सीरवी समाज - ब्लॉग

ज्ञान और दौलत
Posted By : Posted By seervi on 12 Aug 2019, 03:51:19

एक बार महालक्ष्मी भगवान से किसी बात पर नाराज हो गयी और उन्होंने अपना विरोध प्रकट किया तो प्रभु ने उनसे पूछा की महालक्ष्मी बताये आपको क्या चाहिए तो महालक्ष्मी ने कहा कि प्रभु मुझे अभी ही एक वरदान दीजिये , तो प्रभु ने उन्हें वरदान दिया कि जाइये महालक्ष्मी आप जब चाहे ,जिसे चाहे ,जो चाहे दे सकती है ,पर याद रखिए कि उसे छिनने का अधिकार मेरे पास होगा। जब माँ सरस्वती को ये बात पता चली तो उन्होंने भी भगवान की स्त्तुति की पुरे मन से उनकी आराधना की तो भगवान उनसे प्रसन्न हुए और बोले सरस्वती आपको क्या चाहिए तो माँ सरस्वती ने कहा कि प्रभु मुझे भी एक वरदान चाहिए तो भगवान मुस्कुराये और उन्होंने माँ सरस्वती को वरदान दिया कि जाइये सरस्वती आप भी जिसे चाहे जो चाहे दे सकती है,पर उसे छिनने का अधिकार मेरे पास नहीं होगा। कहने का मतलब हम दुनिया में धन दौलत कमाते हे तो धन दौलत आनी जानी है,लेकिन आपका हुनर ,कला और आपका ज्ञान आपसे कोई नहीं छीन सकता ।कहने का मतलब जब मन लगा कर ज्ञान ग्रहण किया जाये तो उसे छीनने का अधिकार स्वयं भगवान विष्णु के पास भी नहीं होता है ,लेकिन पैसा तो हाथ का मेल हैं कभी इस हाथ तो कभी उस हाथ । हमारी युवा पीढ़ी को धन कमाने की बहुत लालसा रहती है पर यदि सही समय में सही ज्ञान का मार्गदर्शन हो जाये तो धन दौलत कमाने से हमे कोई नहीं रोक सकता

नीता देवड़ा?