सीरवी समाज - मुख्य समाचार

Posted By : Posted By Mangal Senacha on 07 Apr 2010, 09:00:57

सोजत, क्षेत्र के सबसे बड़े 150 शय्या वाले आचार्य रघुनाथ जैन स्मृति रेफ रल चिकित्सालय डॉक्टर्स की कमी, सुविधाओं के अभाव एवं मरीजों के बढ़ते ग्राफ से जूझता हुआ नकारा साबित हो रहा है। सोजत, मारवाड़ जंक्शन, बिलाडा़, रायपुर, जैतारण समेत दर्जनों गांवों के हजारों मरीजों की आशा के एकमात्र केंद्र सोजत की बदहाल स्थिति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यहां डॉक्टर्स के 11 पद रिक्त हैं। जबकि इस अस्पताल में वर्तमान में प्रतिवर्ष 15 से 17 हजार के आसपास आउटडोर मरीज एवं चार से पांच हजार अंतरंग मरीज पंजीकृत किए जाते हैं। कुछ समय पूर्व सात चिकित्साधिकारियों को चिकित्सालय में स्थानांतरित कर भेजा गया, लेकिन उनमें से एक भी चिकित्सा अधिकारी के पदभार ग्रहण करने की जानकारी नहीं है। डॉक्टर्स के अतिरिक्त यहां नर्सिंग सुपरिटेंडेंट, मेल नर्स ग्रेड द्वितीय के चार पद, फ फार्मासिस्ट, सहायक रेडियोग्राफ र, दंत तकनीशियन, लैब तकनीशियन, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता, फि जियोथेरेपिस्ट का एक-एक पद रिक्त है।
सरकार खुद है जिम्मेदार
डॉक्टर्स का सरकारी सेवा से मोह भंग होना और सरकारी सेवा में चयन के बावजूद नियुक्ति स्थान पर ज्वाइन नहीं करना, इन सभी के लिए सरकार जिम्मेदार है। सरकार को नीतिगत परिवर्तन करने होंगे, तभी सुधार संभव है। स्वास्थ्य सेवा में सबसे जरूरी है कि जिला मुख्यालय पर विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि पूरे जिले की जनता को आस होती है कि मुख्यालय के अस्पताल में उसे बेहतर इलाज मिल जाएगा। बांगड़ अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ विशेषज्ञों को हटाकर गांवों में लगा दिया गया जहां उनकी जरूरत कम है। नवनियुक्त डॉक्टर के ज्वाइन नहीं करने की समस्या पाली ही नहीं, पूरे राज्य में आ रही है। इसके पीछे यही कारण है कि एमबीबीएस के बाद पीजी करने वाले डॉक्टर का आरपीएससी में चयन हो जाता है और पढ़ाई का हवाला देकर वे नौकरी ज्वाइन नहीं करते हैं। सरकार को चाहिए कि भर्ती के समय वे अभ्यर्थियों से बांड भरवाएं, ताकि नौकरी का मानस नहीं रखने वाले भर्ती में शामिल ही न हों। गांवों में डॉक्टर्स की कमी पूरी करने के लिए एमसीआई के नियम कड़े किए जाने चाहिए। एमबीबीएस के बाद दो साल गांव में सर्विस देने के बाद ही एमसीआई स्थायी रजिस्ट्रेशन जारी करें तो यह समस्या दूर हो जाएगी। इसके अलावा संविदा डॉक्टर को संतोषप्रद सेवा के पश्चात नियमित करने, वेतन विसंगति दूर करने आदि कदम उठाकर सरकार डॉक्टर्स को सरकारी सेवा में आने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।
डॉ. आर.के. गर्ग,
पूर्व निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं