सीरवी समाज - मुख्य समाचार

मां-बेटे दोनो ने
Posted By : Posted By KAILASH MUKATI VIP MANAWAR on 16 Jun 2013, 23:33:17
मां-बेटे दोनो ने एक साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की हायर सेकण्डरी परीक्षा (प्रस्तुतिः- सोहन चैहान हरिबड़, एवं अनिता चोयल बड़वानी, म.प्र.) (द्वाराः- हीरालाल देवड़ा, बड़वानी) ---ःःः000ःःः--- आईमाता ने अपने अनुयाईयों के सांसारिक एवं पारलौकिक हितों की पूर्ति हेतु जिस पंथ की स्थापना की थी उसमें षिक्षा को आजीवन चलने वाली प्रक्रिया माना गया है। सिर्वी समाज के लोग आईपंथ को अपना कर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलताएं प्राप्त कर रहे हैं, जिसमें षिक्षा का क्षेत्र भी शामिल है। जीवन में कठिन परिस्थितियां आती है, जिसके कारण हमारी इच्छाएं एवं सपने अधूरे रह जाते हैं। यदि सच्चे मन से ईष्टदेवी आईमाता का ध्यान कर धर्मगुरु दीवान सा. का आाषीर्वाद लिया जाए तो अधूरी इच्छाओं को पूर्ण होते देर नही लगती और सफलता हमारे कदम चूमने लगती है। बड़वानी जिले के सिर्वी समाज के छोटे से ग्राम हरिबड़ में श्रीमती मंजू पति श्री मुकेष गेहलोत एवं उनके सुपुत्र चि. निखिल गेहलोत दोनों ने इस वर्ष मध्यप्रदेष माध्यमिक षिक्षा मण्डल की हायर सेकण्डरी परीक्षा साथ साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। एक मां ने अपने बेटे के साथ परीक्षा उत्तीर्ण कर यह प्रमाणित कर दिया है कि- षिक्षा की कोई उम्र नही होती। षिक्षा एक महान सात्विक बल है। 35 वर्षीय मंजू ग्राम हरिबड़ के ही श्री मांगीलाल दीपाजी राठौर की पुत्री है। वे प्रारंभ से ही एक मेघावी छात्रा रही है। उन्होंने स्वयं कुक्षी के शासकीय कन्या परिसर विद्याालय से 1992 में कक्षा 10 वी की परीक्षा 84 प्रतिषत अंको के साथ उत्तीर्ण की थी। उनके घर की परिस्थितियां अनुकूल नही थी इसलिए वे और आगे नही पढ़ सकी। घरवालों ने उनकी शादी कर दी और इस प्रकार आगे पढ़ने की इच्छा अधूरी रह गई। लगभग 20 वर्ष की अवधि बीतने के बाद श्रीमती मंजू का बेटा निखिल पढ़ाई करने के लिए इन्दौर गया । इस वर्ष निखिल कक्षा 12 वी की बोर्ड परीक्षा में था, इसलिए उसकी व्यवस्था एवं तैयारी कराने की दृष्टि से मुकेष गेहलोत ने अपनी पत्नि मंजू को भी इन्दौर भेज दिया। अपने बेटे को पढ़ाई करते देख मंजू के मन में दबी षिक्षा प्राप्त करने की अभिलाषा पुनः जाग उठी। उसने पति से बात की कि वह भी हायर सेकण्डरी का फार्म भरकर परीक्षा देना चाहती है। पति मुकेष ने जब इसके लिए सहर्ष स्वीकृति दे दी तो मंजू ने भी प्रायवेट फार्म भर दिया। निखिल ने अपनी मां कीे पूरी मदद की, विषेषकर अंग्रेजी विषय में। मंजू घर का कामकाज निपटाकर अपने बेटे के साथ नियमित पढ़ाई करने बैठ जाती। निखिल रोजाना 8 घंटे पढ़ाई करता तो मंजू करीब 6 घंटे पढ़ाई करती रही। परीक्षा के बाद जब विगत दिनो उनका परीक्षा परिणाम आया तो मां और बेटे दोनो ही प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। मां ने इस परीक्षा में आर्ट संकाय लिया था तो बेटे निखिल ने कृषि संकाय से परीक्षा उत्तीर्ण की है। मां को 60 एवं बेटे को 70 प्रतिषत अंक प्राप्त हुए। निखिल का कहना है कि मम्मी और मैने एक साथ पढ़ाई की। हालाकि मेरा विषय एग्रीकल्चर एवं मम्मी का आर्ट्स था। मैं हिन्दी में कमजोर था इसलिए मम्मी ने इसमें मेरी मदद की। मम्मी घर का सारा कामकाज निपटाने के बाद पढ़ाई करती। मम्मी को पढ़ाई करते देखकर मुझे भी प्रेरणा मिलती और मैं पूरी लगन से पढ़ाई करता। हमने खूब मेहनत की और आईमाता की कृपा से हमें सफलता भी प्राप्त हुई। निखिल और आगे उच्च अध्ययन कर कृषि वैज्ञानिक बनना चाहते हैं। मंजू भी अब आगे और आगे पढ़ाई जारी रखना चाहती है। इस प्रकार मां-बेटे ने एक दूसरे को षिक्षा के लिए अभिप्रेरित कर जैसे एक दूसरे की मदद की हैे वह समाज के लिए अनुकरणीय है। सिर्वी संदेष पत्रिका परिवार की तरफ से मां-बेटे को मिली इस सफलता पर हार्दिक बधाई एवं इनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं । मंजू के पति मुकेष पिता पन्नालाल गेहलोत स्वयं हायर सेकण्डी तक ष्ाििक्षत होकर एक उन्नत किसान है। मुकेष ग्राम के सामाजिक एवं धार्मिक कार्यक्रमो में हमेषा अग्रणी रहते हेैं। ने बताया कि आसपास मे जब भी किसी बालिका की पढ़ाई मे बाधा महसूस होती तो उनकी पत्नि हमेषा उन बालिकाओं को हिम्मत बंधाती एवं एवं उन्हें पढ़ाई में मदद करती है। वह एक सहृदय गृहणी एवं परिवार में सबको साथ लेकर चलने वाली महिला है। अपने बेटे के साथ साथ अपनी पत्नि को भी फिर से पढ़ाई करने की सहर्ष अनुमति एवं अवसर प्रदान करने की दूरदर्षी सोच के लिए लिए श्री मुकेष गेहलोत भी धन्यवाद के पात्र है। ---ःःः000ःःः--- (हीरालाल देवड़ा, बड़वानी, मध्यप्रदेष) 09893844571/9617024140