सीरवी समाज - मुख्य समाचार

श्री मनोहर आर राठौङ के विचार नशा के बारे मे आप भी जानिए
Posted By : Posted By कानाराम परिहार on 01 Feb 2013, 22:03:36
एक नजर में नशे से होने वाली कुछ इस तहरे की हानी जरा गोर से पढ़े और समजे व् दुसरो को भी समजाये नशा नाश की एक मात्र जड़ है जो मनुष्य को मिठा देती है हमें इस नशिली प्रदातो से सावधान रहना होगा और समाज को भी नशे से मुक्त कराना होगा । वो हर नशा जो, मन को शरीर को, परिवार को, समाज को किसी न किसी प्रकार से क्षति पहुंचाता है ! वह एक सभ्य समाज के लिए वर्जित है ! नशा एक प्रकार का धीमा जहर है, जो धीरे-धीरे मन की शक्ति को तथा शरीर के बिभिन्न अंगो को कम जोर करता जाता है ! समस्या से जूझने की क्षमता व्यक्ति में घट जाता है ! नशा लोग क्यों करते हैं ? इसका वास्तविक कारन क्या है ? इसका कई कारन है ! आदिकाल के लोग , हिमाली, ठंढी प्रदेश में निवास करने वाले लोग जो थोड़ी देर के लिए ही सही परन्तु ठंढी से बचने के लिए धुम्रपान का नशा करते थे ! जिसमे बीड़ी, हुक्का, चिलम, आदि का अपने अपने क्षमता और उपलब्ध अनुसार प्रयोग करते थे ! ये वो लोग होते थे, जो कर्म में दक्ष नहीं होते थे या जिनका मन बिकारो से ग्रस्त रहता था या किसी प्रकार गलत संगती या मत में रहते थे ! धीरे धीरे धूम्रपान का प्रचलन मैदानी भागो में होने लगा ! ** वर्तमान में सिगरेट, सिगार आदि जुर गया है ! धुम्रपान में प्रयोग होने वाले वस्तु - तम्बाकू, गाजा, चरस, अफीम तथा फल को सुखा कर भी हुक्का, चिलम में प्रयोग करते हैं ! नशा से दूर रहने वाले अरब मुल्क का लोग मुस्लिम धर्म तो अपना लिया ! परन्तु, नशा को नहीं छोरा, आज भी हुक्का, चिलम अरब का शेख लोग पीते हैं ! मेरा मतलब किसी धर्म, सम्पर्दाय से नहीं है ! चाहे किसी भी धर्म, मत या सम्पर्दाय का लोग हो ! यदि वो नशा करता है, तो ईश्वर से दूर हैं ! ऐसे लोग मन से बिकार ग्रस्त होते हैं ! मन का इलाज ही अंतिम निराकरण है ! मन का इलाज ज्ञान से मात्र संभव है ! कर्म की कुशलता का ज्ञान , जीवन जीने की कला का ज्ञान, जो कर्म करते हुवे मन को शरीर से तथा आत्मा से जोर कर रखता है और आत्मा को परमात्मा से जोर कर रखता है ! घर, परिवार तथा समाज में संतुलन लाता है, यही ज्ञान मनुष्यों को नशा से तथा मन के विकारो से मुक्त करेगा !!