सीरवी समाज - ब्लॉग

शिक्षा का महत्व सदियों पुराना है : प्रस्तुति मगराज करमारामजी वरपा
Posted By : Posted By seervi on 25 Aug 2019, 13:16:32

शिक्षा का महत्व सदियों पुराना है । शिक्षा ग्रहण करना यानि अपने आप को निखारना । अपनी कुशाग्रता बढाना , चंचलता बढाना होता है । शिक्षा ग्रहण करने से हम सामाजिक साहित्यों का अध्ययन कर सकते है, लेखाजोखा रख सकते है, लेनदेन का सही हिसाब रख सकते है और भी अनगिनत फायदे है , कहते भी है और सत्य भी है कि पढेलिखे को चार आंखें होती है ।
भारतीय संविधानानुसार हर एक को शिक्षा देना हमारा कर्तव्य है और शिक्षा ग्रहण करना हर बालक का अधिकार है और यह फर्ज हमे पुरा करने का अवश्य प्रयत्न करना ही चाहिए । उसके साथ साथ हमे अपने बच्चों को धार्मिक , मानवीय शिक्षाओं से भी रूबरु करवाना चाहिए । जहां विद्यालयीन शिक्षा उसे पढना लिखना सिखाती है , वहीं धार्मिक, और मानवीय शिक्षा उसे संस्कारों के प्रति जागरूक करती है, आडंबरों व अंधविश्वासों से दूर करती है , अपने आप को वैचारिक मजबूती मिलती हैं। और भी अनगिनत लाभ है शिक्षा पाने के ।
हमे यह सबसे पहले सोचना है कि बच्चों को मातृभाषा मे दी जानेवाली शिक्षा सबसे ज्यादा असरदायक रहती है , अपनत्व रहता है , अन्य भाषाओं की सिखावट की तरह उसको अपनी मातृभाषा मे परिवर्तित नही करना पडता,अपने संस्कारो की झलक उसमे रहती है, अपने रितीरिवाजोनुसार उच्चारण होता है, अपने वार त्यौहारों के अनुरूप होती है इसलिए उसका महत्व और भी ज्यादा होता है ।
आजकल शिक्षा का भी बाजारीकरण हो रहा है और यह दुखद भी है , असह्य भी है मगर फिर भी हम सहन कर रहे है, शिक्षकों व विद्यार्थियों मे जो असहनशीलता बढ रही है यह भी चिंताजनक है , और हम इसे नकारते भी है और मूकदर्शक बन कर सहन भी करते है ?
आज का युग कल+युग का है, मशीनरी युग है, सूचनाओं के आदानप्रदान का युग है , दुनिया नजदीक आ रही है, हम क्षणभर मे ही दुनिया की गतिविधियों को जान सकते है , अतः हमे इस और भी ध्यान देना जरूरी है , अपने बच्चो की ,भावी पिढी की आशा आंकाक्षाओं को प्रोत्साहित करना ही समय की मांग है, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ रही है अतः हमे भी इस युग मे साथ चलने हेतु तैयार रहना पडेगा, आगे रहना होगा, सजगतापूर्वक आगे कदम बढाने होगे, आलस्य झटकना होगा , तत्परता रखनी होगी , इत्यादि इत्यादि ।
आजकल
उच्च शिक्षा हेतु घर से दूर भी रहना पडता है तो पालको से मेरा निवेदन है कि अपने बच्चों पर भरोसा अरे, उन्हे प्रोत्साहित करे, उनका मनोबल बढाये, यदाकदा होनेवाली गल्तियों पर उन्हे सही ढंग से समझाये । और शिक्षणार्थियों को भी अपने संरक्षकों के विश्वास को निभाना चाहिए, अच्छी संगत रखे , अपने भविष्य की सफलताओं को ध्यान मे रखकर अपना शिक्षण प्राप्त करे, अपने आप को कुंठीत न समझे, अपने आप को असह्य न पायें । विद्यार्थियों से यह भी अपील है कि मांबाप या पालक और संरक्षक आपको सुविधाएं और धन मुहैया करा सकते है , परीक्षा परिणाम तो आप पर ही निर्भर है , अवश्य याद रखे ?।
विद्यार्थियों से अपील है कि अपने शिक्षण को कभी बोझ न समझे और यह न सोचे कि अमुक विषय निम्न है , अमुक विषय अच्छा है, इसमे चांस कम है, ज्यादा है । आजकल होनहारों के लिए कोई काम छोटा या बडा नही होता,, हर विषय का शिक्षण जीवनयापन की हामी देता है , हर क्षेत्र मे आप प्रगति कर सकते है । नर्वसता का कोई साथी नही होता, सही काम करो , दुनिया तुम्हारी पीठ थपथपायेगी , शाब्बाशी देगी, तुम दूसरों के लिये आदर्श बनोंगे , इत्यादि इत्यादि ।
आखिर मे मै इतना ही कहना चाहता हूं कि हमे इंजिनियर , चिकित्सक, साहब बनने से पहले एक मनुष्य बनना है ।
मुझे विश्वास है कि पालक अपने बच्चों को शिक्षा दिलवाने मे अवश्य प्रयत्नशील रहेंगे, गरीब बच्चों की शिक्षा मे समाज और सरकार सहयोग देगे और बच्चे भी अपने अपने क्षेत्र मे आगे बढेंगे, समाज व राष्ट्र को प्रगतिपथ पर अग्रेषित करेंगे ।
?धन्यवाद ?
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️?मगराज क. सीरवी ?
मगराज करमारामजी वरपा
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