सीरवी समाज - मुख्य समाचार

सामान्य सोच - हम सब को अपने नाम के साथ "सीरवी" लगाना चाहिए
Posted By : Posted By Aaiji panth marwar pali on 12 Oct 2012, 22:25:38
"सीरवी महासभा" एक ऐसा मंच, भेदभाव ,ईष्या और आपसी मनमुटाव से रहित ,बिखरे "सीरवी "समाज के मोतियों को फिर से एकता के धागे में पिरोना ,समाज आज इतना बिखर चूका है कि जरुरत है ऐसी पहल की जो समाज को फिर से एकता के सूत्र में बाँध कर ,अपनी एक मजबूत पहचान बना सके . एक सर्वे के अनुसार "सीरवी "जाति राजस्थान में और जातियों से बहुत पीछे है ,चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो ,राजनितिक या कोई और ही क्यूँ ना , हर क्षेत्र में हर औरो से पीछे है .और पीछे रहने का मुख्य कारण है शिक्षा !!!!! न जाने क्यों लोग शिक्षा को महत्त्व नहीं देते ,मैंने भी ९ वीं तक पढ़ा ,क्यूँ कि तब लोगो में एक धारणा थी कि "हम सीरवी लोगो को नौकरी तो मिलती नहीं ,क्यूँ कि हमारी जाति के लिए अरक्षित कोटे नहीं (मतलब आरक्षण नहीं ) इस आरक्षण की वजह से काबिल छात्र भी पूरी शिक्षा से वंचित रहे ..खैर आज के दौर में समाज में लोगो शिक्षा को महत्त्व देते है और छात्र भी कोशिस करते अपने हुनर जो दर्शाने का ,पर अभी भी भ्रान्तिया है ,कि कोई काम धंधा सिख कर ज़िन्दगी बनाओ , पढ़ कर नौकरी मिलेगी या नहीं क्या गारंटी ?? समाज के बन्दुओ को जागरूक करना जरुरी है और शिक्षा का महत्त्व बताना .. खैर यह तो शिक्षा की बात हुई पर इसके आलावा भी कई मुद्दे है जैसे मंदिर बनाना ,अपने भगवान के प्रति आस्था सब के मन में होनी चाहिए ,भगवान तो आस्था के भूखे है ना कि ईंट पत्थर से बने महलों ,मंदिरों के अच्छी बात है अपने भगवान के लिए मंदिर बनाया ,पर ईष्या और आपसे मनमुटाव के कारण एक जुट होकर बनाये मंदिर को छोड़ चंद लोग मिल कर अपना निजी मंदिर बनाने लगते है , क्या इससे समाज में एकता बढ़ेगी ? लाखो करोडो खर्च करते ,क्या भगवान उससे खुश होंगे ?? खैर ये आप मंदिर बनाने वालो का निजी मामला है .. अब बात रहा समाज में फ़ैल रही कुरूतियों का , जैसे सामूहिक मौको पर अफीम का सेवन ..इसके बारे में आज से १० साल पहले सीरवी सभा में बहुत से नीयम बनाये जो मैंने पहले ही फेसबुक पर प्रस्तुत कर दिए हैजहाँ तक मैं गौर कर रहा हूँ ,उन नियमों की पलना शायद ही समाज में हो रही है .समाज में में सुधार किस स्थर से शुरू हो आज समाज के भाई बन्दुओ का अपने जीवन में क्या करने का लक्ष्य है जाहिर है सबका जवाब यही होगा कि "पैसा कमाना " क्या वास्तव में हम लोगो का जीवन सिर्फ पैसो तक ही सिमित है आज धन अर्जित करने के फेर में लोग अपने घर परिवार तक को वक़्त नहीं दे पा रहे है, इससे बच्चो को पूर्ण संस्कार नहीं मिल जिससे बच्चे ,युवा कुछ ऐसा कर जाते कि बाद में परिजनों को शर्मिंदा होना पड़ता है . घर में बेल के इग्यारा नीयम पढ़ते है पर कितने लोग है जो इन नियमो की पलना करते है सीरवी महासभा का गठन समाज को जागरूकता और सामाजिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है , चाहते है "सीरवी " कि पहचान दुनिया में हो ,पर जरुरी है कि इसके लिए हम को एक छोटा सा प्रयास करना कि हम सब को अपने नाम के साथ "सीरवी" लगाये ताकि "सीरवी " जो आजतक हम लोगो के इर्दगिर्द तक ही सिमित है उसकी हर जगह पहचान बने