सीरवी समाज - ब्लॉग

हीराराम गेहलोत अध्यापक राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय,सोडावास(पाली)
Posted By : Posted By seervi on 23 Jul 2019, 04:25:30

#"सामाजिक एकता औऱ समरसता" तथा सीरवी समाज#
सीरवी समाज का अपना गौरवपूर्ण इतिहास रहा है।सीरवी समाज के लोगों ने अपने सामाजिक प्रतिमानों,उच्च आदर्श मूल्यों औऱ सच्चे व्यवहारवादी आचरण से हर कौम के लोगों का दिल जीता है।यह हम अपने व्यक्तिगत अनुभव औऱ अपने बड़े बुजुर्गों के कथनों से तथा औरों से श्रीमुख से सुनकर कह रहे है।इन तथ्यों में सत्यता औऱ यथार्थता है।प्राचीन काल में धनी लोगो को अपने यहाँ नौकरी या काम पर रखना होता तो सबसे ज्यादा प्राथमिकता सीरवी समाज के लोगों को ही देते थे।आर्थिक रूप से लेन-देन करना होता तो भी लोग बेझिझक व्यवहार करते थे।सीरवी समाज के लोगों को सदा ईमानदार,मेहनतकश औऱ सरल स्वभाव के रूप में जाना करते थे। उन्ही आदर्श मूल्यों औऱ सामाजिक प्रतिमानों पर चलकर हमने महाजनों से व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त की औऱ आज भारत के लगभग हर शहर में सीरवी समाज के लोगों ने उन्ही आदर्श प्रतिमानों औऱ मूल्यों से प्रगति का मुकाम हासिल किया है। यह सब हमारे पुरखो की महान विरासत का सुखद परिणाम है।आज सीरवी समाज तीव्र गति से आर्थिक उन्नति कर रहा है।
हमारे पुरखों के महान सामाजिक प्रतिमानों औऱ आदर्श मूल्यों से तत्कालीन समाज का ढांचा एकात्मक रूप से सुदृढ था।उस समय समाज के लोगों में गजब की समरसता थी औऱ पारिवारिक माहौल सौहार्द्धपूर्ण तथा आत्मीयता से परिपूर्ण थे। पारिवारिक सदस्यों में गजब का अनुशासन औऱ मर्यादाएं थी।घर-परिवार में बड़ो के प्रति जो आदर भाव था,वह काबिलेतारीफ था।यही वजह थी कि समाज में "सामाजिक समरसता औऱ एकात्मकता" ऊँचे दर्जे की थी। समाज भले ही आर्थिक रूप से पिछड़ा था लेकिन सामाजिक समरसता से बहुत ही सशक्त था।
अब हम अपने आपको उसकाल से तुलना करें तो हम पायेंगे कि समाज ने आर्थिक रूप से बहुत ही गजब की प्रगति की है।हम सब समाज को प्रगति के इस पायदान पर देखकर गर्वित है।आजकल के भौतिक युग में आर्थिक रूप से सबलता जरूरी है।समाज के लोगों ने अपने कठोर पुरुषार्थ,ईमानदारी ,मधुर बोलीऔऱ सदाचरण से अच्छी आर्थिक प्रगति की है,सब बधाई के पात्र है।हम सबको उनकी व्यावसायिक प्रगति पर गर्व है।यह सब हमारे पुरखो की सीख का ही सुखद परिणाम है।
अब प्रश्न उठता है कि आज सीरवी समाज जब आर्थिक रूप से सम्पन्न है,फिर भी "सामाजिक समरसता औऱ एकात्मकता" में पिछड़ा क्यों है?सीरवी समाज का सामाजिक ताना-बाना कमजोर क्यो हो रहा है?सीरवी समाज में पारिवारिक सौहार्द्ध घट क्यों रहा है?सीरवी समाज में पारिवारिक रिश्ते दरक क्यो रहे है?सीरवी समाज की युवा पीढ़ी नैतिक रूप से पतन की ओर क्यो अभिमुख है? ऐसे न जाने कितने अनगिनत प्रश्न है जो सीरवी समाज के हर उस प्रबुद्ध समाजी के मन-मस्तिष्क में हिलोरे ले रहे है,जिनको सीरवी समाज में सामाजिक समरसता औऱ एकात्मकता की प्रबल आवश्यकता महसूस होती है।
हम सभी बुद्धिजीवी है,समाज के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते है।हम सभी सीरवी समाज के शुभचिंतक है।हम सबको मिलकर सीरवी समाज को अपनी प्राचीन प्रतिष्ठित साख को पुनः अर्जित करना है।सीरवी समाज में "सामाजिक समरसता औऱ एकात्मकता" को लाना कोई नामुमकिन कार्य नही है।यदि समाज ठान ले तो बड़े से बड़ा कार्य भी सिद्ध किया जा सकता है।सीरवी समाज में "सामाजिक समरसता और एकात्मकता" के लिए हमें कही इधर-उधर जाने की आवश्यकता नही है,हमें अपने आपको अपने पुरखों के सामाजिक प्रतिमानों,आदर्श मूल्यों औऱ उनकी विराट सहृदयता को लेकर आत्मचिंतन-आत्ममंथन की आवश्यकता है।उन लोगों ने जो सामाजिक प्रतिमान स्थापित किया औऱ अपना जीवन जीया ,उसी को हम लोगों को अपनाने की आवश्यकता है।आज सीरवी समाज के लोगों में आत्मिक स्नेह की डोर कमजोर हुई है,उस डोर को मजबूत करने की जरूरत है।सीरवी समाज में बहुत ही छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद पैदा हो जाते है,उन्हें रोकने की आवश्यकता है।बड़ा दुःख तब औऱ ज्यादा हो जाता है जब पढ़े-लिखे प्रगाढ़ पंडित ऐसी गलतियां कर जाते है।छोटी-छोटी बातों पर अपना अड़ियल रुख रखते है औऱ अपनी तथ्यहीन बातों को लेकर संबंधों को तार-तार कर जाते है।धनी लोग अलनी व्यक्तिगत अहम से सामाजिक समरसता और एकात्मकता को क्षति पहुँचा जाते है।सीरवी समाज में आर्थिक प्रगति के साथ जो सामाजिक मर्यादाये छिन्न-भिन्न हुई है,उनको पुनः स्थापित करने की आवश्यकता है।अब प्रश्न उठता है कि क्या यह सब रोकना सम्भव है?मेरा इस संबंध में स्पष्ट राय है कि जीवन में ऐसी कोई समस्या नहीं, जिसका समाधान नही है अर्थात हर समस्या का समाधान है।हर कठिन कार्य को आसान किया जा सकता है,यदि हम सब एकात्मक रूप से सीरवी समाज में समरसता लाने का प्रयास करे तो यह विजन हम प्राप्त कर सकते है।
कई लोग इस संबंध में नकारात्मक दृष्टिकोण रखते है,वे कार्य प्रारंभ करने से पहले ही उसके परिणाम की घोषणा कर जाते है।ऐसे लोगों से समाज का यह सबसे बड़ा विजन पूर्ण नही होगा।इसके लिए समाज के सकारात्मक विचारधारा के लोगों को पहल करनी होगी, हमको कुछ नया नही करना है समाज मे जो "सामाजिक समरसता औऱ एकता" के बाधक तत्वों को रोकने के लिए एक सर्वव्यापक विधान बनाये औऱ उसे व्यापक स्तर पर सर्वानुमति प्राप्त करके लागू किया जाय।हम सबको ऐसे विषय ही प्राथमिकता से चयन करना है जिनके कारण समाज में सामाजिक समरसता औऱ एकता को ज्यादा नुकसान हुआ है।मेरी दृष्टि में जमीनी विवाद औऱ सामाजिक रिश्ते ये दो विषय ऐसे है जिस पर हम सबको विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।समाज का यदि सर्वव्यापी विधान बन जायेगा तो हर समाजी उसकी पालना करेगा।कोई भी उसे विमुख नही होगा,उलटा ऐसे विधान की सर्वत्र प्रशंसा ही होगी।युवा पीढ़ी को भी भान रहेगा कि नियमो की अवेहलना करने से घर-परिवार को नुकसान ही है।प्राचीन समय मे हमारी सामाजिक न्याय व्यवस्था थी,उसी का भय था कि समाज का ताना-बाना बहुत ही मजबूत औऱ प्रगाढ़ था तथा समाज में मर्यादाएं अपनी जगह थी। सामाजिक मर्यादाओं औऱ सीमाओं को लोग तवज्जो देते थे।हमें इस भौतिकवादी युग में उसे पुनःप्रस्थापित कर पाए तो सामाजिक समरसता औऱ एकता को एक बार पुनः मजबूती प्रदान की जा सकती है।आज कई समाज मे यह सामाजिक न्याय व्यवस्था मौजूद है औऱ उन समाजो में आज भी सामाजिक रिश्ते इतने छिन्न-भिन्न नही हुए जितने अन्य औऱ अपनी समाज मे देखने को मिल रहे है। हम सभी इस पर गहन मंथन करे औऱ सीरवी समाज को पुनः अपनी सामाजिक विरासत के प्रतिमानों औऱ आदर्शों से जोड़े औऱ समाज मे सामाजिक समरसता औऱ एकता को सुदृढ करे।
आइये,आप औऱ हम सभी इस पर ईमानदारी से गहन मंथन-चिंतन करे औऱ सीरवी समाज के लिए अपना सर्वोत्तम अर्पण कर मतदान महत्ती भूमिका का निर्वाह करे।
मेरा सीरवी समाज के सभी प्रबुद्धजनों, बुद्धिजीवियों औऱ शुभचिंतको से निवेदन है कि वे इस विषय पर अपने विचार रखे औऱ समाज के लिए कुछ करने व देने का भाव रखे।
मेरा विनम्रता से कहना है कि,
"समाज का संवार दो,उचित अपने कर्म करो।
परिणाम को त्याग दो,सुसम्मति से अपना अर्पण करो।।"
सभी बंधुजन-बहनों को मेरा सादर अभिनंदन-वंदन-नमन सा।
जय माँ श्री आईजी सा।
द्वारा
हीराराम गेहलोत
संपादक
श्री आई ज्योति पत्रिका।