सीरवी समाज - मुख्य समाचार

ग्रामिण परिवेश से पढ़ाई व कामयाबी में सहायक सिद्ध हुयी - कानारामजी IAS
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 15 May 2013, 10:00:48
बेंगलोर,सीरवी समाज मुलतः एक छोटे से भौगोलीक क्षैत्र में फैला होने से आपसी-जान पहचान ज्यादा रही, कालान्तर हम मालवा, निमाड़ व दक्षिण के राज्यों में गये मगर समाज का जुड़ाव निरन्तर बढ़ता गया । सामाजिक व धार्मिक आयोजनों में हर बार एक विषय पर चर्चा व चिन्तन होता कि समाज में IAS व IPS बनने चाहिए, यह सुनते ही क्षणभर के लिए सन्नाटा छाजाता था, समाज की मजबुरी व शुन्यता नजर आती थी और आगे किसी को कुछ नहीं सुझता। इस शुन्यता को भरने का काम किया सिसरवादा ग्राम ( जिला-पाली ) के मेधावी प्रतिभावान श्री कानाराम जी चोयल ने । देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सर्विसेज परीक्षा में देशभर में सामान्य क्षैणी 54 वां रेंक व ओबीसी में तीसरा रेंक प्राप्त करने वाले श्री कानाराम जी इस लिए खास है कि समाज का एक बड़ा तबका भौतिकवाद के इस युग में दक्षिण भारत का रुख कर भेड़चाल चल रहा हैं । हालांकि आठवीं दसवीं तक शिक्षा प्राप्त कर अपने सगे-सम्बधियों के संग रोजी-रोटी की तलाश में दक्षिण भारत गये अधिकतर लोग की आर्थिक स्थिति ठीकठाक हैं । जीवनशैली में बदलाव देखा जा रहा है । सीरवी समाज का नाम रोशन करने वाले श्री कानाराम जी से टेलिफोन वार्ता कर उनकी भावना को टटोलने का काम किया है पत्रकार श्री मंगल सैणचा ने । कानारामजी के इंटरव्यू के कुछ अंश यहां अपलोड किये जा रहे है । मंगल सैणचा - आप की प्रारम्भिक शिक्षा के बारे में बताये ? कानारामजी - मैं प्रारम्भ से लेकर कक्षा अष्टम् (आठवीं ) तक की पढ़ाई रा.उ.प्रा. विद्यालय, मुसालिया ( तहसील - मारवाड़ जक्शन ) वह विद्यालय हमारे बेरे ढ़ीमड़ी से नजदीक पड़ता था व कक्षा नवम ( नवमी ) से 12वीं तक की शिक्षा रा.उ.मा.विद्यालय सोजत रोड़ से प्राप्त की । सन 2002 में दसवी में 67 प्रतिशत अंक प्राप्त किये व 2004 में 12वीं में 71 प्रतिशत अंक अर्जीत कर आगे की पढ़ाई के लिए जोधपुर का रुख कर दिया । जोधपुर सीरवी छात्रावास में रहते हुए 2007 में B.Sc की डीग्री ( 75 प्रतिशत अंक ), 2008 में B.Ed की डीग्री ( 72 प्रतिशत अंक ) व 2010 में M.Sc की डीग्री ( 63 प्रतिशत अंक ) से प्राप्त की । मार्च 2011 से सितम्बर 2012 तक नागौर में ग्रामसेवक व सितम्बर 2012 से मुसालिया में ही अध्यापक के पद पर रह कर सरकारी सेवा प्रदान की । मंगल सैणचा - कान्वेंट व आवासीय विद्यालयों के इस दौर में आप की पढ़ाई में ग्रामिण परिवेश तो आड़े नही आया ? कानारामजी - नहीं, बल्कि ग्रामिण परिवेश से पढ़ाई व कामयाबी में सहायक सिद्ध हुयी । ( इंटरव्यू का अगला भाग कुछ दिन बाद )