चित संख्या ज्ञात नहीं हो पाती।
डॉ. रामकिशन तंवर, अध्यक्ष पशु औषध विभाग, पशु चिकित्सालय एवं पशु महाविद्यालय, बीकानेर
फ्लोराइड का प्रभाव होने पर मवेशी दूध कम देता है। इस पर पशुपालक उन्हें आवारा छोड़ देते हैं। पाली में बड़ी संख्या में मवेशी फ्लोराइड से पीडित हैं।
डॉ. सुभाष कच्छवाह, विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केन्द्र, पाली
साभार - पत्रिका