सीरवी समाज - मुख्य समाचार

अखिल भारतीय सीरवी महासभा के बारे मे जाने- कानाराम परिहार (कालापीपल)
Posted By : Posted Byकानाराम परिहार(कालापीपल) on 25 Nov 2012, 07:36:38
अखिल भारतीय सीरवी महासभा के संगठन की प्रक्रिया चल रही है इसमें समाज का अच्छा सहयोग मिल रहा है समाज लम्बे समय से एक व्यापक संगठन के अभाव को झेलकर एक कुशल नेतृत्व की कमी महसूस कर रहा है समाज की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान नहीं बन पा रही है । राष्ट्र तो क्या हम अपने राज्य राजस्थान में भी पाली व जोधपुर जिले को छोङकर बाहर जाते है तो सीरवी समाज को कोई पहचानता भी नही है । क्या 700-800 सालों के इतिहास मे हम अपनी इतनी सी पहचान नही बना पाए जबकी हमारे पूर्वज जो खेती करते थे उन्होने खेती मे अपनी विशिष्ट पहचान बनाई ओर उन्हे म.प्र. के होल्कर परिवार ने सीरवी किसानों को अपने यहां बुलवाया फलतः सीरवी राज परिवार के विशेष आग्रह पर मध्यप्रदेश गए ओर वहां भी अपनी खेती की पहचान बरकरार रखी परन्तु आज हम पढे लिखे है व्यापारी है फिर भी अपनी पहचान नहीं है ऐसा क्यो क्योकि हमने अपनी पहचान बनाने के लिए सोचा ही नहीं जब तक राष्ट्र स्तर पर अपना एक मजबूत संगठन नही होगा तब तक अपनी पहचान होना असंभव है । आज हमारे समाज मे बहूत से संगठन है दक्षिण भारत के कही बङे शहरों मे 10-15-20 तक संगठन बने हुए है लेकिन वो एक माला के रुप मे संगठित नही है सभी अपने अपने क्षेत्र तक सिमित दायरे मे है अनकी एक सीमा है तो फिर हम कैसे राष्ट्र स्तर पर पहचान बनायेंगे इसके लिए हमे अपने पुरे हिन्दुस्तान मे जो 700-800 रजिस्टर्ड संगठन है उससे उपर एक सबकी सहभागिता लेकर संगठन का ढांचा बनाना होगा और इस मजबूत ढांचे का सपना लेकर श्रीमान पी पी चौधरी पिछले 2-3 सालों से व्यापक विचार विमर्श व मंथन कर रहे है और अब जाकर उन्होने अखिल भारतीय सीरवी महासभा को नया रुप देकर अपने सामने नयी व सुन्दर तस्वीर रखी है हमे इनका भरपूर सहयोग कर अपने समाज के हित को सर्वोपरी मानकर सहयोग करना होगा हमे अपनी कमियों को नही बल्कि अपने उन कार्यो को देखना होगा जिसके बलबूते हम संगठन को मजबूत बना सकेंगे। अभी तक के कार्यक्रम को देखे तो समाज का बहूत अच्छा सहयोग मिल रहा है महासभा के कार्यों का विकेन्द्रीकरण करने के लिए और कार्यों की सुगमता के लिए पुरे हिन्दुस्तान के सीरवी समाज को 7 प्रान्तों मे बांटा गया है जो इस प्रकार है—प्रांत 1. राजस्थान,दिल्ली व उत्तरी भारत, प्रांन्त 2. मध्यप्रदेश छत्तीसगढ। प्रांन्त 3. गुजरात दमन दादरा नगर हवेली प्रांन्त। 4.महाराष्ट्र प्रांन्त। 5. आन्ध्र प्रदेश उङीसा प्रांन्त। 6. कर्नाटक केरल गोवा प्रांन्त। 7.तमिलनाडू पॉन्डीचेरी। इन प्रान्तो के बाद हर प्रान्त मे परगना बनाए है वो सातों प्रान्तो के मिलाकर 60 परगना बनाये गए है जहां जनसंख्या ज्यादा है वहां ज्यादा और जहां जनसंख्या कम है वहां कम बनाए है । यानि राष्ट्र स्तर उसके बाद दुसरा स्तर प्रांत का रहेगा जिसमे हर प्रांत मे 32 पदाधिकारी और उसके संरक्षक व सलाहकार होंगे और हर प्रांत के हर परगने भी 32-32 पदाधिकारी व संख्या के हिसाब से संरक्षक व सलाहकार होंगे इस प्रकार यह समाज का व्यापक व मजबूत संगठन खङा हो जायेगा । अब अपना संगठन राष्ट्र स्तर,प्रांत स्तर व परगना स्तर पर कङी से कङी जुङकर कार्य करेगा जिसमे सबसे महत्वपूर्ण परगना का स्तर होगा परगना कीर्यकारिणी ही समाज के काम को प्रांत मे भेजेगी और प्रांत की कार्यकारिणी सभी परगनों की रिपोर्ट तैयार कर पुरे प्रांत की एक रिपोर्ट बना राष्ट्रीय कार्यकारिणी को भेजेगी वहां साल मे एक या दो बार बहूत बङी मिटिंग होगी जिसमे समाज के सभी प्रान्तों के गणमान्य लोगो की उपस्थिति राष्ट्रीय कार्यकारिणी संरक्षक सलाहकार व अन्य जो समाज हित मे काम कर रहे है सभी के दिशा निर्देश से व्यापक विचार विमर्श ओर मंथन करके निर्णय लिए जायेंगे । आपको यह जानकर अत्यन्त खुशी होगी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन होते ही बहूत ही थोङे समय मे श्रीमान पी पी चौधरी,श्री भंवर चौधरी किसान केसरी, श्री पुखराजजी आईजी साहब,श्री विरमराम सोलंकी, डॉ. आर एस चौहान, चन्दारामजी भायल, मंगल सैणचा, डॉ. दिनेश सतपुङा, श्री चुन्नीलालजी सी.ए. श्री भगवानजी लचेटा सी.ए. धनजी लालावत बिलाङा, श्री मोहनजी भायल अजन्दा आदि के अथक प्रयासों से सात प्रांतो मे से चार प्रांतो मे गठन हो चुका है और आन्ध्रप्रदेश मे शीघ्र होने जा रहा है व शेष रहे गुजरात व तमिलनाडु मे भी वहां के लोग समाज बन्धु काफी इन्तजार मे है और एक माह के अन्दर ही उनके सहयोग से वही संगठन बना लिया जायेगा। इन प्रांतो के गठन के बाद परगनों के गठन का कार्य भी चल रहा है जिसमे कर्नाटक के सभी नौ परगनो का गठन हो गया है राजस्थान मे भी 15 मे से 8 परगनो का गठन हो चुका है बाकी मे प्रक्रिया चल रही है जब सभी जगह गठन की प्रक्रिया पूर्ण रुप से हो जायेगी तभी समाज का एक मजबूत संगठन जिसकी समाज मे कमी थी और उसी कमी के कारण समाज की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान नहीं थी वो अब पुरी होने जा रही है। यह समाज का बहूत बङा हवन(देवयज्ञ) हो रहा है जिसमे समाज के हर घर से आहूती की आवश्यकता होगी तभी हम सच्चे रुप मे सफल हो पायेंगे। तो हमे समाज के बङे हीत को सोचते हुए आपस के मन मुटाव भुलाकर समाज का व्यापक हित सोचकर कुछ बलिदान हमे समाज के बारे मे करना होगा तभी हम इस मिशन मे कामयाब होंगे। समाज के हर व्यक्ति का कर्त्तव्य बनता है कि इसमे तन मन धन से सहयोग करे सभी आगे आकर मिलकर हाथ बढाना है। और आने वाले समय मे समाज निःसन्देह एक उन्नत,संगठित व आदर्श समाज बन जायेगा। जय श्री आईजी की । कानाराम परिहार (कालापीपल)