सीरवी समाज - ब्लॉग

आलेख:-समाज में शिक्षित स्त्री - और पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों पर प्रभाव । - प्रतिभागी - 1 - मगराज करमारामजी सीरवी
Posted By : Posted By seervi on 19 Sep 2019, 12:25:17

प्रिय स्वजनो
सादर वन्दे ।
सीरवी समाज मे नारी शिक्षा प्रगति पथ पर है , हर मां बाप अपनी बेटी को पढाना चाहता है, पढाता है ।

नारी शिक्षा के बारे मे सत्य कहा गया है कि एक बालिका के पढऩे से सात पीढियों को फायदा होता है । जब लडकी पढती है तो पुरा परिवार उसको सम्मान देता है , घर परिवार मोहल्ले मे उसका मान होता है , जितनी गहनता से बेटियां शिक्षा ग्रहण करने मे मन लगाती है उतना बेटे नही लगाते ।?

समाज मे बेटियों का शैक्षणिक स्तर सुधरा है मगर माध्यमिक विद्यालयों से आगे मार्ग अवरूद्ध हो जाता है , मसलन अन्य गांव या बडे शहरों के कॉलेजों मे जाना, सगाई सगपण की तैयारियां , जवानी की दहलीज पर बढते कदम ।
उच्छ शिक्षा मे फिलहाल सीरवी समाज जितना प्रगतिशील होना चाहिए था उसके अनुपात मे बहुत कम है ,, इसके बहुत ही कारण है जैसै कम उम्र मे सगाई , अदलाबदली के सगपण , भाई-भतीज या अन्य के बदले मे उसकी सगाई , कॉलेजों मे अध्ययन हेतु अन्यो शहरो मे जाना,, कुच्छ नाममात्र लडकियों के पैर फिसलना और इसी तरह के बहुत से कारण है जो बेटियों को उच्च व उच्चतम शिक्षा मे रोडा बनते है ।

मसलन एक शिक्षित मां यानि पढीलिखी मां अपने बच्चो की शिक्षा पर ज्यादा जोर देती है , घर का हिसाब भी सही रख पाती है, व्यवसाय मे भी भागीदारी निभाती है , सामाजिक कार्यों मे भी बढचढकर भाग लेती है , शिक्षा व स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान आकर्षित करती है । यानि यह उक्ति सही ही है कि एक नारी पढेगी तो सात पिढी तरेगी ।

वैसे आजकल हमारी बेटिया भारत उच्च व उच्चतम शिक्षा की ओर कदम बढा रही है क्या है कि हमारे समाज मे यह ज्यादातर दुसरी या तीसरी पिढी ही शिक्षाक्षेत्र मे प्रगतिशील है अत: हम नारी शिक्षा मे इतना साहस नही जुटा पा रहे है ,, हमे यह आशा करनी चाहिए कि हमे इसमे आगे बढने का अवसर मिलेगा ही नही हम प्रयत्नशील रहेंगे ।
अंत मे मेरा कहना है कि जहां तक संभव हो बेटियों को संस्कारमय सुशिक्षा देने का सफल मनोगतमय प्रयत्न आवश्यक है और बेटियों को भी अपने संरक्षकों को यह विश्वास दिलाना होगा कि हम मांबाप और संरक्षकगणों व समाज के नैतिक मुल्यों पर आंच नही आने देगे ।

आजकल की सरकारे भी नारी शिक्षा पर ज्यादा सुविधाएं दे रही है ,बेटियों की पढाई पर ज्यादा ध्यान दे रही है और दिलवा रही है । सरकारे बेटियो को ज्यादा अधिकार दिलवा रही है । अतः बेटा बेटी मे भेद करना सही नही है । बहुत सी जगह यह पाया जाता है कि बेटे के ठुकराये मांबापो को बुढापे मे बेटियां ही सहारा देती है ।

मां आईजी के आशिर्वाद से सीरवी समाज हर क्षेत्र मे प्रगतोन्मुख है , मगर नारी शिक्षाक्षेत्र मे समयानुसार पिच्छे है अतः हमे इस कमी को दूर करना होगा और सकारात्मक कदम उठाने होंगे ।

नारी तू नारायणी ।
बेटी बढाओ--बेटी पढाओ ।
एक बेटी पढेगी ,,तो सात पिढी तरेगी ।

आपकाभ्राता
दो शब्दों की माला प्रस्तुत करने वाला ।
प्रिय महानुभाव , प्रेम से पढे और गलती हो क्षमस्व:
मगराज करमारामजी सीरवी
बिजोवा ::रानी::राजस्थान
पिन. ३०६६०१ भ्रमणध्वनि नं. 9890458250
माणगाव::रायगड::महाराष्ट्र ।