?समाज सेवक बनना और नाराज होना दोनों चीजें साथ नहीं चल सकती है।
कारण समाज सेवा छोड़ो या नाराज होना छोड़ो...!
?मुझे मालूम था इसलिए में नहीं आया?
?मेरा फोटो नहीं छपा इस लिए में नही आया
?मेरा निमंत्रण पत्रिका में नाम नहीं था इस लिए में नहीं आया
?मुझे उसमे कुछ मिलने वाला नहीं था इसलिए में नहीं आया।
?मुझे कोई पद नहीं मिला इसलिए में नहीं आया।
?मुझे कोई सुनता नहीं है
इसलिए में नहीं आया
?मुझे स्टेज पे नहीं बिठाया इसलिए में नहीं आया।
?मेरा सम्मान नहीं किया इसलिए में नहीं आया।
?मुझे बोलने का मौका नहीं दिया इसलिए में नहीं आया
?कमेटी,अध्यक्ष मंत्री मेरे विरोधी है इसलिए में नहीं आया
?मेरे विचार सुझाव को बहुमत से उड़ा दीया जाता है इसलिए में नहीं आया।
?बार बार आर्थिक बोझ मुझ पर डाल दिया जाता है इसलिए में नहीं आया
?सभी काम मुझे सौंपा जाता है इसलिए में नहीं आया।
?नेता गण अपनी मनमानी करते है इसलिए में नहीं आया
?हिसाब देते नहीं है कोई सुझाव लेते नहीं है इसलिए में नहीं आया।
?टाइम नहीं मिल रहा इसलिए में नहीं आया।
?वगैरह वगैरह
?यह सब क्या है?????
?इसलिए हम समाज सेवक बने है..?
?समाज सेवा मतलब यह सभी बातो का छोड़ देना
?और जो छोड़ दे , वो ही एक अच्छा समाज सेवक.
?बाकी समाज सेवा का ढोंग करने वाले गली गली मिलते है
?भाई अगर सच्चा कार्य वो ही है जो समाज के हित को सर्वोपरि बना सके
?इसलिए कहा है कि समाज सेवा मतलब तलवार की धार पे चलने का कार्य है
और उसमे कोई कायर का काम नहीं *\"
?जिंदगी में सघर्ष जरूरी है
?इसलिए जो लोग समाज सेवा में अपना मूल्यवान समय दे रहे है उन लोगो को तन मन धन से सहयोग देके
समाज के अच्छे कार्यों को
आगे बढ़ाए...?
पदलोलुपता नही रखे सच्ची ओर अच्छी समाज सेवा करे नेतागिरी नही करे
?स्वहित नही परहित कार्य करना श्रेष्ठ समाज सेवा है
?एक बनो नेक बनो ?प्रेरणा पुँज बनो?
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