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श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान , जवाली(पाली) के प्रथम वार्षिकोत्सव व विद्यापीठ भवन उद्घाटन सम्पन्न
Posted By : Posted By कानाराम परिहार कालापीपल on 03 Mar 2013, 12:49:46
श्री आईजी विद्यापीठ संस्थान , जवाली(पाली) के प्रथम वार्षिकोत्सव व विद्यापीठ भवन उद्घाटन प्रथम चरण निमित भव्य समारोह बङे ही हर्षोल्लास के साथ समाज के गणमान्य सज्जनों की उपस्थिति मे दिनांक 28.02.13 को सम्पन्न हुआ।इस समारोह मे मुख्. अतिथि श्रीमान जसारामजी एन सोलंकी देसुरी व अध्यक्षता श्री नेनारामजी एस हांबङ नारलाई ने की इस भव्य समारोह के आयोजन मे भोजन प्रसाद श्री पुखराज दीपाजी काग जवाली,टेन्ट व माइक व्यवस्था-श्री नेनारामजी पेमाजी परिहार देसुरी,स्मृति चिन्ह शॉल साफा-श्री करमारामजी देवाजी परमार आकङावास व आमन्त्रण पत्रिका- श्री देवाराम भीकाजी वरपा जवाली थे। समारोह का शुभारम्भ शुभ समय पर मां आईजी की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया ।और जिन जिन भामाशाहों द्वारा कमरे हॉल बनाए गए थे उन्ही के कर कमलों से आज कमरों पर लगी ऊनके नाम की पट्टीका का ढोल व गाजे बाजे के साथ कार्यकारिणी सदस्यों व अतिथियों की उपस्थिति मे अनावरण किया गया। उधर कमरों व हॉल का उदघाटन हो रहा था इधर पाण्डाल पुरा गया एक तरफ पुरुष व एक तरफ महिलाओं के बैठने की व्यवस्था कुर्सियो पर की हुई थी यहां पर मातृ शक्ति की उपस्थिति गजब की रहीसमय का सदउपयोग करने के लिएउदघाटन के शुरु हो जाने के साथ हीमंचीय कार्यक्रम भी शुरु कर दिया गया। मंच पर निम्न अतिथि शोभा बढा रहे थे- श्री जसारामजी एन सोलंकी देसुरी,श्री नेनारामजी हांबङ नारलाई,श्री पी पी चौधरी सिनियर एडवोकेट व अध्यक्ष महासभा, श्री भंवर चौधरी किसान केशरी (महासचिव),श्री नेनारामजी परिहार पूर्व अध्यक्ष महासभा,श्री चेनजी बा परमार,श्री केसारामजी एम एलए , श्री रामलालजी सैणचा गांधीधाम,सुनीलजी चोयल धाकङी, श्री भंवर महाराज, श्री सका महाराज, श्री गंगासागर जी महाराज,डायारामजी काग खिवाङा, डॉ. दिनेशजी सतपुङा राजगढ (म.प्र.), जसारामजी के राठौङ, दलपतसिंहजी हॉम्बङ व जगदीशसिंहजी हॉम्बङ बिलाङा,पोकररामजी ईसाली,मानारामजी एई एन रानी, खीमारामजी ढारिया, देवारामजी राढौङ सवराङ,दानारामजी मोडारामजी पूर्व अध्यक्ष,ढलारामजी सहायक राजस्व अधिकारी जोधपुर डिस्कॉम, गोपारामजी पंवार समन्वयक नशा मुक्ति हिम्मत मालवीय गोडवाङ टाईम्स,कानाराम परिहार कालापीपल इन सभी का साफा व माला पहनाकर स्वागत कर समृतिचिन्ह प्रदान किया गया । श्री आईजी विद्यापीठ की जानकारी देने के लिए श्री पुखराजजी वरपा नारलाई ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए संस्था के इतिहास व गतिविधियों की पुरी जानकारी दी फिर उद बोधन का दौर चला जिसमे सबसे पहले अखिल भारतीय सीरवी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पी पी चौधरी(सिनियर एडवोकेट)ने समाज को शिक्षा का संदेश देते हुए कहा- श्री आईजी विद्यापीठ समाज का एक धाम है जिस प्रकार बिलाङा नारलाई व डायलाणा समाज के धाम है यह चौथा धाम बन गया है मुझे इस बात की बहूत खुशी है कि यह शिक्षा का धाम बना है और यहा पर मातृशक्ति की जोरदार उपस्थिति देखकर बेहद प्रसन्नता हुई है इस विद्यापीठ मे इनकी भी बङी भागीदारी है इस बात की बङी खुशी है इस विद्यापीठ की दिव्य सोच रखने वाले नींव डालने वालों को बहूत बहूत धन्यवाद देताहुं आने वाले समय मे सह एक किर्तिमान स्थापित करेगा बालिका शिक्षा के इस पुनीत कार्य के लिए धन्यवाद देता हुं यह दुसरों के लिए भी अनुकरणीय कार्य है अपने समाज के लोग बाहर कमाने गए अपनी इमानदारी व होशियारी से पैसे कमाया ओर सोचा हम तो नही पढ पाए पर आने वाली पीढी को पढा देते है एक लङका पढता है तो वो स्वयं ही पढता है और एक लङकी पढती है तो एक परिवार पढता है परिवार से समाज बनता है और समाज से राष्ट बनता है इसलिए बालिका शिक्षा जरुरी है महासभा भी सबसे ज्यादा शिक्षा पर जोर देगी और बालिका शिक्षा पर विशेष जोर देगी महासभा 90 प्रतिशत व्यय शिक्षा पर ही खर्च करेगी। अभी 24 फरवरी को महाराष्ट प्रांत के सम्मैलन के अवसर पर मुम्बई मे 15 मिनट मे शिक्षा कोष हेतु 1.5 करोङ की घोषणा हो गई।अभी रानी मे 9 फरवरी को राजस्थान के सभी परगनों की मिटिंग मे भगवानपुरा की 312 बीघा जमीन समाज की होने का मुद्दा उठा हम उस जमीन को प्राप्त करने की पुरी कोशिश करेंगे अगर वो जमीन समाज को मिल जाती है तो वहां समाज की बहूत बङी संस्था बन सकती है हम 200 करोङ का प्रोजेक्ट लाकर विशाल तथा अनेकों सुविधाओं की संस्था बना देंगे जो एक मिशाल होगी समाज के लोगो ने मुझे विश्वास दिलाया कि हर साल 20 करोङ रुपये 10 साल तक देंगे आप प्रोजेक्ट शुरु कीजिए शिक्षा के क्षैत्र मे ऐसा संस्थान खङा करे जो राजस्थान ही नही पुरे भारत मे प्रसिद्ध हो । शिक्षा मे अपने को क्वान्टिटी(संख्यात्मक या अधिक मात्रा मे)व क्वालिटी (गुणात्मक यानि अधिक गुण वाली) मे से क्वालिटी (गुणात्मक यानि अधिक गुण वाली) को महत्व ज्यादा देना होगा भले ही लोग संख्या मे कम पढे पर ऐसा पढे कि टॉपर (सर्वश्रेष्ठ) बने। हमारी संस्थाओ मे ऐसे प्रसिद्ध अध्यापक लगावे जो अपने विषय मे पारन्गत हो अपने समाज के कोई IAS ,IPS नही है इस कमी को पुरा करना है। मै आईजी विद्यापीठ के भामाशाहों को धन्यवाद देता हुं जिन्होने समाज के सामने एक शिक्षा का धाम बनाकर दिया है। मै भरसक प्रयत्न करुंगा की इस विद्यापीठ को राष्ट्रीय स्तर का संस्थान बना दे। फिर इसी विद्यापीठ की बालिकाओं द्वारा स्वागत गीत से पधारे हुए महंगे मेहमानों का स्वागत किया गया। डॉ. दिनेश सतपुङा- म.प्र. से पधारे श्री डॉ. सतपुङाजी ने अपने वहा राजगढ मे भी आईजी विद्यापीठ के बारे मे जानकारी देते हुए बताया कि वहा पर 700-800 बच्चै पढ रहे है।जवाली मे वालिका शिक्षा हेतु बना यह विद्यापीठ समाज की धरोहर है मै राजस्थान सीरवी समाज को इस हेतु धन्यवाद देता हुं एक बालिका के पढने से दो घरों का उद्धार होता है जिन भामाशाहो ने इस विद्यापीठ को सिंचने मे तन मन धन से योगदान दिया है मै उनकों व उनके माता पिता के चरणो मे नमन करता हुं मै यहां के सभी स्टाप को धन्यवाद देता हुं जो शिक्षा के साथ संस्कार भी देते है अभी पी पी साहब ने बताया महासभा शिक्षा पर ज्यादा जोर देगी मेरा सुझाव है कि हमे अब उच्च शिक्षा पर जोर ज्यादा देना होगा इसके लिए कोटा,जयपुर, दिल्ली,और इन्दौर मे छात्रों को हायर एजुकेशन के लिए सर्व सुविधा उपलब्ध करानी होगी। बाबुलाल हॉम्बङ (बाली)- मै सबसे पहले इस संस्थान के कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देना चाहुंगा जिन्होने इतना बङा संस्थान खङा किया साथ ही भामाशाओ को भी धन्यवाद जिनके सहयोग से यह संस्थान बना है इस वट वृक्ष की सार्थकता तभी है जब ये आगे और कदम बढाये इस वटवृक्ष की सफलता तभी मालुम पङेगी जब हम जानेंगे इस पेङ पर लगने वाले फलो मे मिठास कितनी है पैङ के अलग अलग हिस्से होते है जिन्होने भुमी हेतु सहयोग दिया वे इसकी जङे है,जिन भामाशाहों ने निर्माण करवाया वे तना है, शिक्षक शाखाए है और बच्चै पत्ते है कोई वृक्ष कितना जिएगा ये पत्तों पर निर्भर करता है क्योकि पत्तों का काम पुरे पैङ के लिए भोजन बनाना है। इस मंच के माद्यम से मेरा यहां के शिक्षकों से निवेदन है कि बच्चों को अच्छी से अच्छी तालीम दे जिससे ये अन्य की तुलना मे श्रेष्ठ बने। जसारामजी राठौङ (किशनपुरा)- आपने सभी कार्यकर्ताओं भामाशाहों को धन्यवाद देते हुए गुरुजनों से भी आर्थिक सहयोग देने की अपील की आपने कहा कि आज गुरुजन भी अगर एक माह का वेतन संस्थान को देवे तो प्रवासी भामाशाहों का विश्वास बढेगा आप समयदान देते अच्छी बात है आप प्रवासीयों का ध्यान रखे उनको विश्वास मे ले तो ये योगदान मे हमेशा साथ रहेंगे। सुनीलजी चोयल (धाकङी)- मै सबसे पहले धन्यवाद देना चाहुंगा आईजी विद्यापीठ जवाली को जिसकी खुशबु पाली मे ही नही राजस्थान मे ही नही पुरे भारत मे अपनी खुशबु को फैलाया है धन्यवाद देना चादुंगा दानदाताओं को जो शिक्षा के प्रति आस्था रख कर पैसा दिया है मै आपकी तुलना सूर्यदेव से करना चाहुंगा जो समुन्द्र से भी लेता है नाले से भी लेता है सरोवर से भी लेता है लेकर अपने पास रखता है और समय आने पर बरसा देता है तो समाज के उन बन्धुओं ने माताजी के आशीर्वाद से धन कमाया ओर समय आने पर इस विद्यापीठ पर बरसाया इसको दान दे दिया आपकी इस भावना को प्रणाम करता हुं आपने मुझे मान सम्मान दिया समय आने पर मै आपको इसका प्रतिफल ब्याज बट्टा सूद के साथ देऊंगा जय हिन्द जय भारत। भंवर महाराज (नारलाई)- आज इन भामाशाहों को देखकर खुशी जाहीर करते हुए गुरुदेव ने माताजी से कामना की कि भामाशाहों ने यहां पैसा लगाया उनको दुगुना वापस मिलेगा आपने 29 मई को नारलाई की भव्य प्रतिष्ठा पर सबके सहयोग व सभी को आमन्त्रित किया। सोमारामजी राठौङ- आज बहूत खुशी हो रही है कि 2006 मे मोडारामजी,दानारामजी ओर इनकी टीम ले आगे की सोचकर शिक्षारुपी पौधा लगाया था आज वही पौधा वटवृक्ष बन गया है लेकिन अभी अपना सपना पुरा नही हुआ है बहूत सारे काम बाकी है अपना सीरवी समाज, कृषक समाज प्रगती लगन व ईमानदारी वाला समाज यह चाहता है यहा पढने वाली हर छात्रा हमारी बेटी है यही सोचकर अपनी मायङ भौम की सेवा विकास हेतु सदैव आगे रहता है। केसारामजी (एम एल ए) अत्यन्त खुशी की बातहै कि अगर कोई सच्चा मन्दिर बना है तो यह जवाली की पावन धरा पर बना है पत्थर मे कोई भगवान नही होता हैमुर्ति मे कोई भगवान नही होता है अगर भगवान किसी सच्चै रुप मे बैठा हैतो इन नन्है मुन्ने बालको मे बैठा है और यही आने वाले समय मे भारत के भाग्य विधाता बनेगे।सरस्वती के मन्दिर ही मन्दिर हैआपके पास कितना भी धन माल हो गाङी बंगला हो अगर सरस्वती की कृपा नही है तो कुछ काम का नही रहेगा आदमी अगर पागल हो जाए फिर उसे पुरा मन्दिर ही क्यों ना दे दो वो उसे तोङ देगा दुरुपयोग करने लग जाएगा अगर उसकी सरस्वती सही ठिकाने नही है इसलिए भाई लोगो अगर कोई बङा मन्दिर बना है तो जवाली की पावन धरा पर बना है मै प्रवासी बन्धुओं का तहेदिल से आभार प्रकट करता हुं कि आपने अपनी पुंजी का सद्उपयोग किया है।आज सामुहिक विवाह की बात चलती है हमारा समाज तो सदियों से सामाजिक विवाह करता आ रहा है अपने पिछङे समाज के विकास की किसी ने बागडोर संभाली है तो इन प्रवासी बन्धुओ ने संभाली है इसके लिए उनका बहूत बहूत आभार व्यक्त करता हुं इन्होने यह बङा संस्थान खङा किया है आने वाले समय मे इस विद्यालय से निकलने वाली बालिकाएं देश को दिशा निर्देश देने वाले परिवारों का निर्माण करेगी इन्ही बालिकाओं मे से कोई सरपंच, कोई प्रधान,कोई IAS बनकर हर क्षैत्र मे आगे बढेगी। य़हां के अध्यापको को कितना भी वेतन दो पर उनका पसीनी निकालना सीख लो आज आवश्यकता बिल्डिंग से ज्यादा अध्यापको के गुणवत्ता की है।बङे गर्व की बात है कि कोटा के नामी एलन कॉलेज के डायरेक्टर चेनारामजी सीरवी है यहां की कार्यकारिणी को पुरा डिक्टेटरशीप होना चाहिए इनको जो करना है करना है नियमों के अलावा किसी की नही सुननी चाहिए बिना नियम किसी का बाप को भी अन्दर आने की अनुमति नही मिलनी चाहिये गेट पर गेट किपर हो पास ही गेस्टरुम हो मिलने वाले वही मिले विधालय प्रंगण मे पुरुष के आने पर पाबन्दी हो व्यवस्था ऐसी हो कि बंगलोर मद्रास मे बैठा बाप सोच सके कि मेरी बेटी ऐसी सुरक्षित जगह पर है जहां परिन्दा भी पर नही मार सकता है मै आईजी विद्यापीठ की कार्यकारिणी सदस्यों, स्टाप,भामासाहो का आभआर व्यक्त करताहुं कि आपने मुझे यहां बैठी सरस्वतियों के दर्शन का मौका दिया हम तहेदिल से हार्दिक आभारी है देवारामजी राठौङ (सवराङ)- समाज के धन कुबेरों भामाशाहों आपने इस वार्षिक उत्सव मे सहयोग दिया उसके लिए आभारी हुं आपने अपनी गाढी कमाई मे से दान दे कर सहयोग किया पैसा जो भी देते है विश्वास के साथ देता है मै इतना कहुंगा कि आपके पैसों का यहां सद्उपयोग हो रहा है, एक पैसे का दुरुपयोग नही होगा।हम रहे या नही रहे आने वाली पीढिया याद करेगीयह विद्यावाङी पाली जिले की नही राजस्थान ही नही भारत की सर्वश्रेष्ठ संस्था होगी।अपनी पांचो अंगुलिया बराबर नही होती है उसी प्रकार से समाज के सभई लोग एक जैसे नही होते है जिसका जैसा बने तन मन या धन से सहयोग करे। नेनाराम जी हॉम्बङ – आईजी विद्यापीठ जवाली के अध्यक्ष ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप सभी ने जो भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग किया आपको धन्यवाद अभी काम बाकी है 2 करोङ की और आवश्यकता है पुरे भारत से यहां पैसा लगा हैशबी ने अच्छा सहयोग किया हैसहां दिया गया पैसों का पुरा सदउपयोग हो रहा है आप यहा पधारे हमसे कोई भुल हो गई हो तो माफी चाहता हुं आप अन्यथा नही ले। इन सभी के उदबोधन के बाद नवनिर्माणाधीन छात्रावास मे भोजन प्रसादी की सुन्दर व्यवस्था की गई सभी ने आनन्द के साथ भोजन कियाऔर आदर्श विद्यापीठ का सपना संजोए इस भव्य समारोह की याद को हृदय पटल पर अंकित कर पधारे सम्पुर्ण कार्यक्रम का सफल संचालन पोमारामजी परिहार, व घीसारामजी लचेटा ने अपनी ओजस्वी वाणी मे किया।