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बीती को भूलना-एक मंत्र :- मनोहर सीरवी
Posted By : Posted By Raju Seervi on 25 Oct 2021, 12:57:42

बीती को भूलना-एक मंत्र :- मनोहर सीरवी

दीपावली - प्रकाश पर्व! समृद्धि की देवी लक्ष्मी की उपासना का पर्व। अंधेरे पर उजाले की विजय का प्रतिक । बुराई पर अच्छाई की जीत। अज्ञानता पर ज्ञान का परिचय, आदि,आदि....।

आज हमारा सीरवी समाज भी विकास के बावजूद कई तरह के विवादों से जकड़ा हुआ है। कुरीतियों, आपसी राग-द्वेष समाज को जकड़े हुए है। आपसी वैमनस्यता इतनी ज्यादा है कि लगता है कि समाज बिखर जायगा। इन सबका मूल कारण हमारे समाज में एक दूसरे की टांग खिंचाई हैं। हम अहंकार में डूबे हुए है। सिर्फ स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ मान बैठे है। समाज तभी आगे बढ़ेगा जब हम सबको साथ लेकर चलें। बुराइयों की जड़ पर कुठाराघात करें।

हम अपना काम सही तरीके से तभी कर पायेंगे जब पिछली भूलों, कमियों गलतफहमियों, कमजोरियों को मन से निकाल देंगे। इन बातों को भूलने से प्रतिकूलता की भावना, अप्रिय प्रसंग के कडुवे अनुभव, व्यर्थ की हाय हाय मिट जाती हैं।

जो व्यक्ति हठ और नकारात्मक विचारों का शिकार रहता है, वह निरंतर पछतावे और बैर-विरोध की आग में जलता है। आत्मग्लानि का अनुभव करता है। उसके ह्रदय में हमेशा बैचैनी का तूफान मचा रहता है। इस कारण उच्च शिखर पर रहकर भी मनोमालिन्य से घिरा रहता है। हमारी नकारात्मक सोच ही सबसे बड़ी बुराई है जो हमारी दृष्टि के साथ- साथ सम्पूर्ण सृष्टि को भी नकारात्मक बना देती है। अगर हम वक्त को पहचानकर उसके अनुसार नहीं ढलते तो सिवाय पछतावे के और कुछ हाथ नही लगेगा।

आज हमारा समाज विकास की और अग्रसर तो है लेकिन अत्यंत धीमी रफ्तार से ही। हमे अपने समाज को आगे बढ़ाने हेतु निजी महात्वाकांक्षा को हटाना होगा, हठ त्यागना होगा। हमें पूरी हिम्मत, साहस, धैर्य से आगे बढ़ना होगा, सभी को गले लगाना होगा, यदि कोई अच्छा कर रहा है तो उसे और अच्छा करने के लिये प्रोत्साहित करना होगा, न कि टांगखिचाई। हमें बुनियादी उसलों का पालन करना होगा। सफलता-प्रेरणा, आकांक्षा और मेहनत का ही परिणाम होगा। जब तक अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल न हो जाँय, सच्ची लगन, धैर्य, संयम, समपर्ण और उत्साह के साथ कार्य में जुटे रहना होगा। इसी से ही हम सफलता के अगले पायदान पर चढ़ सकेंगे तथा सपनों को साकार कर सकेंगे। सफलता तभी हासिल होती है जब विश्वास हो कि जिस कार्य का बीड़ा हमने उठाया है, उसे हम पूरा करके ही रहेंगे।

आइये दीपावली के पावन पर्व पर हम शपथ लें कि जैसे अपने उद्योग की गति और विकास के लिए हम हर कुर्बानी देने को तैयार रहते हैं - वैसे ही हम अपने सीरवी समाज के विकास और उन्नति हेतु भी हर कुर्बानी देने को तैयार है। हर कठिनाई सहने के लिये तैयार हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि सच्चे मन से किये गये हर प्रयास में सफलता अवशय मिलती हैं।

आपका
मनोहर सीरवी सुपुत्र श्री रतनलाल जी राठौड़ जनासनी-साँगावास (मैसूरु)
संपादक, सीरवी समाज डॉट कॉम