सीरवी समाज - ब्लॉग

प्रस्तुति : श्रीमती विजय लक्ष्मी चौधरी (उप प्रधानाचार्या, रानी देवेन्द्र कुमारी पब्लिक स्कूल, बिलाड़ा) 9460591145
Posted By : Posted By seervi on 27 Jul 2019, 08:06:57

"तमसो मा ज्योतिर्गमय"

अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाओ, यह प्रार्थना भारतीय संस्कृति का मूल स्तंभ है - प्रकाश में व्यक्ति को सब कुछ दिखाई देता है अंधकार में नहीं l
यहां प्रकाश का तात्पर्य ज्ञान से है, और ज्ञान से व्यक्ति का अंधकार नष्ट होता है, उसका वर्तमान और भावी भविष्य का जीवन जीने योग्य बनाता है l
इसी को आधार मानते हुए बिलाड़ा में "रानी देवेंद्र कुमारी पब्लिक स्कूल" की स्थापना इस्वी संवत 2000 में बिलाड़ा में स्थित श्री आईमाताजी के पवित्र मंदिर प्रांगन के पास स्थित माननीय श्री दीवान माधव सिंह के आवास परिसर में स्थित है, विशालकाय निर्माण से आछंडित इस परिसर में शिक्षा के आयामों को केंद्र में रखते हुए स्वयं श्रीमुख श्री दीवान माधव सिंह एवं उनकी छोटी बहिन (श्रीमती मोहन कंवर जाडेजा) द्वारा इस्वी संवत 2000 में बाड़ी महल (नजर बाग़) में स्थापित किया गया l जो कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के नियमानुसार मान्यता प्राप्त है l
पूर्व दीवान स्व. श्री हरी सिंह जी को शिक्षा के महत्व की जानकारी देश की आजादी से भी बहुत पहले से थी, उनके अनुसार आने वाला भविष्य \"बौद्धिक कौशल\" का है, इसी निमित अपने प्रयासों से तत्कालीन समय में बिलाड़ा के नजदीकी रहवासी कृषि जनित कार्यो में जीवन यापन करने वाले नागरिको के लिए बिलाड़ा के चारो तरफ विद्या मंदिरों की स्थापना का प्रोत्साहन देकर एक समुचित शिक्षा प्रणाली की नीव रखी, देश की आजादी से पूर्व ही अल्प उम्र में दीवान हरिसिंह जी के दिवंगत हो जाने पर उनकी धर्मपत्नी श्रीमत राज कंवर झाला जी ने अपने आवास प्रांगन में ही क्षेत्र के छोटे छोटे बच्चो की प्राथमिक शिक्षा को सुचारू रखने योग्य अनेक प्रयत्न किये, शिक्षा के महत्व की परिभाषा के अनुसार अपने पुत्र वर्तमान दीवान माधव सिंह जी को देश विदेश के प्रतिष्ठित संस्थानों से उच्चतम शिक्षा के अर्जन हेतु व्यापक प्रबंध किये l अपने सामजिक दायित्वों का निर्वहन करने के साथ साथ वर्तमान शिक्षा के आधारभूत ढाँचे से क्षेत्र के भविष्य को निखारने के लिए दीवान माधव सिंह ने अपनी दिवंगत पत्नी श्रीमती रानी देवेन्द्र कुमारी (लाडीसा) की स्मृति में अपने स्वजनों और छोटी बहिन (श्रीमती मोहन कंवर जाडेजा) के साथ साझा प्रयासों से अपने आवास स्थित क्षेत्र के वाड़ी महल (नजर बाग़) में इस्वी सन 2000 मैं अंग्रेजी माध्यम की प्राथमिक स्तर के विद्यालय की शुरुआत की, जिसका नाम \"रानी देवेन्द्र कुमारी पब्लिक स्कूल (रानी साहिबा स्कूल) रखा गया, चूँकि तत्कालीन समय में क्षेत्र में अंग्रेजी मध्यम की कोई स्कूल नहीं थी, एवं क्षेत्र के विद्यार्थियों को समकालीन शिक्षा व्यवस्था के अनुरूप अंग्रेजी माध्यम का प्रथम प्रयास अपने आप में एक मिसाल के रूप में क्षेत्रवासियों को प्राप्त हुआ l
आज यह विद्यालय कक्षा नर्सरी से बाहरवी तक (कॉमर्स एवं विज्ञान) संचालित है, अभी तक विद्यालय परिसर में 800 से ज्यादा छात्र छात्राए दूर दराज क्षेत्र जिसमे बेंगलुरु, चेन्नई, हेदराबाद, मुंबई, पुणे, सूरत आदि अनेक स्थानों से अध्यनरत है, विद्यालय का मुख्य उधेश्य विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ साथ अनुशाषित एवं सुसंस्कारित करना ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके l कमजोर विद्यार्थियों के लिए विद्यालय समय में ही अनुभवी एवं प्रशिक्षित अध्यापको द्वारा प्रभावी अध्ययन करवाया जाता है l
समूचे विद्यालय परिसर में 30 कक्षा कक्ष, विज्ञान विषय की 3 आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशाला, कंप्यूटर विज्ञान के लिए विशालकाय 50 कंप्यूटर एवं स्मार्ट शिक्षण विधि से सुसज्जित प्रयोगशाला, शेक्षणिक एवं एतिहासिक ज्ञान से सुसज्जित हजारो की संख्या में पुस्तकों एवं आधुनिक तकनीक से कंप्यूटर द्वारा किताबो के पढने की व्यवस्था सहित विशालकाय पुस्तकालय, शिक्षण पैटर्न में समाहित अन्य गतिविविधियो में संगीत को विशेष महत्व देते हुए सभी तरह के वाध्य यंत्रो एवं अनुभवी शिक्षको की देखरेख में विद्यार्थियों की रूचि एवं प्राथिमक स्टार से ही विद्यार्थियों को वाध्ययंत्रो की जानकारी और सिखाने की सम्पूर्ण व्यवस्था, विद्यार्थियों के शारीरिक विकास के मद्धे नजर प्राथमिक स्टार के विद्यार्थियों के लिए किंडर गार्डन, एवं अन्य विद्यार्थियों के लिए बालीवाल, कबड्डी, एथेलेटिक्स, टेबल टेनिस, खोखो, शतरंज, बेडमिन्टन, बास्केट-बाल, आदि की नियमित शिक्षण विधि द्वारा कालांश व्यवस्था में समायोजन l
विद्यालय के छात्र छात्राए स्काउट गाइड में रास्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति पुरूस्कार से नवाजे गयी है, विद्यालय में विद्यार्थियों के अनुशाशन एवं प्रतियोगात्मक वातावरण को हाउस वाइज क्रियाकलापों द्वारा सह शेक्षणिक विधि द्वारा संगीत, नृत्य, चित्रकारी, खेल, प्रतियोगी परिक्षा आदि के माध्यम से विद्यार्थियों का पूर्ण रूप से शारीरिक और मानसिक विकास सर्वोपरि l
देश भर के दूर दराज इलाको के विद्यार्थियों को विद्यालय परिसर में ही दीवान साहब के परिवार के सदस्यों की देखरेख में उनके निजी आवास में सम्बंद आवासीय छात्रावास, अनुभवी एवं कठोर अनुशाशन के वातावरण में प्रशिक्षित वार्डन के सानिध्य में संचालित किया जाता है, जहा स्वयं दीवान साब अपने व्यक्तिगत समय में से अनुभवी संदेशो का आवासीय छात्रावास के विद्यार्थियों को धर्म और नेतिकता का सम्प्रेषण ज्ञान प्रदान करते रहते है l