सीरवी समाज - मुख्य समाचार

टीवी देखना हमेशा खराब नहीं होता
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 05 Nov 2012, 18:17:57
मां-बाप की नजर में बच्चों का टीवी या फिल्में देखना खराब माना जाता है। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उनके बच्चे बिगड़ जाएंगे। लेकिन यह स्टोरी आपको बताएगी कि मां-बाप की निगरानी और अच्छे कार्यक्रम देखने की आदत के साथ न सिर्फ यह एक सकारात्मक अनुभव हो सकता है, बल्कि बच्चे किसी की जान भी बचा सकते हैं। ३२ वर्षीय के गुडबी एक छह वर्षीय बालिका की मां थीं और दूसरी बार गर्भवती थीं। १६ जुलाई २०१२ को उन्हें रह-रहकर दर्द उठने लगा। वह तुरंत नजदीक स्थित एक चाइल्ड बर्थ सेंटर में पहुंची, जहां से उन्हें एक घंटे बाद यह कहते हुए डिस्चार्ज कर दिया गया कि फिलहाल प्रसव के कोई संकेत नहीं हैं। वह वापस घर लौट आईं। उनकी बेटी फ्रांसेस्का बीबीसी पर अपना पसंदीदा कार्यक्रम 'कैजुअल्टी' देख रही थी। इस टीवी शो में सत्य घटनाओं पर आधारित आपातकालीन चिकित्सा का नाट्य रूपांतरण पेश किया जाता है। मसलन दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को कैसे जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जाता है और उसे रास्ते में किस तरह की मदद दी जाती है। कैसे गर्भवती महिला को जल्द से जल्द अस्पताल ले जाया जाए, एंबुलेंस में दाई किस तरह उसकी मदद कर सकती है। इस टीवी शो में कई तरह की ड्रिल दिखाई जाती है, जिन्हें इमरजेंसी में आजमाया जा सकता है। फ्रांसेस्का इन ड्रिल्स को बड़े गौर से देखती है और अपने प्ले स्कूल में इन्हें खेल-खेल में आजमाती भी रहती है। वह अपनी सहेलियों के साथ न सिर्फ डॉक्टर-डॉक्टर खेलती है, वरन उसने अपनी मां के प्रसव के दौरान वास्तव में एक नर्स की भूमिका निभाते हुए अपनी छोटी नवजात बहन को मौत के मुंह में जाने से बचा लिया। दरअसल घर लौटने के बाद के गुडबी ने प्रसव पीड़ा उठने के बाद कम से कम दस बार नर्स के लिए फोन किया, लेकिन हर बार उसे यही बताया गया कि अभी डिलेवरी का वक्त नहीं आया है। रात तकरीबन साढ़े नौ बजे उन्हें रक्तस्राव होने का अहसास हुआ। जैसे ही वह बाथरूम में गईं, उनका प्रसव शुरू हो गया। वह जोर-से चीखीं, जिसे सुनकर फ्रांसेस्का तुरंत बाथरूम की ओर दौड़ी और मां के प्रसव में मदद की। इस छह वर्षीय बच्ची ने तेजी से अपना दिमाग दौड़ाते हुए न सिर्फ मां को बचाया बल्कि अपनी छोटी बहन की भी जान बचाई, जिसके चेहरे व गर्दन पर गर्भनाल लिपटी हुई थी। के गुडबी यह देखकर हैरान थीं कि कितने शांत ढंग से फ्रांसेस्का ने बाथरूम में खड़े रहकर पहले उन्हें अपनी सांसें संभालने में मदद की और फिर धीरे-धीरे टॉवेल के जरिये नवजात शिशु के चेहरे व गर्दन से गर्भनाल को हटाया। जहां तक इमरजेंसी ९९९ सेवा से जुड़े कर्मियों का सवाल है तो वे तभी वहां पहुंचे, जिस तरह फिल्मों में हमारी पुलिस सब कुछ हो जानेे के बाद आखिर में पहुंचती है। जिन लोगों ने '३ इडियट्स' फिल्म में इमरजेंसी के वक्त आमिर खान द्वारा इसी तरह डिलेवरी करवाते देख मुंह बिदकाया, उन्हें समझना चाहिए कि ऐसी नाजुक परिस्थितियों में कोई भी किसी के लिए भी मददगार साबित हो सकता है, बशर्ते उसे पता हो कि उन हालात में क्या करना चाहिए। इस तरह की कई बातें टीवी शोज के जरिए सीखी जा सकती हैं, जिन्हें हम 'बुरा' कहते हुए प्रतिबंधित कर देते हैं। फंडा यह है कि... टीवी कार्यक्रमों के लिए सिलेक्टिव व लिमिटेड स्क्रीन टाइम बच्चों के लिए सकारात्मक अनुभव हो सकता है। कौन जानता है कि यह अनुभव किसी की तकदीर बदलने वाला साबित हो। मैनेजमेंट फंडा... एन रघुरामन साभार - दैनिक भास्कर