सीरवी समाज - ब्लॉग

एक बार पुनः अपने भावाभिव्यक्ति की बेजोड़ प्रस्तुति आपके श्री चरणों में
Posted By : Posted By दलपत सिंह राठौड़ (बिलाड़ा ) on 21 May 2021, 06:

"विनाशक व्याधि"

मास फागुन में आँधी सी।
आयी विनाशक व्याधि सी।।

जाने किस ऋतुचक्र में फँसकर।
बेकसूर, निरपराधों को चटकर।
दुष्ट मायावी, कुलटा रूप लेकर।
अनगिनत बंधुओं पर पैर पसारकर।।
बन बैठी गृह स्वामिनी सी।
मुंह फुलाएं कुलघातिनी सी।।
आयी विनाशक...............

जाति,धर्म, मत,पंथ से ऊपर उठकर।
क्षेत्र, समुदाय विशेष से नाता तोड़कर।
नाम कोरोना विश्व प्रसिद्ध रखकर।
अकड़ अपनी हर घर-घर फैलाकर।।
बिन बुलाए मेहमान सरीखी सी।
बन गई भारत की साम्राज्ञी सी।।
आयी विनाशक..................

अपनों को अपनों से लूटकर।
असहाय, अनाथ उन्हें बनाकर।
रणभूमि अपनी यहाँ सुदृढ़कर।
कमजोर निर्धनों को निगलकर।।
ताक रही क्रूर गिद्ध दृष्टि सी।
आ बैठी निकृष्ट घमंडी सी।।
आयी विनाशक.............

पर आज यह संकल्प धारणकर।
मर्यादा,अनुशासित नियम अपनाकर।
तुझे भगा देंगे मन में निश्चयकर।
बनने नहीं देंगे पक्का यहाँ घर।।
देखती रह जाएगी तू ठगी सी।
शीघ्र बनाएंगे भू को निरोगी सी।।
आयी विनाशक.............

आओ हम सब संगठित होकर।
सरकारी निर्देशों की पालना कर।
महामारी को क्षितिज तक भेजकर।
निश्चिंत हो जाए जड़मूल नष्ट कर।।
निश्चिंत हो जाए जड़मूल नष्ट कर।।


दलपत सिंह राठौड़ (बिलाड़ा )

कोविड वैश्विक महामारी की इस दूसरी लहर को हम सभी देशवासी मर्यादित, संयमित, अनुशासित एवं दृढ़ संकल्पित होकर सरकारी दिशा निर्देशों को पूर्ण मनोयोग से पालना करते हुए विनाशक व्याधि को नष्ट करने की प्रेरणा इस काव्य रचना से लेकर हम आने वाली बाधाओं को डटकर सामना करने का प्रयास करेंगे।